
अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA द्वारा 50 वर्षों से अधिक समय तक गोपनीय रखी गई एक किताब में दुनिया के अंत की एक चौंकाने वाली थ्योरी सामने आई है. ‘द एडम एंड ईव स्टोरी’ नामक यह किताब, जिसे 1966 में अमेरिकी वायुसेना के पूर्व कर्मचारी, यूएफओ शोधकर्ता और आत्मघोषित साइकोकि चैन थॉमस ने लिखा था, अब सार्वजनिक हुई है.
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक यह किताब 2013 में आंशिक रूप से डीक्लासीफाई की गई थी, लेकिन इसे सीआईए के डेटाबेस में ही छिपा कर रखा गया था. हाल ही में इसे फिर से सामने लाया गया है.
थ्योरी: हर 6,500 साल में आती है एक महाविनाशकारी आपदा
चैन थॉमस के अनुसार, हर 6,500 साल में एक महाप्रलय – जैसे बाइबिल में वर्णित ‘ग्रेट फ्लड’ ने पृथ्वी पर कहर बरपाया था. थॉमस का दावा है कि 6,500 साल पहले हुई यह आपदा ‘नोआह की बाढ़’ थी, और इसके लिए कुछ पुरातात्विक और भूवैज्ञानिक प्रमाण भी मौजूद हैं. उनके अनुसार, अगली महाप्रलय किसी भी समय आ सकती है.
क्या होगा महाविनाश का स्वरूप
थॉमस के अनुसार, पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र अचानक और तीव्रता से बदल जाएगा, जिससे पूरी दुनिया में तबाही मच जाएगी. उन्होंने अपनी किताब में लिखा है कि कैलिफोर्निया के पहाड़ पत्तों की तरह हिलने लगेंगे और प्रशांत महासागर एक विशालकाय लहर बनकर पूर्व की ओर बढ़ेगा. कुछ ही घंटों में लॉस एंजेलिस, सैन फ्रांसिस्को, शिकागो, डलास और न्यूयॉर्क जैसे शहर इतिहास का हिस्सा बन जाएंगे.
3 घंटे में तबाह हो जाएगी पूरी अमेरिका
थॉमस का मानना है कि यह आपदा महज तीन घंटों में पूरे उत्तरी अमेरिका को तबाह कर देगी, और इसी तरह दुनिया के बाकी हिस्से भी बच नहीं पाएंगे. उनकी किताब के मुताबिक, सात दिनों तक यह तबाही चलती रहेगी, जिसके बाद पृथ्वी का पूरा भूगोल बदल जाएगा.
किताब की गोपनीयता पर सवाल
यह स्पष्ट नहीं है कि सीआईए ने इस किताब को गोपनीय क्यों रखा, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी वजह शायद जनता में भय पैदा होने की आशंका थी. चैन थॉमस का संबंध मैकडॉनेल डगलस एयरोस्पेस कंपनी से था, जहां वे गोपनीय परियोजनाओं पर काम कर चुके थे. हालांकि, उनके सीआईए से प्रत्यक्ष संबंधों का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है.
क्या यह थ्योरी वैज्ञानिक रूप से सही है?
नासा और अन्य वैज्ञानिक संस्थानों के अनुसार, पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र ‘पोल रिवर्सल’ प्रक्रिया से गुजरता है, जो हर 3,00,000 वर्षों में होती है. इस प्रक्रिया में चुंबकीय क्षेत्र कमजोर हो सकता है, लेकिन यह थॉमस द्वारा वर्णित विनाशकारी प्रभाव पैदा नहीं करता. नासा के वैज्ञानिक मार्टिन म्लिन्ज़क का कहना है कि चुंबकीय क्षेत्र में 90-डिग्री का बदलाव होना असंभव है. अगर ऐसा हर 6,500 साल में होता, तो इसका प्रमाण भूवैज्ञानिक रिकॉर्ड में जरूर होता.
बाइबिल की बाढ़ और इतिहास का पुनर्मूल्यांकन
थॉमस का दावा है कि ‘नोआह की बाढ़’ 6,500 साल पहले हुई थी. हालांकि, अधिकांश विशेषज्ञ इसके समय को 4,000 से 5,000 साल पहले मानते हैं. अगर बाढ़ 6,500 साल पहले नहीं हुई थी, तो थॉमस की अगली आपदा की भविष्यवाणी गलत साबित हो सकती है.
सीआईए का इसे गोपनीय बनाए रखना अभी भी है रहस्य
‘द एडम एंड ईव स्टोरी’ में प्रस्तुत थ्योरी भले ही कल्पनाशील और डरावनी हो, लेकिन इसके पीछे वैज्ञानिक आधार नहीं है. इसके बावजूद, यह किताब इतिहास, पुरातत्व और भूविज्ञान के विषयों में रुचि रखने वालों के लिए एक दिलचस्प अध्ययन सामग्री हो सकती है. सीआईए द्वारा इसे गोपनीय रखने का कारण अब भी रहस्य बना हुआ है.