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भैंस की पूंछ के टुकड़े से पैदा किए कटड़ा-कटड़ी के क्लोन, वैज्ञानिक बोले- बहेंगी दूध की नदियां

करनाल में राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने क्लोनिंग के क्षेत्र में नई सफलता हासिल की है. पहली बार भैंस की पूंछ के दो टुकड़ों से क्लोन calf पैदा हुए हैं. वैज्ञानिक का कहना है कि क्लोनिंग में उत्तम नस्ल के मुर्राह भैंस का प्रयोग किया जाता है. जिसकी जेनेटिक क्षमता ज्यादा दूध देने की होती है. ऐसे में सामान्य भैंस के मुकाबले क्लोन पशु के सीमन से पैदा होने वाली भैंसों में दूध उत्पादन 14 से 16 किलो प्रतिदिन होता है.

भैंस की पूंछ के टुकड़े से पैदा किए कटड़ा-कटड़ी के क्लोन भैंस की पूंछ के टुकड़े से पैदा किए कटड़ा-कटड़ी के क्लोन
aajtak.in
  • करनाल ,
  • 05 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 12:34 PM IST
  • NDRI 11 क्लोन calf पैदा कर चुका है
  • 7 मेल और 4 फीमेल calf शामिल है
  • देश में दूध का उत्पादन दोगुना होगा

हरियाणा के करनाल में राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने क्लोनिंग के क्षेत्र में नई इबारत लिखी है. पहली बार भैंस की पूंछ के दो टुकड़ों से क्लोन Calf पैदा किया गया है. वैज्ञानिकों का दावा है कि इससे देश में दूध का उत्पादन दोगुना होगा और किसानों की आमदानी भी बढ़ेगी. साल 2009 से अबतक NDRI 11 क्लोन काफ पैदा कर चुका है, जिसमें 7 मेल Calf और 4 फीमेल Calf शामिल है. 

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ऐसा दावा किया जा रहा है कि क्लोनिंग की सफलता के बाद दूध उत्पादन दोगुना होगा साथ ही किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी. केंद्र सरकार के अप्रूवल के बाद इस तकनीक को किसानों तक पहुंचाया जाएगा. करनाल के राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान के निदेशक डॉक्टर एमएस चौहान का कहना है कि यह क्लोनिंग के क्षेत्र में एक और नई सफलता है, वैज्ञानिकों की रिसर्च सही दिशा में आगे बढ़ रही है. इसके अलावा उन्होंने बताया कि भारत की कृषि अर्थव्यवस्था में पशुपालन का अहम स्थान है. भैंस का कुल दूध उत्पादन में लगभग 50% का योगदान है और यह किसानों की आजीविका में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. क्लोनिंग किए गए पशुओं के सीमन से दूध उत्पादन दोगुना हो सकता है. 

भैंस की पूंछ के दो टुकड़ों से क्लोन calf पैदा किया

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डॉक्टर एमएस चौहान ने बताया कि क्लोन तकनीक से एक बच्चा 26 जनवरी को पैदा हुआ. इसलिए उसका नाम गणतंत्र रखा गया. दूसरी क्लोन कटड़ी का नाम कर्णिका है जो कर्ण नगरी के नाम पर है. एक भैंस की पूंछ से लिए गए सेल से पैदा हुआ है. दूसरे का जन्म मेल भैंसे के सेल से किया गया है. डॉक्टर चौहान का कहना है कि क्लोनिंग में उत्तम नस्ल के मुर्राह भैंस का प्रयोग किया जाता है. जिसकी जेनेटिक क्षमता ज्यादा दूध देने की होती है. ऐसे में सामान्य भैंस के मुकाबले क्लोन पशु के सीमन से पैदा होने वाली भैंसों में दूध उत्पादन 14 से 16 किलो प्रतिदिन होता है. जबकि सामान्य भैंस में 6 से 8 किलो प्रतिदिन दूध उत्पादन की क्षमता पाई जाती है. 

वैज्ञानिकों का दावा इससे दूध उत्पादन दोगुना होगा

क्लोन तकनीक से पैदा हुए कटड़ा और कटड़ी पूरी तरह स्वस्थ हैं और इनका व्यवहार पूरी तरह सामान्य है. डॉ चौहान ने कहा कि क्लोनिंग से 11 बच्चे पैदा हो चुके हैं जो जीवित है और इनका परिवार भी धीरे-धीरे बड़ा हो रहा है. यह तकनीक पूरी तरह से भारत की है. टीम में शामिल पशु वैज्ञानिक डॉक्टर नरेश ने कहा कि एनडीआरआई में किए गए परीक्षण निश्चित रूप से प्रौद्योगिकी को किसानों के दरवाजे तक पहुंचने में मदद करेंगे ताकि उनके पशुओं की उत्पादकता को बढ़ाया जा सके. 

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क्लोन calf पूरी तरह से स्वस्थ हैं 

ये दोनों उच्च दूध देने वाली भैंस का क्लोन है जिस की पैदावार अपने पांचवें स्तनपान में 6000 किलोग्राम दर्ज की गई है. डॉक्टर मनोज कुमार और कुमारी रिंका का कहना था कि एक क्लोन भैंस से 1 साल में 10 बच्चों का जन्म हो सकता है. जो दूध के क्षेत्र में एक नई क्रांति होगी. 
(इनपुट- चंदर प्रकाश)

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