
यूएई में क्लासिक कारों का शौक सिर्फ पुरानी गाड़ियों को संजोने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक संस्कृति, इतिहास और विरासत को जीवंत रखने का जरिया भी बन चुका है. फलाज अल-मुआल्ला क्लासिक कार्स सेंटर के प्रमुख खलीफा ओबैद अल घुफली इस जुनून को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं. उनके पास 200 से अधिक दुर्लभ और क्लासिक कारों का शानदार कलेक्शन है, जिसमें कई ऐतिहासिक महत्व की गाड़ियां भी शामिल हैं.
कैसे शुरू हुआ अल घुफली का क्लासिक कारों के प्रति प्यार?
60 साल के खलीफा ओबैद अल घुफली का क्लासिक कारों के प्रति प्रेम बचपन से ही शुरू हो गया था. उनकी दिलचस्पी तब बढ़ी जब उन्होंने विदेश यात्राओं के दौरान इन पुरानी गाडियों की बारीकियों को करीब से देखा और समझा. धीरे-धीरे यह शौक एक जुनून और मिशन में बदल गया.
वो कहते हैं मेरे लिए ये कारें सिर्फ धातु और मशीनरी नहीं हैं, बल्कि इतिहास के जीवंत टुकड़े हैं. उनका मानना है कि हर क्लासिक कार में एक अनोखी कहानी होती है, जो अपने समय की संस्कृति और तकनीकी विकास को दिखाती है.
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क्लासिक कारों को बचाने और नई पीढ़ी को जोड़ने का मिशन
खलीफा ओबैद अल घुफली ने 2011 में क्लासिक कारों के संरक्षण और पुनर्स्थापना (रेस्टोरेशन) का काम शुरू किया. उनकी यह पहल सिर्फ खुद के लिए नहीं थी, बल्कि वे इस कला को युवाओं तक पहुंचाना चाहते थे. इसी मकसद से उन्होंने हर साल गर्मियों की छुट्टियों में 12 से अधिक उम्र के 40-50 छात्रों को क्लासिक कारों की रेस्टोरेशन ट्रेनिंग देना शुरू किया.
उनका यह प्रयास यूएई के सामुदायिक विकास मंत्रालय तक पहुंचा और इस साल उन्हें फलाज अल मुआल्ला युवा केंद्र में प्रशिक्षण की जगह मिली. यहां उन्होंने हाई स्कूल के छात्रों को सिर्फ एक महीने के भीतर दो क्लासिक कारों को पूरी तरह से रिस्टोर करना सिखाया.