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मुंबई में रहती थी, जीने का मन नहीं था... दीपिका पादुकोण ने बताया कैसे डिप्रेशन से बाहर आईं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'परीक्षा पे चर्चा' के आठवें संस्करण में देशभर के छात्रों से जुड़े. अब दूसरे एपिसोड में दीपिका पादुकोण स्टूडेंट्स संग स्कूल की यादें ताजा करते और मेंटल हेल्थ पर चर्चा करती नजर आईं.

दीपिका पादुकोण ने बताई डिप्रेशन की कहानी दीपिका पादुकोण ने बताई डिप्रेशन की कहानी
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 12 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 12:58 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'परीक्षा पे चर्चा' के आठवें संस्करण में देशभर के छात्रों से जुड़े. सोमवार को प्रसारित इस इंटरेक्टिव सेशन में पीएम मोदी ने स्मार्ट न्यूट्रिशन, परीक्षा के दबाव से निपटने और लीडरशिप के मूल मंत्रों पर अपने विचार शेयर किए.

अब इस चर्चित कार्यक्रम के दूसरे एपिसोड में दीपिका पादुकोण नजर आईं. वो स्टूडेंट के साथ स्कूल के दिनों की यादें ताजा करती दिखीं, जहां वह स्टूडेंट्स के साथ खुलकर बात की.

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दीपिका पादुकोण 'परीक्षा पे चर्चा' में बेहद खुलकर और भावनात्मक रूप से अपनी डिप्रेशन से जूझने की कहानी भी शेयर की. उन्होंने छात्रों को अपनी ताकतों पर विचार कर उन्हें लिखने की सलाह दी.

'खुद को एक्सप्रेस करें'

दीपिका अपने स्कूल के दिनों को याद करते हुए बताती हैं कि मैं कई चीजों में इन्वॉल्व थी. स्कूल, स्पोर्ट्स और फिर मॉडलिंग. 2014 में एक दिन अचानक बेहोश हो गई, और कुछ दिनों बाद अहसास हुआ कि मुझे डिप्रेशन था.

कुछ लोग डिप्रेशन महसूस कर रहे होते हैं, लेकिन हमें इसका पता नहीं चलता. मैंने भी पहले किसी को नहीं बताया था. मैं मुंबई में अकेली रहती थी, लेकिन इस एहसास को किसी से शेयर नहीं करती थी.

जब मेरी मम्मी मुंबई आईं और कुछ दिन बाद वापस गईं, तो मैं अचानक रोने लगी. मुझे पूरी तरह निराशा महसूस हो रही थी, जीने की इच्छा खत्म हो गई थी. फिर मैंने एक साइकोलॉजिस्ट को कॉल किया, और जब इस बारे में खुलकर बात की, तो खुद को हल्का महसूस किया.

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'डिप्रेशन मुझे कैसे हो सकता है'

कई लोग यही सोचते हैं कि मुझे डिप्रेशन कैसे हो सकता है? मैं भी ऐसा ही सोचती थी, लेकिन सच ये है कि डिप्रेशन किसी को भी हो सकता है. इस अनुभव के बाद मेरी मेंटल हेल्थ को लेकर जागरूकता की जर्नी शुरू हुई, और मैंने समझा कि इसका सही समाधान बातचीत और समझ से ही संभव है.

'मेंटल हेल्थ के लिए सबसे जरूरी है भरपूर नींद'

स्टूडेंट्स को सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि मेंटल हेल्थ के लिए सबसे जरूरी है भरपूर नींद और सूरज की रोशनी. साथ ही, अपनी भावनाओं को साझा करने में कभी हिचकिचाएं नहीं. यह स्वाभाविक है कि लोग सुने जाने और देखे जाने की इच्छा रखते हैं, इसलिए खुलकर बात करने में संकोच न करें. अपने विचारों को साझा करके आप अपनी चिंताओं को हल्का कर सकते हैं और बेहतर महसूस कर सकते हैं.
 

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