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बेटे की मौत, काटने पड़े दोनों हाथ और पैर... लेकिन नहीं टूटी हिम्मत, धारा की ये कहानी एक मिसाल है!

ये धारा शाह हैं, जिन्होंने जिंदगी में तमाम गमों के पहाड़ों को अपने हौसले से पार कर लिया. उन्होंने वो दिन देखे, जिनकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता. आज उनकी कहानी दुनिया के लिए एक प्रेरणा है.

लोगों को प्रेरित करती है धारा शाह की कहानी (तस्वीर- इंस्टाग्राम) लोगों को प्रेरित करती है धारा शाह की कहानी (तस्वीर- इंस्टाग्राम)
Shilpa
  • नई दिल्ली,
  • 15 मई 2023,
  • अपडेटेड 11:59 AM IST

'लोग जिस हाल में मरने की दुआ करते हैं, मैं ने उस हाल में जीने की क़सम खाई है', अमीर कजलबाश के इस शेर को जीवन में हिम्मत के तौर पर देखा जाता है. कितनी भी मुश्किल हो जीवन में गिर कर उठ खड़े होने का जज्बा बना रहना चाहिए. ऐसे में हिम्मत और जज्बे की तमाम कहानियों के बीच कजलबाश का यह शेर धारा शाह पर एकदम फिट बैठता है. मुश्किल से मुश्किल समय में भी कैसे जीवन का दामन थामे रहना है सिखाने वाली धारा शाह सोशल मीडिया पर काफी चर्चित हैं.  

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धारा ने जिंदगी में जिस दर्द का सामना किया है, उसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता. बावजूद इसके वो एक बार फिर जी उठी हैं. और अब लोगों को जीना सिखा रही हैं. धारा अमेरिका में अपने परिवार के साथ रहती हैं. उनका यूट्यूब चैनल भी है. इंटरनेट पर शेयर उनकी कहानी साल 2013 से शुरू होती है. जब उनकी शादी हुई. उनके पति का नाम सिद्धार्थ है. शादी के बाद बाकी लड़कियों की तरह वो भी काफी खुश थीं.

तब धारा भविष्य में मिलने वाले दर्द से अनजान थीं. सब बहुत अच्छा चल रहा था, फिर 2018 में वो प्रेग्नेंट हुईं. प्रेग्नेंसी के दौरान के वो 9 महीने बेहद खूबसूरत रहे. वो अपने होने वाले बच्चे का इंतजार कर रही थीं. धारा 27 घंटे तक लेबर पेन में रहीं. उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया. मगर डिलीवरी वाले दिन ही कुछ ऐसा हुआ, जिससे पूरा परिवार टेंशन में आ गया. 

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बेटे की झलक देखते ही बेहोश हुईं

अपने बेटे माहिर की एक झलक देखते ही धारा बेहोश हो गईं. डिलीवरी के बाद उन्हें काफी ब्लड लॉस हुआ था. वो छह दिन तक कोमा में रहीं. यहीं से उनकी जिंदगी में एक के बाद एक मुसीबतें आईं. उनके हाथ और टागों पर गैंग्रीन फैलना शुरू हो गया. ये एक जानलेवा बीमारी है. इसमें शरीर पर घाव बनता है. जिसके बाद उस स्थान पर रक्त प्रवाह रुक जाता है और टिश्यूज नष्ट होने लगते हैं. इसके लगातार फैलने के बाद प्रभावित अंग को शरीर से अलग करना पड़ता है.

डॉक्टरों को धारा के दोनों हाथ और दोनों टांगें शरीर से अलग करने पड़े. वो अब अपने बेटे को गोद में नहीं ले सकती थीं. उसे केवल दूर से देख पा रही थीं. इतना सब होने पर भी उनके चेहरे से मुस्कुान नहीं गई. धारा 4.5 महीने बाद अस्पताल से घर लौटीं. अपने बेटे को सीने से लगाकर वो इस गम को कम कर रही थीं. मगर अब एक और बड़ी मुसीबत उनका इंतजार कर रही थी. 

जब हमेशा के लिए चला गया बेटा

एक दिन धारा से उनके पति ने कहा कि बेटे माहिर को जेनेटिक डिसऑर्डर है. उस दिन धारा बुरी तरह टूट गईं. वो बेटे के लिए सबकुछ करने को तैयार थीं. लेकिन एक दिन खेलते वक्त उसने अपनी आंखें मूंद लीं. उन्होंने अपने दिल के टुकड़े को हमेशा के लिए खो दिया. इन सबसे धारा गहरे दर्द चली गईं. उनका कहना है कि माहिर ने एक छोटी सी जिंदगी जी, लेकिन उसने उन्हें दोबारा जी उठने की प्रेरणा भी दी. 

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अब धारा ने व्हीलचेयर से अपने पैरों पर खड़ा होने की कोशिश की और एक दिन उन्हें इसमें सफलता मिल गई. ये उनके लिए काफी खुशी का दिन था. अब वो किसी पर निर्भर नहीं थीं. वो खुद से चल पा रही थीं. धारा ने इतना सब सहा लेकिन कभी हिम्मत नहीं हारी. उनका कहना है कि जिंदगी कितनी भी कठिन क्यों न हो जाए, अपनी लड़ाई लड़ो. 

धारा के इंस्टाग्राम पर 18 हजार से ज्यादा फॉलोअर्स हैं. यहां वो अपनी रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़े वीडियो और तस्वीरें शेयर करती हैं. उनकी कहानी से लोगों को जिंदगी जीने की प्रेरणा मिलती है. उनके दुख के बारे में जानकर लोग अपने दुख भुला देते हैं.  

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