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क्या होती है डर्टी वेलनेस, फिट रहने के लिए दुनियाभर में ये ट्रेंड फॉलो कर रहे लोग

बागबानी यानी गार्डनिंग करने वालों की मेंटल और फिजिकल हेल्थ पर इसका बड़ा असर देखा गया है. गार्डनिंग से फिट रहने में मदद मिलती है और इससे प्रकृति के पास आने का मौका मिलता है. जीवन में बदलाव के लिए इस ट्रेंड को अपनाने वाले लोग मिट्टी के साथ खेलते हैं और नंगे पैर घास पर चलते हैं.

फिट रहने का नया ट्रेंड फिट रहने का नया ट्रेंड
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 28 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 8:08 PM IST

दुनिया में कुछ न कुछ नया होता रहता है और नए ट्रेंड हमेशा से चर्चा का विषय बनते हैं. फैशन से लेकर म्यूजिक और फिटनेस ट्रेंड तेजी से एक जगह से दूसरी जगह फॉलो किए जाते हैं. पिछले दिनों ऐसा ही ट्रेंड देखने को मिला जिसे 'डर्टी वेलनेस' का नाम दिया गया है. फिट रहने के लिए 'बैक टू बेसिक' की थीम पर आधारित ये ट्रेंड काफी आकर्षक है और लोग फिट रहने के लिए इसे डेली रुटीन का हिस्सा बना रहे हैं. खास तौर पर मेंथल हेल्थ के लिए ये काफी असरदार माना जा रहा है.

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प्रकृति के करीब आने का मौका

ग्लोबल वेलनेस समिट के मुताबिक साल 2022 में 'डर्टी वेलनेस' को नंबर वन ट्रेंड माना गया था. इस समिट के दौरान दुनियाभर में फॉलो किए जाने वाले फिटनेस आइडिया के आधार पर सबसे पॉपुलर ट्रेंड को चुना जाता है और इसमें डर्टी वेलनेस सबसे प्रचलित आइडिया था. लोगों ने अपनी फिजिकल और मेंथल हेल्थ में सुधारने के लिए इसका सहारा लिया. इस फिटनेस ट्रेंड में धरती और प्रकृति की तरफ झुकाव पर फोकस किया जाता है और इनसे जुड़कर खुद को फिट रखा जाता है. 

समिट के दौरान चर्चा में यह पाया गया कि हमारे पूर्वज जमीन से जुड़कर ही रहते थे, चाहे वह किसान हों या फिर जंगलों में रहने वाले लोग. लेकिन विकास के साथ-साथ जंगलों की जगह ऊंची इमारतों ने ले ली और हम मिट्टी से दूर होते चले गए. इसके अलावा आबादी और प्रदूषण की वजह से मिट्टी ने भी अपनी उत्पादकता खो दी. अब उनकी जगह केमिकल्स आ गए हैं जिसका असर हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ा है. तनाव और डिप्रेशन उसके नतीजे के तौर पर सभी के सामने हैं.

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मड बाथ का बढ़ता चलन

बागबानी यानी गार्डनिंग करने वालों की मेंटल और फिजिकल हेल्थ पर इसका बड़ा असर देखा गया है. गार्डनिंग से फिट रहने में मदद मिलती है और इससे प्रकृति के करीब आने का मौका मिलता है. जीवन में बदलाव के लिए इस ट्रेंड को अपनाने वाले लोग मिट्टी के साथ खेलते हैं और नंगे पैर घास पर चलते हैं. यह सब नया बिल्कुल नहीं है, लेकिन इसे आधुनिकता की दौड़ में भुला दिया गया है. खुद को मिट्टी में लपेट लेना या कहें कि थोड़ा डर्टी रहना हमारे स्वास्थ्य पर असर डालता है. 

फोटो: (इंस्टाग्राम doctordoom_13)

मिट्टी हमारे इकोसिस्टम की सबसे खास चीज मानी जाती है और इंसानों के लिए इससे जुड़ना काफी जरूरी है. यही वजह है कि आजकल मड बाथ और सॉइल बाथ जैसे ट्रेंड देखने को मिलते हैं, जो इसी का हिस्सा हैं. लोग अपने घरों में गार्डनिंग करते हैं, छोटे-छोटे फार्म बनाते हैं ताकि वह किसी न किसी रूप में मिट्टी से जुड़े रहें. इस ट्रेंड के मुताबिक जिम में पसीना बहाने से ज्यादा बेहतर सुबह के वक्त घास पर नंगे पैर ठहलना माना गया है. 

ऐसी कई स्टडी हैं जिनमें नंगे पैर घास, मिट्टी, कीचड़ पर चलने के फायदे बताए गए हैं. इसके अलावा अपनी नींद को बेहतर बनाने और रुटीन को ठीक करने से भी हम फिट रह सकते हैं. इससे शारीरिक तनाव के अलावा मेंटल स्ट्रेस और नर्वस सिस्टम पर भी असर पड़ता है. खून को पतला करने से लेकर चोट ठीक करने में मड बाथ से मदद मिलती है और आप हार्ट डिजीज से भी बच सकते हैं.
 

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