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...जब कुत्ते ने बर्फीले हालात में फंसे 8 ट्रैकरों की बचाई जान

कहा जाता है कि जानवरों में कुत्ते सबसे वफादार होते हैं. ये बात एक बार फिर साबित हो गई है. हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में बर्फीले हालात के बीच एक कुत्ते ने आठ ट्रैकरों की जान बचाई. ये लोग पिछले चार दिनों से बर्फीले तूफान में फंसे हुए थे.

कुल्लू में एक कुत्ते ने बचाई 8 ट्रैकर्स की जान कुल्लू में एक कुत्ते ने बचाई 8 ट्रैकर्स की जान
अंजलि कर्मकार
  • मनाली,
  • 19 मार्च 2016,
  • अपडेटेड 2:14 PM IST

कहा जाता है कि जानवरों में कुत्ते सबसे वफादार होते हैं. ये बात एक बार फिर साबित हो गई है. हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में बर्फीले हालात के बीच एक कुत्ते ने आठ ट्रैकरों की जान बचाई. ये लोग पिछले चार दिनों से बर्फीले तूफान में फंसे हुए थे.

तीन दिनों के गहन खोजबीन के बाद आठ ट्रैकरों को हेलीकॉप्टर की मदद से सुरक्षित जगह पहुंचाया गया. सभी ट्रैकर चार दिनों तक जिस हालात में रहे, उस हालात में आमतौर पर कोई जिंदा नहीं बच पाता.

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ट्रैकरों ने सुनाई आपबीती
पंजाब के 'संत लोंगोवाल इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नॉलजी' के सात छात्र और उनके ट्रैकिंग गाइड को कुल्लू जिले में बिताए गए वो चार दिन जिंदगी भर याद रहेंगे. ट्रैकर सौरव शर्मा ने बताया, 'एक आवारा कुत्ता चार दिनों तक हमारे साथ रहा. हम जब बिजलेश्वर महादेव मंदिर से चंद्रखानी पर्वत की ओर जा रहे थे. तभी से वह हमारे पीछे-पीछे आ गया था.'

कुत्ता बना ट्रैकिंग का नौवां सदस्य
ट्रैकर ने बताया, 'हमने उस कुत्ते को भगाने की कोशिश की, लेकिन वह टस से मस नहीं हुआ. कुछ समय बाद वह ट्रैकिंग टीम का नौवां सदस्य बन गया और खतरनाक रास्तों पर इंसानों का दोस्त बनकर चलता रहा.

खराब मौसम में की मदद
सौरव ने कहा, 'हमने कुत्ते को जब भी खाने को दिया, उसने नहीं खाया. जब मौसम खराब होने और बर्फ गिरने पर हम रास्ता भटक गए. ऐसे हालात में कुत्ता हमारे आगे-आगे चलने लगा. ट्रैकर सौरव ने बताया, 'बर्फबारी के बीच मैं और मेरे साथी एक सुनसान जगह पर फंस गए. ये जगह बिजलेश्वर महादेव मंदिर से करीब आठ किलोमीटर दूर थी. हमने वहीं टेंट लगाया, लेकिन कुत्ता टेंट के अंदर नहीं आया और बाहर ही खड़े होकर निगरानी करता रहा.

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कुत्ते ने ऐसे बचाई जान
सभी ट्रैकर 78 घंटों तक बिना खाने और पर्वतारोहण के लिए जरूरी सामानों के सुनसान जगह पर फंसे रहे. ट्रैकरों की टीम में शामिल अनिल कुमार ने कहा कि बिजलेश्वर महादेव मंदिर कुल्लू शहर से 15 किलोमीटर दूर है. कुत्ते ने खराब रास्ते और घने जंगलों के बीच उनलोगों की मदद की. अनिल ने कहा, 'हेलीकॉप्टर को देखकर हमने शोर मचाया और अपने कम्बल हवा में लहराएं। कुत्ता भी अपनी ओर से संकेत देने के लिए लगातार भौंकता रहा.'

14 मार्च को पहुंची रेस्क्यू टीम
ट्रैकरों को खोजने के लिए रेस्क्यू टीम ने 11 मार्च को ऑपरेशन शुरू किया था. इसमें प्राइवेट कंपनी हिमालय हेली एडवेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड के स्विस पर्वतारोही विशेषज्ञों ने मदद की. रेस्क्यू टीम चंद्रकरणी चोटी के करीब 12 हजार फीट की ऊंचाई पर पहुंची. उस समय मौसम बेहद खराब था. दो दिनों की गहन खोजबीन के बाद स्विस रेस्क्यू टीम ने आठ ट्रैकरों को खोज निकाला और उन्हें हेलीकॉप्टर से सुरक्षित जगह पर पहुंचाया. इस ऑपरेशन में पुलिस, लोकल लोगों और भारत-तिब्बत बॉर्डर पुलिस के जवानों सहित कुल 100 लोगों की टीम को शामिल किया था. अधिकारियों ने कहा कि तमाम कोशिशों के बाद भी कुत्ते को सुरक्षित नहीं बचाया जा सका.

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