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क्या आने वाला है महाविनाश? 2025 के लिए डूम्सडे क्लॉक में प्रलय सिर्फ 89 सेकंड दूर

78 साल के इतिहास में डूम्सडे क्लॉक की सुई आधी रात के सबसे करीब पहुंच चुकी है. साल 2025 के लिए इस घड़ी की सुइयों को वैज्ञानिकों ने आधी रात से 89 सेकंड पहले सेट किया है. इसका मतलब है कि पहले से कहीं ज्यादा दुनिया तबाही के करीब है.

 89 सेकंड पर सेट हुई डूम्सडे क्लॉक की सुइयां (रॉयटर्स) 89 सेकंड पर सेट हुई डूम्सडे क्लॉक की सुइयां (रॉयटर्स)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 29 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 7:20 PM IST

दुनिया अब विनाश के एक और सेकंड नजदीक आ गई है. वैज्ञानिकों के अनुसार, साल 2025 के लिए डूम्सडे क्लॉक (प्रलय की घड़ी) अब 89 सेकंड पर आ गई है, जो पिछले वर्ष की तुलना में एक सेकंड आगे बढ़ गई है. यह घड़ी अब तक के इतिहास में आधी रात के सबसे करीब पहुंच चुकी है, जो संकेत देती है कि हम वैश्विक तबाही के और निकट आ गए हैं. आधी रात यानी 12 बजे को प्रतीकात्मक रूप से प्रलय का समय माना गया है. 

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हर साल जनवरी में, बुलेटिन ऑफ एटॉमिक साइंटिस्ट्स (BAS), डूम्सडे क्लॉक का नया समय निर्धारित करता है. यह एक प्रतीकात्मक घड़ी है जो मानवता को मानव-निर्मित आपदा के करीब या दूर दिखाती है. पिछले साल, यह घड़ी आधी रात से 90 सेकंड दूर थी, जो इतिहास में अब तक का सबसे खतरनाक समय था. इस साल, स्थिति और गंभीर हो सकती है. इस साल BAS ने घड़ी की सुइयों को 89 सेकंड पर सेट किया है. 

डूम्सडे क्लॉक क्या है?
डूम्सडे क्लॉक मानव-निर्मित आपदाओं जैसे परमाणु युद्ध, जलवायु परिवर्तन, एआई, और जैविक हथियारों के खतरे को मापने के लिए प्रतीकात्मक पैमाना है. इसे सबसे पहले 1947 में BAS द्वारा समूह की मासिक पत्रिका के मुखपृष्ठ के रूप में बनाया गया था, लेकिन तब से यह मानवता के जोखिम का एक प्रमुख माप बन गया है. यह संगठन हर साल जनवरी में इस घड़ी के समय का अपडेट देता है. यदि घड़ी आगे बढ़ती है, तो यह दुनिया की बिगड़ती स्थिति को दर्शाता है, और यदि यह पीछे जाती है, तो इसका मतलब है कि खतरे कम हुए हैं.

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वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी 
यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो में बोर्ड के सदस्य और भौतिक विज्ञानी डैनियल होल्ज ने कहा कि हमने घड़ी को आधी रात के करीब सेट किया है. क्योंकि हम अपने सामने आने वाली वैश्विक चुनौतियों पर पर्याप्त सकारात्मक प्रगति नहीं देखते हैं. उन्होंने कहा कि डूम्सडे क्लॉक को आधी रात से 89 सेकंड पहले सेट करना सभी विश्व नेताओं के लिए एक चेतावनी है.

डूम्सडे क्लॉक क्यों आगे बढ़ी?
इस साल घड़ी का समय 89 सेकंड तक आगे बढ़ाने के कई प्रमुख वजहें इस प्रकार हैं - 

रूस-यूक्रेन युद्ध – 2022 से जारी यह युद्ध यूरोप में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का सबसे भयंकर संघर्ष है. हाल ही में, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने परमाणु हमले की स्थिति को लेकर अपनी नीति में बदलाव किया है, जिससे वैश्विक चिंता बढ़ गई है.

मध्य पूर्व में जारी संघर्ष – इजराइल-गाजा युद्ध और ईरान समेत अन्य देशों की भागीदारी ने इस क्षेत्र को और अस्थिर बना दिया है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह तनाव किसी भी समय बड़े युद्ध में बदल सकता है.

परमाणु हथियारों का खतरा – उत्तर कोरिया लगातार नई मिसाइलों का परीक्षण कर रहा है, वहीं चीन और ताइवान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच यह तनाव दुनिया के लिए बड़ा खतरा है.

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जलवायु परिवर्तन – 2023 को अब तक का सबसे गर्म साल दर्ज किया गया. पिछले दस सालों में लगातार तापमान बढ़ा है, जिससे प्राकृतिक आपदाओं की संख्या भी बढ़ रही है. वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन पर पर्याप्त कदम नहीं उठाए जा रहे हैं.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का बढ़ता खतरा – पिछले एक साल में AI में जबरदस्त उन्नति हुई है। विशेषज्ञों को डर है कि AI का सैन्य इस्तेमाल और परमाणु हथियारों में इसका दखल भविष्य में गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है. इसके अलावा, AI से जुड़े डिजिटल गलत सूचना (फेक न्यूज़) और साइबर युद्ध का खतरा भी बढ़ता जा रहा है.

यह भी पढ़ें: डूम्सडे क्लॉक... जो टाइम नहीं, बताती है कब आएगा प्रलय? जिन दिन 12 पर पहुंची, उस दिन....

क्या डूम्सडे क्लॉक सच में खतरे का संकेत देती है?
यह घड़ी कोई असली घड़ी नहीं है, बल्कि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों का एक सांकेतिक संकेत है, जो हमें बताता है कि हम मानव-निर्मित आपदा से कितने करीब हैं. इसे हर साल बुलेटिन ऑफ एटॉमिक साइंटिस्ट्स की विज्ञान और सुरक्षा कमेटी तय करती है, जिसमें 13 नोबेल पुरस्कार विजेता भी शामिल रहे हैं.

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