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वो देश, जो यूएस से निकाले गए लोगों को पैसे लेकर अपनी जेलों में रखने को तैयार

अमेरिका अवैध प्रवासियों को डिपोर्ट करने को लेकर सख्त हो गया है. ऐसे में अल सल्वाडोर ने अपने जेल में निर्वासित लोगों और अमेरिका के कैदियों को रखने की पेशकश की है.

सैन साल्वाडोर से 74 किमी दक्षिण-पूर्व में टेकोलुका में नया जेल "आतंकवादी कारावास केंद्र" (सीईसीओटी) (फोटो - गेटी इमेजेज) सैन साल्वाडोर से 74 किमी दक्षिण-पूर्व में टेकोलुका में नया जेल "आतंकवादी कारावास केंद्र" (सीईसीओटी) (फोटो - गेटी इमेजेज)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 04 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 1:33 PM IST

अल सल्वाडोर ने अमेरिका के हिंसक अपराधियों को रखने और किसी भी राष्ट्रीयता के निर्वासित लोगों को स्वीकार करने पर सहमति जताई है. दोनों देशों के अधिकारियों ने सोमवार को यह घोषणा की. ट्रंप प्रशासन के साथ हुआ यह समझौता आलोचकों और मानवाधिकार संगठनों के लिए चिंता का विषय बन गया है.

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने सोमवार को अल सल्वाडोर के राष्ट्रपति नायब बुकेले से मुलाकात के बाद इस समझौते की घोषणा की. रुबियो इस समय कई मध्य अमेरिकी देशों का दौरा कर रहे हैं, ताकि ट्रंप प्रशासन की माइग्रेशन पॉलिसी को आगे बढ़ाया जा सके.

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अल सल्वाडोर के साथ अमेरिका का समझौता
रुबियो ने कहा कि हमारे देश के प्रति असाधारण मित्रता के रूप में अल सल्वाडोर ने दुनिया में सबसे असाधारण और अभूतपूर्व इमीग्रेशन समझौते को स्वीकार किया है. उन्होंने कहा कि यह देश अमेरिका में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले अल सल्वाडोर के नागरिकों को वापस लेता रहेगा.

अमेरिका में के अन्य अवैध प्रवासियों को अल सल्वाडोर की जेल में रखा जा सकेगा 
रुबियो ने कहा कि अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे किसी भी अपराधी, चाहे वह किसी भी राष्ट्रीयता का हो, जैसे कि MS-13 या Tren de Aragua गिरोह का सदस्य हो, को निर्वासित कर स्वीकार करेगा और उन्हें अपनी जेलों में रखेगा.  इसके अलावा, बुकेले अमेरिका में हिरासत में रखे गए खतरनाक अमेरिकी अपराधियों को भी अपनी जेलों में रखने की पेशकश कर रहे हैं, चाहे वे अमेरिकी नागरिक ही क्यों न हों. 

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कैदियों को रखने के बदले भुगतान करेगा अमेरिका
बुकेले ने इस समझौते की पुष्टि करते हुए एक्स पर लिखा कि हम केवल दोषी अपराधियों (जिसमें अमेरिकी नागरिक भी शामिल हैं) को अपने मेगा-प्रिजन (CECOT) में रखने को तैयार हैं, लेकिन इसके बदले एक शुल्क लिया जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि यह शुल्क अमेरिका के लिए अपेक्षाकृत कम होगा, लेकिन हमारे लिए महत्वपूर्ण होगा और इससे हमारी पूरी जेल व्यवस्था आत्मनिर्भर बन सकेगी.

आ सकती हैं कानूनी अड़चनें
यह स्पष्ट नहीं है कि अमेरिकी सरकार इस प्रस्ताव को स्वीकार करेगी या नहीं, क्योंकि अमेरिकी नागरिकों को निर्वासित करने की वैधता पर सवाल उठाए जा रहे हैं. मानवाधिकार संगठनों ने इस कदम की निंदा की है. एक प्रमुख लैटिन अधिकार संगठन लीग ऑफ यूनाइटेड लैटिन अमेरिकन सिटीजन्स (LULAC) ने इसे अमेरिका के लिए दुखद दिन बताया.

कई संगठनों ने की इस नीति की आलोचना 
LULAC के राष्ट्रीय अध्यक्ष रोमन पालोमारेस ने कहा कि हम इस बात का विरोध करते हैं कि गैर-आपराधिक डिपोर्ट किए गए लोगों  के साथ मवेशियों की तरह व्यवहार करें. उन्हें उनके मूल देश भेजने की परवाह किए बिना कहीं भी भेज दिया जाए. वहीं इमर्सन कॉलेज की प्रोफेसर मनीषा गेलमैन ने CNN को बताया कि अमेरिका मूल रूप से लोगों को ऐसे देश में भेजने की योजना बना रहा है जो न तो उनका जन्मस्थान है और न ही वह देश जिससे वे गुजरे थे.

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अल सल्वाडोर के वामपंथी फराबुंडो मार्ती नेशनल लिबरेशन फ्रंट (FMLN) पार्टी के महासचिव मैनुअल फ्लोरेस ने भी इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि हम क्या हैं? कचरे का ढेर?

अल सल्वाडोर की मेगा-जेल में मानवाधिकार से जुड़ी समस्याएं
इस समझौते का सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि अल सल्वाडोर का कानून संदिग्ध अपराधियों और दोषी ठहराए गए अपराधियों में कोई भेद नहीं करता. 2022 से लागू आपातकालीन कानून के तहत, सरकार किसी भी व्यक्ति को सिर्फ गिरोह का संदिग्ध सदस्य होने के आधार पर गिरफ्तार कर सकती है. बुकेले ने इसे सुरक्षा का समाधान बताते हुए दुनिया में सबसे ज्यादा कैदियों वाला देश बना दिया है, लेकिन एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसे संगठनों का कहना है कि इनमें से 80,000 से अधिक कैदी निर्दोष हो सकते हैं.

ट्रंप प्रशासन की प्रतिक्रिया और आप्रवासन नीति
ट्रंप प्रशासन ने बुकेले की गिरोह विरोधी मुहिम की सराहना की है. ट्रंप का दावा है कि MS-13 और Tren de Aragua जैसे गिरोह अमेरिकी शहरों को अपने कब्जे में ले रहे हैं, हालांकि इसके कोई प्रमाण नहीं हैं.

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