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88 साल के बुजुर्ग ने फल वाले के नाम की सारी प्रॉपर्टी, फ्लैट की कीमत 3.84 करोड़, सामने आई वजह

बुजुर्ग शख्स ने अपनी सारी संपत्ति और पैसा एक फल वाले के नाम कर दिया. इससे उनके रिश्तेदारों को झटका लगा. मामला कोर्ट तक पहुंच गया. फैसला फल वाले के हक में आया है.

बुजुर्ग शख्स ने अपनी पूरी प्रॉपर्टी फल वाले को दी (प्रतीकात्मक तस्वीर- Pexels) बुजुर्ग शख्स ने अपनी पूरी प्रॉपर्टी फल वाले को दी (प्रतीकात्मक तस्वीर- Pexels)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 25 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 12:17 PM IST

एक 88 साल के बुजुर्ग शख्स ने अपनी सारी प्रॉपर्टी फल बेचने वाले एक शख्स के नाम कर दी. उसके फ्लैट की कीमत ही 3.84 करोड़ रुपये से अधिक है. बुजुर्ग के इस फैसले से उसके रिश्तेदारों को झटका लगा. मगर जब इसके पीछे की वजह सामने आई, तो लोगों ने बुजुर्ग शख्स को ही सही ठहराया.

ये मामला चीन के शंघाई का है. यहां मा नामक शख्स ने तीन साल पहले ये फैसला लिया कि वो अपनी सारी प्रॉपर्टी फल बेचने वाले के नाम कर देंगे. जिससे उनका खून का रिश्ता भी नहीं है. उन्होंने ये सब अपनी वसीयत में लिखवा दिया.
   
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, फल विक्रेता का नाम लियु है. उसके नाम मा ने ये प्रॉपर्टी इसलिए की क्योंकि उसने मौत से पहले के आखिरी सालों में बुजुर्ग की काफी देखभाल की थी. कुछ साल पहले लियु अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ मा के घर रहने आ गए. पूरे परिवार ने इस दौरान उनका ख्याल रखा.

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फिर 31 दिसंबर, 2021 में बुजुर्ग शख्स मा की मौत हो गई. तब उनकी तीनों बहनों ने बैंक अकाउंट सर्टिफिकेट लियु को देने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि अपने भाई की प्रॉपर्टी में उनका अधिकार है. काफी परेशान होने के बाद लियु ने कोर्ट का रुख किया. 

मा की तीनों बहनों ने कहा कि ये बात गलत है कि उनके बुजुर्ग भाई ने अपनी मौत से पहले 2020 में लियु के साथ एक अग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए थे. जिसमें लिखा था कि जीते जी लियु ही उनकी देखभाल करेगा और मौत के बाद उनकी सारी प्रॉपर्टी भी उसे ही मिल जाएगी.

इन्होंने दावा किया कि मा की मानसिक हालत ठीक नहीं थी. उन्हें भूलने की बीमारी हो गई थी. ऐसे वक्त में उनसे दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवाए गए. हालांकि नोटरी अधिकारियों ने रिश्तेदारों के इस दावे को नकार दिया. उन्होंने कहा कि बुजुर्ग शख्स की मानसिक हालत एकदम ठीक थी.

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इसी महीने बाओशान डिस्ट्रिक्ट पीपल्स कोर्ट ने मामले में फैसला सुनाया. न्यायाधीशों ने कहा कि अग्रीमेंट वैध है और आदेश दिया कि मा का घर, पैसा सबकुछ लियु को दे दिया जाए. रिपोर्ट्स के अनुसार, लियु मा के घर के पास ही फल बेचते हैं. एक दिन दोनों की बातचीत हुई. तभी से ये एक दूसरे के काफी करीब आ गए.

मा के इकलौते बेटे की मानसिक बीमारी के चलते मौत हो गई थी. ऐसे में सबकुछ लियु ने संभाल लिया. मा के रिश्तेदारों में से कोई भी उनके बेटे के अंतिम संस्कार तक में नहीं आया. जब वो बीमार होने पर अस्पताल में भर्ती हुए तब भी कोई मिलने नहीं आया. तब भी लियु ने ही देखभाल की. ऐसे में उन्होंने अपना सबकुछ लियु को दे दिया. सोशल मीडिया पर लोग उनके इस फैसले की काफी तारीफ कर रहे हैं.

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