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अमेरिका में परमाणु दुर्घटना ड्रिल शुरू... क्या तीसरे वर्ल्ड वॉर के खतरे से जुड़ा है ये अभ्यास?

अमेरिका में न्यूक्लियर हमले को लेकर ड्रिल शुरू की गई है. एफबीआई लोगों को संभावित खतरों से बचने और निपटने के तरीके बता रहा है. ताकि, किसी भी विषम परिस्थिति का लोग सामना कर सकें.

एफबीआई ने शुरू की न्यूक्लियर ड्रिल (Pexels) एफबीआई ने शुरू की न्यूक्लियर ड्रिल (Pexels)
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 28 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 4:59 PM IST

संयुक्त राज्य अमेरिका की फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (FBI) ने न्यूक्लियर घटना के संभावित खतरे से निपटने के लिए न्यूयॉर्क में एक बड़े अभ्यास की शुरुआत की है. यह अभ्यास 28 जनवरी से शुरू होकर 31 जनवरी तक चलेगा. इस दौरान सैन्य विमान, विशेष उपकरण और कर्मचारी न्यूक्लियर खतरों की स्थिति में प्रतिक्रिया देने के लिए तैयारियां करेंगे.

डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार FBI ने बयान में कहा है कि यह अभ्यास सार्वजनिक सुरक्षा के लिए किया जा रहा है और इससे स्थानीय निवासियों को कोई खतरा नहीं होगा. यह ड्रिल 2012 से साल में दो बार देशभर में आयोजित की जाती है.

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अभ्यास का उद्देश्य और स्थान
इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य रेडियोधर्मी हमलों की स्थिति में सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा सुनिश्चित करना, प्रभावित आबादी को राहत प्रदान करना और आवश्यक सेवाओं को बहाल करना है. यह अभ्यास स्ट्रैटन एयर नेशनल गार्ड बेस, एल्बानी इंटरनेशनल एयरपोर्ट और साराटोगा काउंटी के उत्तरी हिस्से में आयोजित हो रहा है.

रूस और WWIII की बढ़ती आशंकाएं
यह अभ्यास ऐसे समय में हो रहा है जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पश्चिमी देशों को ‘लाल रेखा’ पार करने की चेतावनी दी थी. उन्होंने कहा था कि यदि पश्चिमी देश यूक्रेन युद्ध में हस्तक्षेप जारी रखते हैं, तो यह तीसरे विश्व युद्ध की ओर ले जा सकता है.

हालांकि, FBI की पब्लिक अफेयर्स ऑफिसर सारा रूएन ने स्पष्ट किया कि यह अभ्यास वर्तमान वैश्विक घटनाओं से संबंधित नहीं है. इसके लिए योजना 2024 में ही शुरू हो गई थी.

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पहले भी हुए हैं न्यूक्लियर ड्रिल्स 
पिछले वर्षों में भी इस तरह के कई अभ्यास किए गए थे. मार्च 2024 में न्यू जर्सी, डेलावेयर और इडाहो नेशनल गार्ड ने FBI के साथ मिलकर न्यूक्लियर और रेडियोलॉजिकल खतरों से निपटने का अभ्यास किया. अक्टूबर 2024 में ग्लोबल थंडर 25 नामक अभ्यास नॉर्थ डकोटा में आयोजित हुआ था. इसका उद्देश्य न्यूक्लियर सुरक्षा सुनिश्चित करना था.

हर परिस्थिति के लिए तैयार 
यह अभ्यास अमेरिका की तत्परता और न्यूक्लियर खतरों से निपटने की क्षमता को परखने का एक बड़ा प्रयास है. यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि ऐसी स्थिति में सार्वजनिक सुरक्षा और राहत कार्य प्रभावी ढंग से किया जा सके.

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