
ज़िंदगी बहुत लंबी है, मगर दुनिया तो गोल है... ये बातें आपने बचपन से अभी तक कई बार सुनी होंगी. इस बड़ी सी ज़िंदगी में हम बहुत से लोगों से मिलते हैं. कुछ के साथ ताउम्र संपर्क बना रहता है, तो कुछ का साथ बचपन तक ही सिमटकर रह जाता है. मगर ज़हन में उसकी धुंधली यादें ज़रूर ज़िंदा रह जाती हैं. खासतौर पर उस ज़माने के लोगों के लिए जो बिना सोशल मीडिया, इंटरनेट के ही बड़े हुए हैं. आपके भी स्कूल के ऐसे कई दोस्त रहे होंगे, जिनके साथ आपने लंच किया, गेम्स खेले, स्कूल के बाद उसके साथ घर तक गए... मगर क्या आज भी वो दोस्त आपके साथ हैं?
शायद नहीं. मगर उनकी वो बचपन वाली झलक ज़रूर याद होगी. वो स्कूल ड्रेस, वो टिफिन बॉक्स और वो स्कूल का दरवाज़ा. लेकिन अगर आपकी उसी दोस्त से एक बार फिर मुलाकात हो जाए, 10, 20 या 30 साल बाद, तो क्या आप उसे पहचान पाएंगे? मेरे ख्याल में ज़रूर, अगर आपको उसका नाम याद हो या उसके स्कूल-शहर का नाम पता चल जाए. कुछ ऐसा ही इन दो लोगों के साथ हुआ, जिनके बारे में हम आज बात करने वाले हैं. इनकी कहानी सुनकर पूरी दुनिया एक वक्त पर भावुक हो गई थी. मगर अब फिर कई साल बाद इनकी याद लोगों के ज़हन में ताज़ा हो उठी है.
तो कहानी को शुरू से शुरू करते हैं... इसके दो किरदार हैं: पहला- आर्थुर बूथ और दूसरा- माइंडी ग्लेजर. बाकी टीनेजर्स की तरह ही आर्थुर का सपना एक सफल करियर बनाना था. वो गणित और विज्ञान में काफी अच्छे थे. परिवार और दोस्तों से हमेशा कहा करते थे कि मुझे बड़ा होकर न्यूरोसर्जन बनना है. वो मियामी बीच (अमेरिका के फ्लोरिडा राज्य में स्थित मियामी) के जिस नॉटिलस मिडिल स्कूल में पढ़ा करते थे, वहीं पर माइंडी ग्लेजर भी पढ़ती थीं. उनके भी कुछ सपने थे. पहले तो वो पशु चिकित्सक बनना चाहती थीं. लेकिन फिर वकील बनने का सोचा. वो लॉ स्कूल गईं और टॉप की वकील बन गईं.
दुनिया ने देखी दोनों की मुलाकात
ये दोनों ही अपने अपने करियर के लिए ज़िंदगी के दो अलग रास्तों पर चल दिए. फिर दशकों बाद इनकी एक बार फिर मुलाकात हुई. माइंडी ने आर्थुर को देखते ही पहचान लिया. वो बोलीं- तुम तो वही हो जिसके साथ में फुटबॉल खेला करती थी. मगर तुम यहां कैसे? दरअसल ये मुलाकात कोर्ट रूम में हुई थी. जिसमें माइंडी जज थीं और उनके सामने थे अपराधी के रूप में खड़े आर्थुर. कोर्ट रूम का वीडियो पूरी दुनिया ने देखा.
आर्थुर को जुए और ड्रग्स की लत थी. उन्होंने कई लूट की घटनाओं को अंजाम दिया था. वो पुलिस की गिरफ्त से भी भागे. सुनवाई शुरू होने पर वो ऐसे बर्ताव कर रहे थे, मानो उन्हें अपने किए पर कोई पछतावा ही न हो. मगर जब जज यानी कि माइंडी ने उनसे सवाल पूछा कि क्या आप नॉटिलस मिडिल स्कूल में पढ़ा करते थे. ये सुनकर आर्थुर फूट फूटकर रोने लगे. वो बुरी तरह टूट गए. कोर्ट रूम के इस वीडियो में दुनिया ने देखा कि कैसे स्कूल में पढ़ने वाले उन दोनों बच्चों में से एक ने तो अपना सपना पूरा कर लिया, मगर दूसरा ऐसा नहीं कर पाया.
पूर्व क्लासमेट जब आमने सामने थे
49 साल के आर्थुर के सामने उनकी पूर्व क्लासमेट माइंडी थीं. ये मुलाकात आर्थुर के स्कूल छोड़ने के बाद पहली बार हो रही थी. उनकी एक लंबी क्रिमिनल हिस्ट्री रही है. उन्होंने अपनी कम से कम आधी एडल्ट लाइफ जेल में ही गुज़ारी. वो ड्रग्स और सट्टेबाजी की लत के कारण अपराध की दुनिया में आए. उनका मकसद कम वक्त में ज़्यादा से ज़्यादा पैसा कमाना था. वो 17 साल की उम्र के बाद से ही जेल से अंदर बाहर होते रहे. जिसके कारण वो करियर नहीं बना पाए, जिसकी कभी उम्मीद किया करते थे. उनके परिवार का कहना है कि अगर वो गलत लत में न पड़ते तो जहां पहुंचे, वहां न होते.
आर्थुर चोरी और जेल से भागने के आरोप में 43,000 डॉलर के मुचलके के साथ जेल में थे. इसे माइंडी ने सेट किया था. इससे पिछले अपराध में गिरफ्तार होने के बाद वो केवल 7 महीने ही जेल से बाहर रहे थे. यहां हम साल 2015 की बात कर रहे हैं. ये वीडियो तभी का है. इस वक्त से भी 35 साल पहले विलियम जे. ब्रायंट एलीमेंट्री स्कूल में अच्छे अंक लाने के बाद ही आर्थुर नॉटिलस मिडिल स्कूल में दाखिल हो पाए थे. यहीं वो माइंडी से भी मिले थे. ये 1970 के दशक में मियामी के सबसे अच्छे स्कूलों में से एक था. आर्थुर ने उस वक्त खुद से स्पैनिश भाषा सीखी. सीधे हाथ में छह उंगलियों के साथ पैदा हुए थे, तो परिवार को लगा कि जीवन में कुछ अच्छा ही करेंगे.
1980 में आर्थुर बूथ ने नॉटिलस छोड़ा
ये बात 1980 के दशक की है, जब आर्थुर अच्छे अंकों के साथ नॉटिलस छोड़कर चले गए. वो मियामी बीच हाई स्कूल में भर्ती हुए. यहां वो 11वीं तक पढ़े. फिर ड्रॉपआउट हो गए. उस वक्त उन्हें सट्टेबाजी की लत लग चुकी थी. बस यहीं से उनकी ज़िंदगी बर्बाद होना शुरू हो गई. वो घरों और वेयरहाउस में घुसपैठ कर चोरी करने लगे. कोर्ट के रिकॉर्ड बताते हैं कि 18 साल का होने पर वो बड़ी चोरी के आरोप में जेल गए. बाद में ड्रग्स की लत लग गई. परिवार ने उन्हें इस गर्त से निकालने की खूब कोशिशें की, लेकिन वो नाकाम रहे. वो बस ड्रग्स के लिए पैसे चाहते थे, जिसके लिए उसकी तस्करी और चोरी करना ही एक रास्ता था.
1988 में 22 साल की उम्र में आर्थुर को चोरी और डकैती करने पर 20 साल की कैद हुई. पैरोल पर बाहर आने से पहले वो 10 साल तक जेल में रहे. एक तरफ आर्थुर इन सबमें पड़ चुके थे. तो दूसरी तरफ माइंडी ने मियामी यूनिवर्सिटी से आर्ट्स में बी.ए. किया. इसके बाद उन्होंने सेंट थॉमस यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ लॉ से कानून की पढ़ाई की और 1991 में टैक्स लॉ में स्पेशलाइजेशन के साथ जे.डी. में ग्रेजुएशन की उपाधि हासिल की. उन्होंने इसके बाद अपनी प्रैक्टिस शुरू कर दी. बाद में लॉ स्कूल से उन्होंने एस्टेट प्लानिंग में मास्टर डिग्री भी प्राप्त की.
वहीं दूसरी तरफ आर्थुर 32 साल की उम्र में रिहा हुए. तब ड्रग्स की लत तो जेल में रहने से छूट चुकी थी लेकिन सट्टेबाजी का शौक अब भी था. बाहर आने के एक साल के भीतर ही डकैती के अपराध में फिर जेल गए. बाकी की सजा भी पूरी करनी थी. 1997 में सड़क साफ करने के लिए बाकी कैदियों के साथ मियामी में थे. तब थोड़ी ही सजा बची थी लेकिन फिर भी जेल से भाग गए. दो महीने तक परिवार ने छिपाए रखा लेकिन फिर पकड़े गए. वहीं माइंडी साल 2000 में जज बन चुकी थीं. अब अगले 15 साल तक यानी 2015 तक आर्थुर बूथ जेल से अंदर बाहर होते रहे.
माइंडी के शब्दों ने बदली ज़िंदगी
15 साल बाद साल 2015 में आर्थुर और माइंडी आमने सामने थे. जज के तौर पर कोर्ट रूम में मौजूद माइंडी ने जब अपने पूर्व क्लासमेट की ऐसी हालत देखी तो वो हैरान रह गईं. उन्होंने कुछ ऐसे शब्द कहे, जिसके बाद आर्थुर को एहसास हुआ कि उन्होंने अपनी ज़िंदगी के कई साल बर्बाद कर दिए हैं, उन्होंने बहुत से लोगों को नीचा दिखाया है. मगर अब वो सुधरना चाहते थे. माइंडी ने उनसे कहा था, 'यह मिडिल स्कूल का सबसे अच्छा बच्चा था. मैं इसके साथ फुटबॉल खेला करती थी... और देखो क्या हो गया है.' माइंडी के मुंह से ये शब्द सुनकर आर्थुर पछतावे की आग में जलते हुए फूट फूटकर रो पड़े.
इसके बाद उन्होंने जेल में 10 महीने गुज़ारे. वो कोर्ट प्रोग्राम के तहत जल्दी रिहा कर दिए गए. लेकिन इस दौरान सब बदल गया था. अब वो पहले वाले आर्थुर नहीं रहे. जो डकैती, चोरी और पुलिस से फरार होने के मामलों में कोर्ट और जेल के चक्कर लगाया करता था. न ही अब गिरफ्तारी का कोई सवाल था. माइंडी से इस मुलाकात के बाद वो कुछ महीने जेल में रहे. फिर जब वो बाहर आए तो बोले, 'वो मेरे लिए एक प्रेरणा और प्रोत्साहन है. माइंडी अविश्वसनीय है.'
इन 10 महीनों में आर्थुर पूरी तरह बदल चुके थे. वो खूब किताबें पढ़ने लगे. उन्हें बिजनेस में इंट्रस्ट आने लगा. उन्होंने सब कुछ फिर से शुरू करने का फैसला लिया. हालांकि अब वो अपना सर्जन बनने का सपना पूरा नहीं कर सकते थे. लेकिन अपने अतीत को लेकर पछतावे की आग में भी नहीं जलना चाहते थे. जिस दिन वो जेल से बाहर आए, तब उनके परिवार के साथ माइंडी भी वहां मौजूद थीं. उन्होंने भविष्य के लिए आर्थुर को बधाई दी. उनके बाहर आने पर जश्न में शामिल हुईं. आर्थुर ने भी वादा किया कि वो अब कभी जेल नहीं जाएंगे. ड्रग्स और सट्टेबाजी से हमेशा दूर रहेंगे. वो अपने शब्दों पर कायम भी रहे.
इस कोर्ट रूम के वीडियो को वायरल हुए 6 साल से ज़्यादा का वक्त हो गया है. आर्थुर की ज़िंदगी ने भी पूरी तरह यू-टर्न ले लिया है. अब वो पहले से कहीं ज़्यादा बेहतर स्थिति में हैं. अब वो एक फार्मास्युटिकल कंपनी के मैनेजर हैं और कानून का पालन करते हुए जीवन जी रहे हैं, जैसा कि उन्होंने अपनी पूर्व क्लासमेट से वादा किया था. माइंडी ने आर्थुर से उनकी रिहाई के बाद कहा था, 'अपने परिवार का ख्याल रखना. नौकरी पाने की कोशिश करना. साफ रहना. तुम किसी और के लिए कुछ अच्छा करने जा रहे हो.' इसके जवाब में आर्थुर ने कहा था, 'तुम भरोसा करना. तुम भरोसा करना.'