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...वो संधि जिसके बाद ‘तारा सिंह की सकीना’ को भेज दिया गया था पाकिस्तान!

गदर फिल्म एक असल कहानी पर आधारित है. जिसमें भारत से एक शख्स अपनी पत्नी को वापस लाने के लिए पाकिस्तान तक चला जाता है. वो ट्रेन के आगे मिला था. उसका सुसाइड नोट भी बरामद हुआ.

कानून की वजह से पाकिस्तान गई थी असली सकीना (तस्वीर- फाइल फोटो, सोशल मीडिया) कानून की वजह से पाकिस्तान गई थी असली सकीना (तस्वीर- फाइल फोटो, सोशल मीडिया)
Shilpa
  • नई दिल्ली,
  • 04 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 2:09 PM IST

'अशरफ अली... हिंदुस्तान जिंदाबाद था, जिंदाबाद है और जिंदाबाद रहेगा'. आप सभी ने बचपन में सनी देओल और अमीषा पटेल की हिट फिल्म गदर जरूर देखी होगी. उसका ये डायलॉग काफी चर्चा में रहा था. फिल्म के कई और डायलॉग भी इसी तरह लोगों की जुबान पर चढ़ गए थे. लोगों को गदर फिल्म की कहानी काफी पसंद आई. अब जल्द ही गदर-2 फिल्म सिनामाघरों में रिलीज होने वाली है. वहीं इस फिल्म की कहानी की बात करें, तो ये असल कहानी पर आधारित है. मगर फिल्म में थोड़े बदलाव किए गए हैं. कुछ काल्पनिक चीजों को जोड़ा गया है.

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असल कहानी की हीरोइन को जबरन पाकिस्तान भेजा गया था. वो कभी वापस लौटकर भारत नहीं आई. इसके पीछे का कारण एक कानून था. उस वक्त भारत में पंडित जवाहरलाल नेहरू की सरकार थी. असल कहानी बूटा सिंह नामक व्यक्ति की है, जिसकी पत्नी का नाम जैनब था. दोनों बंटवारे के बाद शादी करके भारत में रह रहे थे. तभी 1955-1956 में कुछ ऐसा हुआ, जिससे इनकी दुनिया ही उजड़ गई.  

बूटा सिंह ने बचाई थी लड़की की जान

बूटा सिंह पंजाब के सिख सैनिक थे, उन्होंने दूसरे विश्व युद्ध में ब्रिटिश सेना के लिए लड़ाई लड़ी थी. इसके बाद वो वापस अपने घर लौट आए. इस बीच 1947 में दंगे भड़क गए. बंटवारा हुआ. उन्होंने एक मुस्लिम लड़की की जान बचाई, जो जैनब थीं. उनका परिवार भारत के पंजाब से पाकिस्तान वाले पंजाब चला गया था लेकिन वो पीछे ही छूट गईं. बूटा सिंह हीरो बनकर आए. उन्होंने जैनब की जान बचाई. उन्हें अपने घर पर रखा. इस दौरान दोनों को प्यार हो गया. फिर दोनों ने शादी कर ली. 

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शादी को 8 साल हो गए थे. कपल की दो बेटियां थीं. तभी भारत सरकार की तरफ से एक कानून लाया गया. जिसके चलते जैनाब को जबरन पाकिस्तान भेज दिया गया. असली सकीना फिल्म वाली तारा सिंह की सकीना की तरह पाकिस्तान अपनी मर्जी से नहीं गई थी, बल्कि उसे भारतीय अधिकारियों ने जबरन भेजा था. बूटा सिंह अपनी पत्नी और बेटी को वापस लाने के लिए गैर कानूनी तरीके से पाकिस्तान में दाखिल हुए. उनका वीजा रिजेक्ट हो गया था. तो ऐसे में कानूनी तरीके से जाना संभव नहीं था. वो एक मुस्लिम नाम के साथ पाकिस्तान गए. यहां आने के बाद बूटा सिंह ने अपनी पत्नी को ढूंढना शुरू किया. उन्हें पता था कि पत्नी का गांव कहां है, तो वहो वहीं जाते हैं. 

बूटा सिंह की कहानी पर बनी है गदर फिल्म (तस्वीर- सोशल मीडिया)

जैनब के परिवार ने खूब की मारपीट

घर पहुंचने पर जैनब के परिवार वाले उनके साथ खूब मारपीट करते हैं. उन्हें पुलिस के हवाले कर देते हैं. बूटा को जेल में रहना पड़ा. कई महीनों बाद जब मामले की सुनवाई हो रही थी, तो जैनब को अदालत में बुलाया गया. यहां उनसे पूछा गया कि क्या बूटा ने उन्हें जबरन अपने पास भारत में रखा था? क्या आप इनके साथ रहना चाहती हैं? इस मामले में ऐसा माना जाता है कि जैनब ने अपने परिवार के दबाव में आकर कहा कि मुझे बूटा सिंह के साथ जबरन रहना पड़ा, इन्होंने जबरदस्ती की और शादी भी मर्जी से नहीं हुई थी. 

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इससे बूटा सिंह बुरी तरह टूट गए. जिस जैनब के लिए वो इतने जतन कर पाकिस्तान आए और इतना ज्यादा टॉर्चर सहा, अब वही उनके साथ रहने से मना कर रही है. अदालत ने जैनब को उनके घर भेजने को कह दिया. जबकि बूटा सिंह को जेल में रखने या भारत भेजने का फैसला सुनाया गया. मगर बाद में वो ट्रेन के सामने पाए गए थे. पाकिस्तानी अधिकारियों ने कहा कि बूटा ने ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली है. उनके साथ उनकी बेटी भी थी, जो कि सही सलाहमत थी. उस दौरान बूटा सिंह पूरे पाकिस्तान में काफी मशहूर हो गए थे. लोग उनकी मोहब्बत और हिम्मत की तारीफ कर रहे थे. उनके निधन पर मीडिया में उन्हें 'शहीद-ए-मोहब्बत' का टाइटल दिया गया. इस पर पंजाबी भाषा में एक फिल्म भी बनी है.

सुसाइड नोट में क्या लिखा था?

अपने सुसाइड नोट में उन्होंने इच्छा जाहिर की थी कि उनके शव को पत्नी जैनब के गांव में ही दफनाया जाए, लेकिन ऐसा होने नहीं दिया गया. जिसके चलते उन्हें लाहौर में दफन किया गया. तो चलिए अब उस कानून की बात कर लेते हैं, जिसके कारण जैनब को पाकिस्तान जाना पड़ा था. 

ये कानून- एबडक्टेड पर्सन रीस्टोरेशन एंड रिकवरी एक्ट, 1949 था. कानून इसलिए लाया गया ताकि बंटवारे के दौरान किडनैप की गई महिलाओं को उनके परिवार के पास भेजा जा सके. आंकड़े कहते हैं कि बंटवारे के दौरान 75000-100,000 महिलाओं का किडनैप और रेप किया गया था. सिंतबर 1947 में दोनों देशों के प्रधानमंत्री लाहौर में मुलाकात करते हैं. दोनों तरफ की अपहृत महिलाओं को उनके परिवारों तक पहुंचाने के उद्देश्य से 6 दिसंबर, 1947 में एक ट्रीटी पर हस्ताक्षर हुए. 

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गदर-2 होने वाली है रिलीज (तस्वीर- सोशल मीडिया)

दोनों देशों में चलाया गया था ऑपरेशन

इस प्रोग्राम को सेंट्रल रिकवरी ऑपरेशन नाम दिया गया. ये दोनों देशों के पंजाब क्षेत्र में चल रहा था. पुलिस और महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कई हजार महिलाओं को उनके परिवारों से मिलवाया. वहीं अगर किसी अन्य धर्म की महिला किसी के घर में मिलती, तो ऐसा माना जाता कि उसे जबरन ही रखा गया है. फिर बेशक वो अपनी मर्जी से वहां रह रही हो. यही बूटा सिंह के मामले में भी हुआ. जैनब को पहले एक कैंप में रखा गया और फिर पाकिस्तान भेज दिया गया. कोई महिला अगर कह भी दे कि वो अपनी मर्जी से रह रही है, तब भी माना जाता कि वो मजबूर होकर ये बात कह रही है. 

यह भी पढ़ें- एक अनजान महिला का कॉल और खाली केन... 2017 में लापता हुए शख्स की गुत्थी सुलझी

ये तय हुआ कि 1 मार्च, 1947 के बाद से कहीं भी ऐसी स्थिति देखी जाती है, तो माना जाएगा कि महिला को किडनैप करके जबरन रखा गया है. कानून में लिखा था कि अगर 16 साल या उससे कम उम्र का कोई भी पुरुष और किसी भी उम्र की महिला कहीं पाए जाते हैं, तो उन्हें किडनैप माना जाएगा. अगर परिवार जीवित न हो तो भी ऐसे लोगों को पाकिस्तान भेज दिया जाए. ये एक परिभाषा तय की गई थी. 1 मार्च, 1947 के बाद हुई दो धर्म के लोगों की शादियां खारिज हो गईं. दोनों देशों की सरकारों ने ये बात कही. 

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अवधि बढ़ाकर 1960 तक की गई

कानून 7 साल के लिए आया था. साल 1949 में काम पूरा नहीं हो पाया था इसलिए उसे 1955 में फिर से संसद में लाया गया और पांच साल बढ़ाकर (एबडक्टेड पर्सन (रीस्टोरेशन एंड रिकवरी) कंटीन्यूअस बिल, 1955) 1960 तक इसकी अवधि की गई. यानी 1960 के बाद जो जहां है, वो वहां रह सकता है. उसी दौरान बूटा सिंह के साथ ये मामला हुआ था. किसी ने शिकायत कर दी थी. बच्चों को उनकी मां से अलग किया गया. उन्हें लेकर कहा गया कि जिस देश में बच्चे पैदा हुए हैं, वो वहीं के नागरिक हैं और अपने पिता के साथ ही रहेंगे. 

जैनब के मामले में उनकी बड़ी बेटी भारत में ही रह गई थी और छोटी बेटी उनके साथ गई. ये पूरा ऑपरेशन 9 साल तक चला. भारत से 22000 महिलाओं को पाकिस्तान भेजा गया और पाकिस्तान से 8000 महिलाओं को भारत लाया गया. ऐसा कहा जाता है कि पाकिस्तान में इस काम को ठीक से नहीं किया गया, इसी वजह से वहां से भारत आने वाली महिलाओं की संख्या इतनी कम है.

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