
एक 98 साल के शख्स पर 3300 लोगों की हत्या का आरोप लगा है. मामले की जानकारी अधिकारियों ने दी है. उन्होंने बताया कि ये शख्स दूसरे विश्व युद्ध के दौरान इन हजारों लोगों की हत्या में शामिल रहा है. इन्हें यातना शिविर में मारा गया था. आरोपी उस वक्त टीनेजर था, जब वो एडोल्फ हिटलर की क्रूर सेना एसएस में काम करता था. उसने ये नौकरी जुलाई 1943 से लेकर फरवरी 1945 तक की थी. वो साक्सेनहाउजेन यातना शिविर में तैनात था.
अभियोजकों ने आरोप लगाया कि शख्स ने उस दौरान 'एसएस गार्ड के सदस्य के रूप में हजारों कैदियों की क्रूर और दुर्भावनापूर्ण हत्या का समर्थन किया था.' साक्सेनहाउजेन बर्लिन के उत्तर में स्थित है. इस शिविर में 200,000 से अधिक लोगों को रखा गया था, जिनमें यहूदी, राजनीतिक कैदी और नाजी उत्पीड़न के अन्य पीड़ित शामिल थे. स्कॉलर्स का मानना है कि यहां लगभग 40,000 से 50,000 कैदी मारे गए थे.
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जीवित नाजियों पर चल रहे मुकदमे
बेशक दूसरे विश्व युद्ध को समाप्त हुए कई दशक बीत गए हैं. लेकिन उस समय हत्याओं में शामिल नाजियों पर अब मुकदमे चल रहे हैं. इनमें से कई की मौत हो गई है. जो जीवित बचे हैं, उनकी उम्र 90 साल के पार है. वहीं कथित अपराध के समय इस बुजुर्ग की कम उम्र को देखते हुए हनाउ की एक अदालत यह तय करेगी कि मामले की कार्यवाही शुरू की जाएगी या नहीं.
इससे पहले साल 2011 में पूर्व नाजी गार्ड जॉन डेमजंजुक को सजा दी गई थी. इस केस ने जर्मन कानून में एक मिसाल कायम की. इसके बाद नरसंहार करने वालों के खिलाफ मुकदमों की दौड़ शुरू हो गई. तभी से जर्मीनी में एसएस गार्ड्स रहे लोगों के खिलाफ मुकदमे चल रहे हैं. लेकिन अब ज्यादातर की उम्र बहुत अधिक हो गई है.
इनके स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए कई मामलों में सुनवाई ही नहीं हुई. इसके साथ ही अगर किसी पर दोष साबित हो भी जाए, तो उसे जेल नहीं हो रही. कुछ की जेल की सजा काटने से पहले ही मौत हो गई है.