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पानी में डूबकर या आग में जलकर... आखिर कैसे होगा दुनिया का अंत? जानिए 10 कारण

दुनिया के अंत को लेकर विशेषज्ञ तमाम तरह के कयास लगाते हैं. किसी का कहना है कि एलियंस के हमला करने के बाद सब खत्म हो जाएगा. तो किसी का मानना है कि ऐसा सुनामी से होने वाली तबाही के कारण होगा.

इनमें से एक हो सकता है दुनिया के अंत का कारण (प्रतीकात्मक तस्वीर- Pexels/Pixabay) इनमें से एक हो सकता है दुनिया के अंत का कारण (प्रतीकात्मक तस्वीर- Pexels/Pixabay)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 15 मई 2023,
  • अपडेटेड 12:31 PM IST

दुनिया के अंत को लेकर आए दिन चर्चा होती है. कोई कहता है कि एक दिन एलियंस धरती पर हमला कर देंगे, और दुनिया खत्म हो जाएगी. तो कोई कहता है कि सुनामी आने से ऐसा होगा. इसे लेकर तमाम फिल्में भी बन चुकी हैं. वैज्ञानिक डूम्सडे क्लॉक के जरिए भी वक्त वक्त पर चेतावनी देते हैं कि दुनिया विनाश के बेहद करीब है. जनवरी, 2022 में खबर आई थी कि दुनिया तबाही से महज 100 सेकंड दूर है.

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अब तीन साल में पहली बार कहा जा रहा है कि दुनिया तबाही से 90 सेकंड दूर है. इसके पीछे का कारण यूक्रेन युद्ध को भी माना जा रहा है. इस घड़ी का काम यह बताना है कि हम मानव निर्मित आपदा के कितना करीब हैं. आज हम उन 10 संभावित कारणों के बारे में जानेंगे, जिनके कारण दुनिया के अंत की आशंका जताई जाती है. इससे पहले डूम्सडे क्लॉक के बारे में जान लेते हैं. 

यह एक प्रतीकात्मक घड़ी है, जो मानवीय गतिविधियों के कारण वैश्विक तबाही की संभावना के बारे में बताती है. इसमें आधी रात के 12 बजे को सबसे बड़े खतरे के संकेत के तौर पर देखा जाता है. वैज्ञानिकों ने 1945 में जापान पर परमाणु हमला होने के बाद मानव जनित खतरों के बारे में दुनिया को चेतावनी देने के लिए ये घड़ी बनाई थी. इसमें रात के 12 बजे के वक्त का मतलब है, दुनिया का अंत बेहद करीब है.

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ये परमाणु युद्ध और जलवायु संकट के खतरे का संकेत देती है. वैज्ञानिक इस घड़ी के जरिए 1947 से बता रहे हैं कि दुनिया तबाही से कितना दूर है. तो चलिए अब उन 10 कारणों पर बात कर लेते हैं, जिनके चलते दुनिया का अंत होने की बात कही जाती है. इसे लेकर डेली मेल ऑनलाइन ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है.

विशाल उल्कापिंड

उल्कापिंड गिरने का खतरा (प्रतीकात्मक तस्वीर- Pixabay)

डायनासोर के अंत का कारण बना उल्कापिंड धरती का अंत कर सकता है. Chicxulub उल्कापिंड समुद्र में आकर गिरा था, जिसे आज मेक्सिको की खाड़ी कहा जाता है. इससे भीषण सुनामी आई. इससे बड़ी मात्रा में धूल के बादल बने जिसने जलवायु परिवर्तन की गति को बढ़ा दिया. इसकी वजह से धरती पर मौजूद रहे 75 फीसदी जानवरों और पौधों की प्रजातियों का खात्मा हो गया. एस्ट्रोनॉमर्स का मानना है कि ऐसा विशाल उल्कापिंड हर 100 मिलियन साल में एक बार हमारे ग्रह से टकराता है. अब ऐसा दोबारा होने का अनुमान अगले 30 मिलियन साल में जताया गया है.

किलर रोबोट्स 

रोबोट्स के हमले का डर (प्रतीकात्मक तस्वीर- Pexels)

हाल के वर्षों में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) सिस्टम्स का तेजी से विकास हुआ है. इसे लेकर हमेशा से ही बहस छिड़ी रह रही है कि इस तकनीक से इंसान को ज्यादा फायदा हो रहा है, या ये उसके लिए बड़ा खतरा है. विशेषज्ञ इसे बड़े खतरे के तौर पर भी देखते हैं. मामला तब ज्यादा गंभीर हो गया था, जब इसी साल 1000 से अधिक टेक टायकून्स ने एक लेटर पर हस्ताक्षर कर AI को अडवांस बनाए जाने की 'खतरनाक दौड़' पर विराम लगाने की अपील की थी. इन्होंने कहा कि इंसान तकनीक पर से नियंत्रण खो दे और रोबोट द्वारा उन्हें मिटाए जाने का खतरा पैदा हो जाए, उससे पहले तत्काल एक्शन लिए जाने की जरूरत है. 

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सुपर वॉलकैनो

ज्वालामुखी फटने का खतरा (प्रतीकात्मक तस्वीर- Pexels)

सुपर वॉलकैनो उस ज्वालामुखी को कहते हैं, जो VEI (Volcanic Explosivity Index) इंडेक्स में बताए गए सबसे उच्च स्तर यानी 8 की दर के साथ फटता है. यह इंडेक्स की अब तक की रिकॉर्ड की गई सबसे अधिक संख्या है. सुपर वॉलकैनो इंसानी अस्तित्व पर होने वाले सबसे बड़े प्राकृति खतरों में से एक है. और ये हर एक लाख साल में होता है. इसका ग्रह की जलवायु और परिस्थितिकी पर बुरा प्रभाव पड़ता है. अमेरिका के व्योमिंग में यैलोस्टोन नेशनल पार्क को ज्वालामुखी का हॉटस्पॉट कहा जाता है. जो बीते 2.1 मिलियन साल में तीन बार फट चुका है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यहां एक बार फिर ज्वालामुखी फटता है, जिसे टाइटैनिक इरप्शन नाम दिया गया है, तो उससे निकलने वाला लावा 40 मील दूर तक जाएगा और जहरीली गैस आसमान में फैल जाएगी. 

एलियंस

एलियंस के हमले का डर (प्रतीकात्मक तस्वीर- Pexels)

एलियंस को लेकर भी दुनिया में चर्चा कुछ कम नहीं है. तमाम विशेषज्ञों का ऐसा कहना है कि असल खतरा तब होगा, जब दूसरी दुनिया के ये लोग पृथ्वी तक पहुंच जाएंगे. इनके पास इतनी अडवांस तकनीक होगी कि हम इंसान अपना बचाव नहीं कर सकेंगे. 

सूरज  

निगल सकता है सूरज (प्रतीकात्मक तस्वीर- Pexels)

पृथ्वी ग्रह का खात्मा उसी चीज से हो सकता है, जिस पर उसका अस्तित्व टिका हुआ है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर सूर्य का इंधन खत्म हो जाएगा, तो वह न केवल धरती बल्कि बुध और शुक्र ग्रह को भी निगल लेगा. हालांकि ऐसा अगले  5 बिलियन साल में नहीं होने वाला.

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चुंबकीय क्षेत्र 

चुंबकीय क्षेत्र के काम न करने का खतरा (प्रतीकात्मक तस्वीर- Pexels)

ऐतिहासिक रूप से धरती के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव हर 200,000–300,000 साल में खिसकते हैं. ऐसा अनुमान है कि आखिरी बार ऐसा 780,000 साल पहले हुआ था. इसके बाद से विशेषज्ञों का मानना है कि दोबारा भी ऐसा हो सकता है. अगर ये क्षेत्र पूरी तरह पलट जाता है, तो धरती का चुंबकीय क्षेत्र बेहद कमजोर या पूरी तरह खत्म हो जाएगा. ये बड़ी बात इसलिए है क्योंकि धरती का मैग्नेटिक क्षेत्र उसे ओजोन लेयर से बचाने के लिए एक बैरियर की तरह काम करता है. 

महामारी  

आ सकती है एक और महामारी (प्रतीकात्मक तस्वीर- Pexels)

दुनिया हाल में ही कोरोना वायरस जैसी महामारी से जैसे तैसे बची है. वायरस के आने के बाद ही इसके खिलाफ काम करने वाली वैक्सीन को बनाए जाने का काम शुरू हो गया था. वैज्ञानिकों का मानना है कि एक और महामारी धरती पर बचे इंसानों का खात्मा कर सकती है. वायरस की वजह से दुनिया में करीब 20 मिलियन लोगों की मौत हुई थी. अगर वैक्सीन नहीं होती, तो ये संख्या और भी बड़ी हो सकती थी.

ब्लैक होल्स 

ब्लैक होल के सब निगल जाने का खतरा (प्रतीकात्मक तस्वीर- Pixabay)

ये वो चीज है, जो सब कुछ निगल लेती है. चाहे फिर वो रोशनी ही क्यों न हो. वैज्ञानिक अब भी इस पर अध्ययन कर रहे हैं.  हाल में ही इन्होंने एक गैलेक्सी में बड़े छेद का पता लगाया है. वहीं हमारे ग्रह के सबसे पास स्थित ब्लैक होल के बारे में भी बीते महीने पता चला है. इससे अभी तो कोई खतरा नहीं है लेकिन अगर ये पृथ्वी के और करीब आया, तो खतरनाक हो सकता है.

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परमाणु युद्ध

दुनिया में छिड़ सकती है परमाणु जंग (प्रतीकात्मक तस्वीर- Pixabay)

धरती पर मौजूद इस वक्त के सबसे बड़े खतरों में से एक परमाणु युद्ध भी है. उत्तर कोरिया का तानाशाह किम जोंग उन आए दिन परमाणु हमले की धमकी देता है. रूस और यूक्रेन की जंग के बीच कई बार इस खतरे का जिक्र हुआ है. अगर जंग और भीषण होती है, जो परमाणु हमले की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. इसका प्रभाव हमले वाले क्षेत्र से लेकर दूर दराज तक होगा. 

ग्लोबल वार्मिंग

ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ रहा तापमान (प्रतीकात्मक तस्वीर- Pexels)

ग्लोबल वार्मिंग को एक बड़े खतरे के तौर पर देखा जा रहा है. अगर तत्काल कदम नहीं उठाए गए, तो ये इंसानों की जान लेने लगेगा. अभी से धरती का तापमान लगातार बढ़ रहा है. ठंडे दिनों की संख्या कम और गर्म दिनों की संख्या बढ़ रही है. अगर  किसी एक्शन प्लान पर पूरी तरह काम नहीं किया जाता, तो वैश्विक तापमान खतरनाक स्तर पर पहुंच जाएगा. हाल के वर्षों में जंगलों में आग की भी तमाम खबरें सामने आई हैं. जिनके पीछे का प्रमुख कारण बढ़ता तापमान बताया जाता है.

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