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जिंदा इंसानों पर हुए ऐसे जुल्म कि कांप जाएगी रूह, 78 साल बाद ह्यूमन एक्सपेरिमेंट का अड्डा मिला

इस जगह पर इंसानों के साथ ऐसा बर्ताव होता था, जैसा शायद ही किसी ने सोचा हो. यहां इंसानों पर घातक एक्सपेरिमेंट्स किए जाते थे. ये काम एक देश की सेना कर रही थी.

ह्यूमन एक्सपेरिमेंट वाला अड्डा मिला (प्रतीकात्मक तस्वीर- Pexels) ह्यूमन एक्सपेरिमेंट वाला अड्डा मिला (प्रतीकात्मक तस्वीर- Pexels)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 05 जून 2023,
  • अपडेटेड 6:13 PM IST

पुरातत्वविदों को चीन में एक बंकर मिला है, जिसे जापान के वैज्ञानिकों ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान इंसानों पर प्रयोग करने के लिए इस्तेमाल किया था. ये प्रयोग जिंदा इंसानों पर होते थे. वैसे तो बंकर आठ दशक से लोगों की नजर में रहा है लेकिन इसके वजूद की अब जाकर पुष्टि हुई है. यहां इंसानों को पानी नहीं दिया जाता था, अधिक ठंड के कारण उनके शरीर के अंग गल जाते थे और उन पर जैविक हथियारों की टेस्टिंग होती थी. 

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बंकर यूनिट 731 के क्रूर कारनामों की सबसे बड़ी निशानी है. यूनिट 731 जापानी सशस्त्र बलों द्वारा किए गए कुछ सबसे कुख्यात युद्ध अपराधों के लिए जिम्मेदार थी. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, बंकर हेइलोंगजियांग प्रांत में मिला है. इसे ढूंढने का काम हेइलोंगजियांग प्रोविंशियल इंस्टीट्यूट ऑफ कल्चरल रेलिक्स एंड आर्कियोलॉजी ने किया है.

कमरे और ढेर सारी सुरंगें मिलीं
 
बंकर को यू-शेप में 1941 में बनाया गया था. जो 108 फीट लंबा और 67 फीट चौड़ा है. इसमें कमरे और सुरंगें जुड़ी हैं. पुरातत्वविदों का मानना है कि इनमें लैब और शरीर को काट पीटकर प्रयोग करने के लिए कमरे थे. सीक्रेट टॉर्चर चैंबर को जापानी इंपीरियल आर्मी द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली सबसे बड़ी और सबसे ज्यादा सुसज्जित टेस्टिंग साइट माना जाता है. ये इतिहास में सबसे भयानक प्रयोगों के लिए जिम्मेदार एक कुख्यात बायोलॉजिकल वारफेयर यूनिट है.

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युद्ध बंदियों पर होता था अत्याचार

साल 1935 से लेकर 1945 में सरेंडर करने तक इन्होंने चीनी, कोरियाई, रूसी और अमेरिकी युद्ध बंदियों पर बायोलॉजिकल और केमिकल वारफेयर प्रयोग किए थे. इनमें ग्रेनेड और रासायनिक हथियार का इस्तेमाल शामिल है. लाइव साइंस की रिपोर्ट के अनुसार, लोगों को टेस्टिंग साइट पर मौत के घाट उतारा जाता था. दर्द निवारक दवाओं के बिना उनके अंग अलग किए जाते और यहां तक ​​​​कि लोगों को कम दबाव वाले कक्षों में तब तक कैद करके रखा जाता, जब तक उनकी आंखें बाहर न निकल आएं. 

सैनिकों ने महामारी पैदा की

यूनिट 731 ने प्लेग से संक्रमित पिस्सुओं को चीनी शहरों के ऊपर विमान के जरिए गिरवाया था. इससे महामारी फैल गई और सैकड़ों हजारों लोगों की मौत हुई. साल 1956 में शेनयांग युद्ध अपराध मामले की सुनवाई के दौरान यूनिट 731 के पूर्व कमांडर साकी हयाओ ने एक "बेहद क्रूर" प्रयोग के बारे में बताया था. जिसमें पीड़ितों को लकड़ी के खंभे से बांध दिया जाता था. वो एंथ्रेक्स बमों से लैस थे ताकि हथियार के तौर पर इस्तेमाल होने वाले रोगाणुओं की प्रभाविकता का पता लगाया जा सके. कुल मिलाकर, 12,000 से अधिक पुरुष, महिलाएं और बच्चे इन भयानक टेस्ट के चलते मारे गए थे.

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