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भारतीय शख्स को पाकिस्तान में मौत तक जेल में रहने की सजा, यहां सीमा हैदर देती रही इंटरव्यू

अगर कोई भारतीय नागरिक गलती से सीमा पार करके पाकिस्तान पहुंच जाए, तो उसे जासूस माना जाता है. उसे जेल में डालकर इस कदर टॉर्चर किया जाता है, कि मानसिक हालत ही बिगड़ जाती है.

पाकिस्तान की जेल में जासूसी के आरोप में भारतीय शख्स बंद (तस्वीर- फाइल फोटो) पाकिस्तान की जेल में जासूसी के आरोप में भारतीय शख्स बंद (तस्वीर- फाइल फोटो)
Shilpa
  • नई दिल्ली,
  • 18 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 7:50 PM IST

भारत और पाकिस्तान में जमीन आसमान का अंतर है. जब बात जासूसों की खातिरदारी की आए, तो इस मामले में भी एक जमीन आसमान के अंतर वाली तस्वीर ही दिखाई पड़ती है. भारत में मई महीने से रह रही पाकिस्तानी महिला सीमा हैदर दो महीने बाद गिरफ्तार हुई. लेकिन जमानत दे दी गई. उसने कहा कि वो भारत के हिंदू लड़के सचिन मीणा से नेपाल में शादी कर चुकी है. बस फिर वो धड़ल्ले से मीडिया को इंटरव्यू दे रही थी. हंसते हुए अपनी कथित प्रेम कहानी बता रही थी. वो सोशल मीडिया पर फुल एक्टिव रही और नाच गाने के रील पोस्ट करती रही. इस बीच कई लोगों को शक हुआ कि कहीं वो जासूस तो नहीं?

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ऐसे कई सवाल थे, जो घुसपैठ करके आई इस पाकिस्तानी महिला को जासूस वाली कैटेगरी में खड़ा कर रहे थे. वो खुद को 5वीं पास बता रही है, लेकिन अच्छी अंग्रेजी बोल लेती है. जब उससे इसकी वजह पूछी जाती है तो कहती है कि अंग्रेजी फिल्में देख देखकर ही अंग्रेजी सीखी है. उसके पास से चार फोन, 2 वीडियो कैसेट, एक सिम और एक टूटा हुआ फोन बरामद हुआ. जब वो महज 5वीं पास है, तो अकेली चार बच्चों को लेकर पाकिस्तान से शारजाह, फिर नेपाल और यहां से भारत कैसे आ गई? उसने सुरक्षा अधिकारियों को आसानी से चकमा दे दिया. ये बात भी हैरान करने वाली थी. 

वाकई प्यार में भारत आई है सीमा?

अब जब एटीएस उससे पूछताछ कर रही है, तो नई जानकारी निकलकर सामने आ रही हैं. ये भी मालूम हुआ कि वो दिल्ली एनसीआर के कई लड़कों के संपर्क में थी. खैर, जितने सवाल बनते हैं, उनसे बार बार शक जासूसी वाले मसले पर ही जाता है. अब सीमा चाहे जो कहे, उसकी बातों से ये कतई साबित नहीं होता कि वो प्यार के लिए ही भारत आई थी. हो सकता है कि सचिन महज एक मोहरा हो. या इन चार बच्चों के जरिए भविष्य में किसी बड़ी वारदात को अंजाम देना हो. 

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वहीं दूसरी तरफ एक और कहानी है. जिसमें मध्य प्रदेश का रहने वाला 36 साल का प्रसनजीत रंजारी बीते पांच साल से लापता था. अब पता चला है कि वो लाहौर की कोट लखपत जेल के ब्लॉक 4 में बंद है. उसे यहां जासूसी के आरोप में रखा गया है. एक पूर्व भारतीय कैदी ने उसके परिवार को इसकी सूचना दी थी. उसने कहा कि वो अपने बेटे की तरह पाकिस्तानी जेल में उसकी देखभाल किया करता था. 

प्रसनजीत बालाघाट के खैरलांजी गांव का रहने वाला है. जो मध्य प्रदेश-महाराष्ट्र की सीमा पर है. ये जगह राजधानी भोपाल से 470 किलोमीटर दूर है. वो एमपी के उन 8 ज्ञात लोगों में से एक है, जो पाकिस्तान की जेल में बंद हैं. जिससे सुरक्षा एजेंसियां भी हैरत में हैं. सभी का इतिहास मानसिक बीमारी का है.

एक और भारतीय कैदी ने दी सूचना

प्रसनजीत के परिवार ने पांस साल पहले ही उसे मरा हुआ मान लिया था. लेकिन हाल ही में कुलदीप नामक शख्स ने बताया कि प्रसनजीत जिंदा है और उसे मदद की जरूरत है. कुलदीप जम्मू कश्मीर के कठुआ के रहने वाले हैं. वो 29 साल बाद लाहौर जेल से रिहा हुए. उन्होंने भोपाल में रहने वाले प्रसनजीत के एक रिश्तेदार से संपर्क कर उसकी जानकारी दी. इस रिश्तेदार ने प्रसनजीत की छोटी बहन संगमित्रा खोब्रागढ को मामले के बारे में बताया. अब वो अपने भाई को स्वदेश वापस लाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहीं. 

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वो स्थानीय अधिकारियों से लेकर नेताओं तक के पास जाकर गुहार लगा रही हैं कि उनके भाई के मामले में हस्तक्षेप किया जाए. जिला मजिस्ट्रेट डॉक्टर गिरीश कुमार मिश्रा ने जरूरी मदद देने का आश्वासन दिया है. कुलदीप इस परिवार के संपर्क में हैं. वो भी पाकिस्तान में जासूसी के आरोप में जेल में रहे हैं. उन्होंने एक मीडिया आउटलेट को बताया कि वो दिन उन्हें आज भी याद है, जब 2019 के अक्टूबर महीने में प्रसनजीत को उनकी जेल में लाया गया था. पाकिस्तानी रिकॉर्ड्स में उसे विक्रम आते का बेटा सुनील आते बताया गया है.

टॉचर के कारण बिगड़ी मानसिक हालत

कुलदीप ने कहा, 'खूब टॉर्चर झेलने के कारण प्रसनजीत की मानसिक हालत ठीक नहीं है. मैंने उसकी देखभाल की थी. मैंने उसे कभी रूम मेट नहीं माना बल्कि अपना बेटा माना है. जब मुझे गिरफ्तार किया गया था, तब मेरा बेटा महज ढाई साल का था और प्रसनजीत मुझे उसके जैसा ही लगा.' उन्हें रिहा हुए कैदियों से प्रसनजीत की जानकारी मिलती रहती थी. 

प्रसनजीत की बहन कहती है कि उसका भाई मानसिक रूप से पूरी तरह ठीक था. उसने जबलपुर यूनिवर्सिटी से फार्मेसी में ग्रेजुएशन किया. 2015 तक स्टेट फार्मेसी काउंसिल में पंजीकृत भी था. लेकिन वो 2018 में लापता हो गया. कहीं नहीं मिला, तो परिवार ने मरा हुआ समझ लिया. भाई के बारे में पता चलते ही संघमित्रा  ने उसे चिट्ठी भेजने का सोचा मगर कुलदीप ने बताया कि पाकिस्तान की जेल में चिट्ठियां भेजने की इजाजत नहीं है. 

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कुलदीप को वाघा बॉर्डर से 20 दिसंबर, 2021 को वापस भेजा गया था. इसमें भारतीय उच्चायोग ने काफी मदद की. कुलदीप का कहना है कि पाकिस्तान सेना अगर किसी भी भारतीय को पकड़ ले, तो वो उसके लिए जासूस ही होता है. उसे टॉर्चर किया जाता है और जेल में डाल दिया जाता है.

टॉर्चर करके पागल कर देता है पाकिस्तान  

पाकिस्तान भारतीयों के साथ कैसा सुलूक करता है, इसका एक और उदाहरण प्रहलाद सिंह हैं. जो एमपी के सागर जिले के रहने वाले हैं. उन्हें 30 साल तक जेल में रखा गया. उन्होंने गलती से सीमा पार कर ली थी. इतना टॉर्चर किया गया कि मानसिक हालत बिगड़ गई. वो बोल भी नहीं पाते. उनके भाई वीर ने उन्हें वापस लाने के लिए खूब लड़ाई लड़ी थी. 

बारी लाल एमपी के दमोह जिले के ऐसे छठे शख्स हैं, जिनकी मानसिक हालत ठीक नहीं है. वो एक दिन अचानक गायब हो गए थे. बाद में पाकिस्तान में मिले. उनका परिवार लगातार उनकी तलाश कर रहा था. फिर नवंबर 2019 में स्थायीय पुलिस ने परिवार को बताया कि बारी पाकिस्तान की जेल में बंद हैं. उनकी गिरफ्तारी आधिकारिक तौर पर रिकॉर्ड किए जाने से पहले वो दो साल तक पाकिस्तान की हिरासत में थे. 

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