Advertisement

यूक्रेन से भागे भूखे-प्यासे भारतीय छात्रों को इस देश में मिला खूब सारा प्यार!

Russia-Ukraine War: यूक्रेन से लौटे भारतीय छात्रों (Indian Medical Students) ने रोमानियाई (Romania) लोगों के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त की है. छात्रों का कहना है कि हम पैसे इकट्ठा करेंगे और उसे मदद करने वाले रोमानियाई लोगों को भेजेंगे.

छात्रों ने यूक्रेन से भागकर दूसरे देश में ली शरण (सांकेतिक/Getty) छात्रों ने यूक्रेन से भागकर दूसरे देश में ली शरण (सांकेतिक/Getty)
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 05 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 12:01 PM IST
  • यूक्रेन छोड़कर भाग रहे लोग
  • पड़ोसी देशों में ले रहे शरण

Russia-Ukraine-Romania: रूसी सेना के हमलों के बीच यूक्रेन छोड़ने वाले कई भारतीय छात्रों ने रोमानिया में शरण ली है. वहां उन्हें स्थानीय लोगों से जो प्यार मिला उसे देखकर वे बेहद खुश और भावुक हैं. यूक्रेन से लौटे सैकड़ों भारतीय छात्रों ने रोमानियाई लोगों के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त की है. छात्रों का कहना है कि हम पैसे इकट्ठा करेंगे और उसे मदद करने वाले रोमानियाई लोगों को भेजेंगे. आइए जानते हैं कैसा रहा रोमानिया में भारतीय छात्रों का अनुभव.

Advertisement

दरअसल, रूस-यूक्रेन जंग जारी है. ऐसे में लाखों लोग जान बचाने के लिए यूक्रेन छोड़कर भाग रहे हैं. मेडिकल की पढ़ाई करने गए कई भारतीय छात्रों ने युद्धग्रस्त देश छोड़कर पड़ोसी देश रोमानिया में शरण ली. इस मुश्किल घड़ी में वहां के लोगों ने भारतीयों की जिस तरीके से मदद की, उसे देखकर छात्र भावुक हो गए.

यूक्रेन से भागे, रोमानिया के लोगों ने दिया सहारा!

यूक्रेन से लौटे छात्रों ने कहा कि रोमानिया के लोगों ने हमारे सबसे बुरे दिनों में हमें शरण दी. वहां स्थानीय परिवारों द्वारा आश्रय स्थल चलाए जा रहे हैं. भूखे, थके, यूक्रेन से जान बचाकर भागे छात्रों को रोमानियाई लोगों से मिले प्यार और देखभाल ने अभिभूत कर दिया. 

यूक्रेन की टेर्नोपिल मेडिकल यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले छात्र निखिल कुमार ने कहा- "हमने यूक्रेन की सीमा पार करते समय सबसे खराब स्थिति देखी थी. दूसरों पर से मेरा विश्वास लगभग खत्म हो गया था. यह एक भयानक समय था. हालांकि, रोमानियाई लोगों से मिली मदद और प्यार ने मानवता पर मेरा भरोसा फिर से मजबूत कर दिया. रोमानिया के स्थानीय लोगों ने यूक्रेन से आने वाले प्रत्येक छात्र के लिए भोजन, जूते और अन्य सामानों के स्टॉल लगाए थे."

Advertisement

निखिल ने आगे कहा- 'हमें तीन दिनों तक रोमानिया के आश्रय स्थल में रहना पड़ा. इस दौरान उन्होंने हमारी परवाह की और हमें सहज महसूस कराया.' वो आगे कहते हैं- 'मैं और मेरे जैसे तमाम लोग उनके लिए कुछ करना चाहते हैं. हम सब पैसे जमा करेंगे और कृतज्ञता के प्रतीक के रूप में उन्हें भेजेंगे. उन्होंने हमारे लिए जो किया उसके लिए हम उन्हें चुका नहीं सकते.'

छात्र याद करते हैं कि कैसे रोमानियाई परिवार उनके शेल्टर में आते थे, हमारे चेहरे पर मुस्कान लाते थे और पूछते थे कि क्या हमें किसी चीज़ की ज़रूरत है. रोमानियाई लोग कहते थे- 'चिंता मत करो, हम यहां आपके परिवार हैं.' 

छात्रों ने रोमानियाई लोगों की दरियादिली को किया बयां

शुक्रवार को भोपाल में अपने घर पहुंचे मेडिकल छात्र आभास परिहार रोमानियाई गर्मजोशी के बारे में कहते हैं- 'उन लोगों ने इस तरह की भयानक परिस्थितियों में विदेशियों की मदद करने का एक उदाहरण पेश किया है.' वहीं आभास की मां सुनीता परिहार ने कहा- 'मैं यह कभी नहीं भूल सकती कि दुनिया के दूसरे हिस्से में कोई था जो मेरे बेटे की देखभाल कर रहा था.'

उधर मेडिकल छात्र संस्कार वर्मा कहते हैं कि यूक्रेन बॉर्डर पार कर रोमानिया पहुंचे अधिकांश छात्र भूखे-प्यासे थे, कुछ घायल हो गए थे. लेकिन हमने रोमानिया में घर जैसा महसूस किया. वहां के स्थानीय लोगों ने साबित कर दिया है कि मानवता पृथ्वी पर सबसे अच्छी चीज है. हमारे परिवारों ने भी उनसे बात की है और वे बेहद खुश हैं. 

Advertisement

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement