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पेरेंट्स को नहीं मिली बेटी, जज ने कहा- मुस्लिम के साथ रहे हिन्दू लड़की

कोर्ट में सुनवाई के दौरान 21 साल की महिला ने कहा कि उसने अपनी इच्छा से धर्म परिवर्तन किया है. महिला ने अपने पेरेंट्स के साथ जाने से इनकार कर दिया.

प्रतीकात्मक फोटो. प्रतीकात्मक फोटो.
अभि‍षेक आनंद
  • नई दिल्ली,
  • 26 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 4:13 PM IST

पाकिस्तान की एक अदालत ने मुस्लिम पुरुष को हिन्दू पत्नी के साथ रहने की इजाजत दी है. इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस से कपल को सुरक्षा देने को भी कहा है.

अनूशी पहले हिन्दू थी, लेकिन बाद में धर्म बदलकर मारिया हो गई. लेकिन उसके परिवार वाले ने आरोप लगाया था कि उसका किडनैप करके धर्म परिवर्तन किया गया. लेकिन कोर्ट में सुनवाई के दौरान 21 साल की महिला ने कहा कि उसने अपनी इच्छा से धर्म परिवर्तन किया है. महिला ने अपने पेरेंट्स के साथ जाने से इनकार कर दिया.

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मारिया ने कोर्ट में इस्लामी धर्म के मुताबिक प्रार्थना की. मारिया ने अपने पति बिलावल अली भुट्टों के साथ रहने के लिए सुरक्षा की मांग की थी. जब कोर्ट ने मारिया को अपने पेरेंट्स से मिलने के लिए कहा तो उसने इनकार कर दिया. हालांकि, कोर्ट के निर्देश पर जज के पर्सनल सेक्रेटरी के ऑफिस में महिला करीब 40 मिनट के लिए पेरेंट्स से मिली.

मारिया की मां ने कोर्ट में अनुरोध किया था कि उनकी बेटी उन्हें दी जाए ताकि वह उसे समझा सके. उनकी मां ने कहा था कि भुट्टो शायद मारिया को कुछ वक्त बाद मार दें. जज ने कहा कि उन्हें लगता है कि मारिया को परिवार को इसलिए नहीं दिया जा सकता है क्योंकि हो सकता है कि वापस उसका धर्म परिवर्तन करा दिया जाए. जज के कहा कि इससे महिला की जिंदगी को मुश्किल होगी. उन्होंने कपल को इस्लामाबाद में रहने और पुलिस को सुरक्षा देने का आदेश दिया.

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