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जन्माष्टमी पर यहां 100 वर्षों से हो रही है पूतना की पूजा, पूर्वजों के सपने में आई थी राक्षसी

बंगाल के हुगली जिले में श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन परंपरा से बिल्कुल हटकर भगवान श्री कृष्ण को अपनी गोद में धारण की हुई महाभारत काल की राक्षसी पूतना की पूजा होती है.

हुगली ज‍िले के इस मंद‍िर में होती है पूूतना की पूजा.  हुगली ज‍िले के इस मंद‍िर में होती है पूूतना की पूजा.
aajtak.in
  • हुगली ,
  • 30 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 1:58 PM IST
  • राक्षसी पूतना की पश्च‍िम बंगाल के हुगली में होती है पूजा
  • मंद‍िर बनाने वालों के पूर्वजों के सपने में आई थी राक्षसी पूतना

पश्च‍िम बंगाल के हुगली ज‍िले में भगवान श्रीकृष्ण को अपनी गोद में धारण की हुई महाभारत काल की राक्षसी पूतना की पूजा लगातार 100 वर्षो से ज्यादा समय से होती रही है. हुगली के चंदननगर के लीचूपट्टी इलाके के राधा गोविंदबाड़ी में यह मंद‍िर है.

पूरे देश और दुनिया में आज सोमवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की धूम है लेकिन बंगाल के हुगली जिले में श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन परंपरा से बिल्कुल हटकर भगवान श्री कृष्ण को अपनी गोद में धारण की हुई महाभारत काल की राक्षसी पूतना की पूजा होती है.

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राक्षसी पूतना के मंद‍िर में भगवान राधागोविंद, जगन्नाथ, बलराम, सुभद्रा की भी मूर्तियां.

हुगली के चंदन नगर के लीचूपट्टी इलाके के राधा गोविंदबाड़ी में अधिकारी परिवार के 4 पीढ़ियों के पूर्वजों द्वारा यह पूजा आयोजित की जाती है. पर‍िवार में पूर्वजों के सपने में राक्षसी पूतना के आने के बाद मूर्ति की स्थापना की गई थी. 

अधिकारी परिवार के वरिष्ठ सदस्य गौर अधिकारी के अनुसार, चंदननगर में फारसी शासन की स्थापना से पहले करीब 100 वर्ष पहले उनके पूर्वज ने महाभारत काल के प्रसिद्ध राक्षसी पूतना, जिसको राक्षस राजा कंस ने भगवान श्रीकृष्ण का वध करने के लिए स्तनपान कराने को भेजा था, उसकी मूर्ति की स्थापना की. पहले यह मूर्ति छोटी थी लेकिन बाद में इसके आकार को बड़ा किया गया.  

चंदननगर के अधिकारी परिवार द्वारा प्रतिष्ठित राधागोविंद मंदिर में प्रवेश करते ही एक बड़े राक्षसी की मूर्ति देखने को मिलेगी जिसकी दोनों आंख देखने में काफी भयानक लगती हैं. उसके बड़े-बड़े दांत काफी डरावने हैं लेकिन काफी भक्ति और श्रद्धा के साथ यहां राक्षसी पूतना की पूजा की जाती है.  बाकायदा राक्षसी पूतना अपनी गोद में भगवान श्री कृष्ण को धारण किए हुए हैं. मंदिर के अंदर भगवान राधागोविंद,  जगन्नाथ, बलराम, सुभद्रा की भी मूर्तियां विराजमान है.

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(इनपुट- हुगली से भोला नाथ साहा की र‍िपोर्ट) 


 

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