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लड़की के रूप में पैदा हुई, लड़का बनी, 17 की उम्र में हुआ गलती का अहसास, फिर... जेंडर चेंज की अनोखी कहानी

ये लड़की बच्चों के जेंडर चेंज कराए जाने के खिलाफ आवाज उठा रही है. उसका कहना है कि उसके साथ बचपन में जो कुछ भी हुआ, उसके पीछे डॉक्टरों की लापरवाही है.

लड़की ने दो बार जेंडर चेंज करवाया (प्रतीकात्मक तस्वीर- Pexels/Pixabay) लड़की ने दो बार जेंडर चेंज करवाया (प्रतीकात्मक तस्वीर- Pexels/Pixabay)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 22 जून 2023,
  • अपडेटेड 6:58 AM IST

ये कहानी 18 साल की कायला लोवडाहल की है. जो पैदा तो लड़की के रूप में हुई थीं, लेकिन फिर जेंडर चेंज करवाकर लड़का बन गईं. कुछ साल बाद उन्हें इसका पछतावा हुआ और वो फिर से लड़की बन गईं. अब वो अपने डॉक्टरों और अस्पताल को घसीटकर कोर्ट में ले गई हैं. जिन पर जेंडर चेंज करने की जल्दबाजी का आरोप है. कायला के साथ जो कुछ हुआ वो काफी डराने वाला है. उन्होंने अमेरिका के कैलिफोर्निया स्टेट कोर्ट में जो मुकदमा दायर किया है, उसमें बताया है कि उन्हें 11 साल की उम्र में एहसास हुआ था कि वो लड़का बनना चाहती हैं. तब उन्हें ऑनलाइन ट्रांसजेंडर कम्युनिटी के बारे में पता चला था.

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उन्होंने आरोप लगाया कि उनके 12 साल का होने पर शरीर में बदलाव के लिए इलाज शुरू हुआ. डॉक्टर पर्याप्त मनोवैज्ञानिक जांच करने में विफल रहे और उनके माता पिता से कहा, 'एक मरी हुई बेटी के साथ रहने से अच्छा जिंदा बेटे के साथ रहना है.' 13 साल का होने पर कायला के स्तन शरीर से अलग कर दिए गए. अब वो पुरुषों की तरह दिखना शुरू हो गईं. फिर 17 साल का होने पर उन्हें एहसास हुआ कि उनके साथ सब गलत हो गया है. उनके आसपास जो प्रेफेशनल मौजूद थे, वो उनकी रक्षा करने में विफल रहे. 

नुकसान की भरपाई करने की मांग

कायला ने यूट्यूब पर दिए एक इंटरव्यू में बताया, 'सबसे बदतर उस चीज के हाथों बिकना था, जिस पर मुझे विश्वास था कि वो मेरी मदद करेगी और बेहतर महसूस कराएगी, लेकिन उसे करने के बाद और दूसरी तरफ आने के बाद बेहतर महसूस नहीं हुआ. मैं इंतजार कर सकती थी, लेकिन अब वापस पहले वाली स्थिति में नहीं आ सकती.' कायला ने एक अस्पताल और चार डॉक्टरों के खिलाफ मुकदमा दायर किया है. उन्होंने 'गहरे शारीरिक और भावनात्मक घाव और गंभीर अफसोस' पैदा करने के नुकसान की भरपाई करने की मांग की है. 

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जल्दबाजी करने का लगाया आरोप

सेंटर फॉर अमेरिकन लिबर्टी से कायला के वकील मार्क ई. ट्रैमेल ने बताया कि अस्पताल और डॉक्टरों ने मानकों का उल्लंघन किया है और जेंडर चेंज के लिए जल्दबाजी की. अस्पताल की तरफ से एक बयान में कहा गया है, 'जब युवा मरीज, माता पिता की सहमति से, लिंग पुष्टि से जुड़े इलाज की तलाश करते हैं, तब टीम सावधानीपूर्वक उनके इलाज के विकल्पों का मूल्यांकन करती है और फिर डॉक्टरों और अन्य अनुभवी प्रोफेशनल्स की बड़ी टीम मरीज और उनके परिवार को जानकारी, परामर्श और अन्य सहायता प्रदान करने के लिए उपलब्ध रहती है.' बयान में कहा गया है कि इलाज मरीज और उसके परिवार की सहमति से ही होता है.

लोगों के पछतावे वाली कहानियां पढ़ीं

कायला ने ऐसे लोगों की भी कहानियां पढ़ीं, जिन्हें जेंडर बदलने के बाद पछतावा हुआ है. उन्हें एक साल पहले दोबारा जेंडर चेंज करवाने का पता चला था. वो नाबालिगों के ऐसे ऑपरेशन के खिलाफ सरकार को सचेत कर रही हैं. उन्होंने कहा कि बच्चों पर ट्रांस का लेबल लगाने और मेडिकल मदद के जरिए जेंडर में बदलाव करने की जल्दबादी के गंभीर परिणाम हो सकते हैं. अगर कोई इसकी वकालत करता भी है, तो उसे रुककर ये सोचना चाहिए कि 13 साल का बच्चा मुश्किल से टीनेजर है. उनके शरीर के स्वस्थ अंगों को हटाने की अनुमति दी जा रही है, ये बोलकर कि वो गलत शरीर में पैदा हुए हैं.

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