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वो 'तानाशाह' जिसने सुपरपावर से अलग होकर बना लिया था 35 लोगों की आबादी वाला नया देश!

15 साल की उम्र में एक अमेरिकी लड़के ने अपना अलग देश बनाने का सपना देखा. 21 साल बाद ही शख्स ने एक नया देश बना दिया और वह उसका 'तानाशाह' बन गया. खास बात यह है कि वह शख्स अमेरिकी आर्मी में भी काम कर चुका है. नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने इस देश का गठन किया और अब उस पर शासन कर रहे हैं.

रिपब्लिक ऑफ मोलोसिया के स्वघोषित 'उदार तानाशाह' हैं बॉघ (Credit- Republic of Molossia) रिपब्लिक ऑफ मोलोसिया के स्वघोषित 'उदार तानाशाह' हैं बॉघ (Credit- Republic of Molossia)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 11 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 5:10 PM IST

एक मूवी देखकर 15 साल के लड़के को अपना अलग देश बनाने का आइडिया आया. 21 साल बाद उन्होंने अपना यह सपना पूरा भी कर लिया. अब शख्स के देश में 35 नागरिक हैं. इस छोटे से देश की अपनी करेंसी, अपना मेजरमेंट सिस्टम और अलग टाइम जोन भी है. खास बात यह भी है कि इस छोटे से देश के पास अपनी नेवी भी है.

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मामला अमेरिका का है. साल 1977 की बात है. 15 साल के केविन बॉघ अपने बचपन के बेस्ट फ्रेंड जेम्स स्पीलमैन के साथ "The Mouse That Roared" मूवी देख रहे थे. यह मूवी साल 1959 में रिलीज हुई थी. इसमें एक छोटा सा काल्पनिक देश अमेरिका से टक्कर लेते दिखा था. स्वघोषित प्रेसिडेंट केविन बॉघ पर इस मूवी का ऐसा असर हुआ कि उन्होंने एक छोटा सा देश ही बना लिया. हालांकि, इस सफर के दौरान दोस्त जेम्स उनके कॉन्टैक्ट से बाहर चले गए.

बॉघ अब रिपब्लिक ऑफ मोलोसिया के स्वघोषित 'उदार तानाशाह' हैं. यह देश अमेरिका के उत्तर-पश्चिम में नेवादा रेगिस्तान में बसा है. यह छोटे सा देश सिर्फ 1 एकड़ में बसा हुआ है और इसकी जनसंख्या 35 है.

अमेरिकी आर्मी में काम कर चुके हैं बॉघ

इस छोटे से देश की नीव साल 1977 में ओरेगन के पोर्टलैंड के एक घर में रखी गई थी. तब उसका नाम- ग्रैंड रिपब्लिक ऑफ वल्डस्टीन रखा गया था. तब बॉघ ने खुद को इस देश का प्रधानमंत्री नियुक्त किया था और जेम्स को राजा बनाया गया था.

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बॉघ ने इनसाइडर से बातचीत में कहा- तब सबकुछ काल्पनिक था. तब इंटरनेट की व्यवस्था नहीं थी तो सबकुछ जैसे तैसे ही चल रहा था. बाद में जेम्स इस प्रोजेक्ट से बाहर हो गए. लेकिन अमेरिकी आर्मी में काम करने के दौरान भी बॉघ इस प्रोजेक्ट को साथ लेकर चल रहे थे.

साल 1990 में बॉघ ने आर्मी छोड़ दी और परिवार के साथ आ कर नेवादा में ही बस गए. इसके बाद माइक्रोनेशन बनाने के अपने मिशन पर वह सीरियसली लग गए.

बॉघ ने बताया- इंटरनेट आया और मैंने कई लोगों को अपना देश बनाते देखा. तो मैंने भी मोलोसिया का बेवसाइट बनवाया. बॉघ इसके बाद माइक्रोनेशनल बनाने के लिए जरूरी चीजों के बारे में रिसर्च करने लगे.

क्या होता है माइक्रोनेशन?
माइक्रोनेशन एक स्वघोषित आत्मनिर्भर देश होते हैं. जिनकी संप्रभुता को अंतरराष्ट्रीय समुदाय मान्यता नहीं देती है. जैसे कि दुनिया की अलग-अलग सरकारें और यूएन उन्हें वैध नहीं मानते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में कम से कम 67 ऐसे माइक्रोनेशन्स हैं.

बॉघ को यह जानकारी मिली कि जिस जमीन पर आप रहते हैं उसे देश घोषित कर सकते हैं. तो 1998 में बॉघ ने नेवादा में एक छोटा सा प्लॉट खरीदा और उसे ही देश घोषित कर दिया. उसे तब Kingdom of Molossia का नाम दिया गया.

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थोड़े समय के कम्युनिस्ट डिक्टेटरशिप शासन के बाद बॉघ ने मोलोसिया को कैपिटलिस्ट मिलिट्री डिक्टेटरशिप में बदल दिया. इस माइक्रोनेशन के 35 नागरिक हैं, ये सभी बॉघ के रिश्तेदार हैं. इन नागरिकों में फैमिली के 3 कुत्ते भी शामिल हैं. यहां रहनेवाले सभी नागरिकों के पास अमेरिका की ‘दोहरी नागरिकता’ भी है.

बॉघ ने कहा- मैं यहां (रिपब्लिक ऑफ मोलोसिया ) के लिए तब तक कोई भी कानून पास कर सकता हूं जब तक मैं बड़े देश को नाराज नहीं करता हूं. क्योंकि आप उन्हें गुस्सा नहीं दिला सकते हैं. आप अपनी करेंसी, स्टांप, कस्टम, छुट्टियां और ऐसी दूसरी चीजें बना सकते हैं. यह सच में मजेदार है.

मोलोसिया के पास अपनी करेंसी, टाइम जोन है
मोलोसिया की करेंस का नाम- the valora है. यह पैसे दूसरे रिश्तेदारों को चॉकलेट चिप के बदले दिया जाता है. बॉघ ने कहा- हमारे देश के नियम अलग हैं. हमारे पास अपना मेजरमेंट सिस्टम और टाइम जोन है.

मोलोसिया के पास अपनी नेवी भी है. बॉघ ने कहा- हमारी नेवी कश्तियों से बनी हुई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि मोलोसिया की इकोनॉमी टूरिज्म बेस्ड है. सलाना करीब 200 लोग इस माइक्रोनेशन में घूमने आते हैं. बॉघ ने कहा- माइक्रोनेशन को पूरी तरह से घूमने में करीब डेढ़ घंटे लगते हैं.

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बॉघ खुद टूरिस्टों को घूमाते हैं. लेकिन इसके अलावा वह फुल-टाइम जॉब भी करते हैं. हालांकि, उन्होंने अपने प्रोफेशन के बारे में बताने से मना कर दिया. बॉघ ने कहा कि मोलोसिया पर शासन करना मजेदार है.

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