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'पृथ्वी चपटी है गोल नहीं', साबित करने के लिए खर्च किए 16 लाख, रिजल्ट में पता चली ये बात

पृथ्वी गोल है या चपटी, इसे लेकर तरह-तरह के दावे किए जाते हैं. एक शख्स का मानना था कि पृथ्वी चपटी है और उसने इसी बात को साबित करने के लिए एक्सपेरिमेंट किए. लेकिन उसे जो नतीजे मिले, उससे वो हैरान रह गया.

पृथ्वी के बारे में जानने के लिए किया एक्सपेरिमेंट (तस्वीर- Pexels) पृथ्वी के बारे में जानने के लिए किया एक्सपेरिमेंट (तस्वीर- Pexels)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 19 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 8:26 AM IST

इस शख्स का मानना था कि पृथ्वी चपटी है और इसी बात को साबित करने के लिए एक शख्स ने 16,000 पाउंड (करीब 16 लाख रुपये) खर्च कर दिए. लेकिन उसका ये एक्सपेरिमेंट उसी पर भारी पड़ गया. रिजल्ट में ये साबित हुआ कि धरती गोल है. अमेरिका के रहने वाले कॉन्सपिरेसी थ्योरिस्ट बॉब नोडल ने लेजर जाइरोस्कोप पर सारे पैसे खर्च किए.

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जाइरोस्कोप से पृथ्वी के रोटेट होने की गति जानी जाती है. उन्हें उम्मीद थी कि इससे पता चलेगा कि पृथ्वी रोटेट नहीं करती. यूट्यूबर बॉब को लगता था कि उनकी ये महंगी किट दिखाएगी कि पृथ्वी रोटेट नहीं होती लेकिन वह उस वक्त हैरान रह गए, जब उनका एक्सपेरिमेंट फेल हो गया. एक्सपेरिमेंट उन्होंने नेटफ्लिक्स डॉक्यूमेंट्री 'बिहाइंड द कर्व' के लिए किया था. 

नोडल ने कहा कि जो कुछ भी हमने देखा, वो एक रोटेट करने वाले ग्लोब में होना लाजमी है. लेकिन वह इसकी उम्मीद नहीं कर रहे थे. उन्होंने कहा, 'हम अपना दावा वापस लेते हैं, यह भी एक तरह की समस्या है. हम वाकई में इसे स्वीकार नहीं करना चाहते थे और हमने ऐसे तरीके भी तलाशे जिससे इसका खंडन किया जा सके.'

जाइरोस्कोप ने क्या रिजल्ट दिया?

उनका कहना है कि सब कोशिशों के बाद भी उन्हें जाइरोस्कोप पर बार-बार यही दिख रहा था कि पृथ्वी गोल है. इसके बाद उन्होंने उन लोगों से बात की, जो पृथ्वी को चपटा मानते हैं. उन्होंने इन लोगों के साथ बैठक में कहा कि वह उनके दावे (पृथ्वी चपटी) को साबित करने की कोशिश कर रहे हैं और इसके लिए जाइरोस्कोट एक्सपेरिमेंट पर 16 लाख रुपये खर्च कर दिए.

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नोडेल ने कहा कि अब जो साबित हो गया है, उसे खारिज करना सही नहीं होगा. इसके बाद उन्होंने नेटफ्लिक्स की डॉक्यूमेंट्री के लिए एक और एक्सपेरिमेंट किया. इसमें उन्होंने दो होल्स (छेद) में से रिकॉर्डिंग करने के लिए एक कैमरे का इस्तेमाल किया और दूसरी तरफ खड़े एक व्यक्ति ने टॉर्च की रोशनी कैमरे की तरफ की.

इसके पीछे का आइडिया ये था कि अगर लाइट कैमरे के होल्स में से दिख जाए, वो भी जमीन के ऊपर सेम हाइट पर, तो इससे साबित हो सकता है कि पृथ्वी चपटी है. लेकिन लाइट इस तरह नहीं दिखी और ये एक्सपेरिमेंट भी फेल हो गया. 

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