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जान बचानी थी, इसलिए 225 KM कुत्‍ते के साथ पैदल चला शख्‍स...

एक शख्‍स अपनी जान बचाने के लिए लगातार पैदल चलता रहा, वह अपना कुत्‍ता भी साथ लेकर गया. अपनी यात्रा में इस शख्‍स को काफी संघर्ष करना पड़ा.

जब जान बचाने के लिए 225 किलोमीटर पैदल चला शख्‍स (प्रतीकात्‍मक फोटो/ गेटी) जब जान बचाने के लिए 225 किलोमीटर पैदल चला शख्‍स (प्रतीकात्‍मक फोटो/ गेटी)
aajtak.in
  • नई दिल्‍ली ,
  • 14 मई 2022,
  • अपडेटेड 1:03 PM IST
  • मारियुपोल से जपोरिज़िया तक पैदल यात्रा की
  • 23 अप्रैल को सुबह 6 बजे छोड़ दिया था अपना घर

जब बात अपनी जान बचाने पर आ जाए तो कोई भी कुछ भी कर सकता है. आपको एक ऐसे ही शख्‍स की संघर्ष की कहानी बताने जा रहे हैं, जो अपनी जान बचाने के लिए करीब 225 किलोमीटर तक पैदल चला. 

इस शख्‍स का नाम इगोर पेडिन है. उनकी उम्र 61 साल है. इगोर को रास्‍ते में कई बार अपनी जान बचाने के लिए दूसरे देश के सैनिकों से बचना पड़ा. खुद तो पैदल 225 किलोमीटर चले ही, वहीं नौ साल के कुत्‍ते 'झू-झू' को भी साथ लेकर गए.

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23 अप्रैल को छोड़ा अपना घर... 
गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, इगोर पेडिन ने मारियुपोल (Mariupol) से जपोरिज़िया (Zaporizhzhia) तक पैदल यात्रा की. इगोर ने मारियुपोल को छोड़ने का फैसला 20 अप्रैल को किया था. उनके लिए सबसे बड़ी मुसीबत ये थी कि कैसे अपने कुत्‍ते को ले जाएं?

 

The invisible Ukrainian who walked 225km to safety from Mariupol https://t.co/RWC5H5zxd2

— The Guardian (@guardian) May 13, 2022

 
फिर 23 अप्रैल को सुबह 6 बजे उन्‍होंने मारियुपोल पोर्ट के पास मौजूद अपने घर को छोड़ दिया. इगोर ने बताया वह सड़क पर आवारा की तरह चलते जा रहे थे. उनकी शुरुआती लक्ष्‍य ये था कि कैसे वह 20 किलोमीटर दूर निकोलस्‍के शहर पहुंचें. 

रास्‍ते में उन्‍हें कुछ रूस के सैनिक मिले, उन्‍होंने उनसे पूछा कि कहां जा रहे हो? इस पर उन्‍होंने झूठ बोला और बोल दिया कि उनके पेट में दर्द है, इलाज के लिए जपोरिज़िया जा रहे हैं. जपोरिज़िया में इलाज के लिए उन्‍होंने पैसा दे दिया है. लेकिन, उनको रोककर जांच की गई. फिर वह यहां से निकले और रोजविका पहुंचे, रोजविका से वह Verzhyna नाम के गांव पहुंचे. 

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कई जगह संघर्ष किया 
गार्जियन ने जो रिपोर्ट प्रकाशित की है, उसमें बताया गया है कि उनकी कई जगह जांच हुई.  कई जगह उनको रूसी सैनिकों ने रोका. एक रात तो उन्‍हें कुर्सी पर सोकर बितानी पड़ी, उनका कुत्‍ता झू-झू उनके कोट में सोया. जब वह जपोरिज़िया पहुंचे और उन्‍होंने एक महिला को बताया कि वो मारियुपोल से पैदल आए हैं. यह सुनकर वह चिल्‍ला पड़ी, उसने कई लोगों को अपने पास बुलाया और उनके संघर्ष की कहानी बताई. इगोर ने बताया कि 3 मार्च को मारियुपोल में रूसी सैनिकों ने उनके बेटे की हत्‍या कर दी थी. 

 

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