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6 महीने की ड्यूटी थी, लेकिन 34 महीने बाद भी काम कर रहा है मंगलयान

इसरो के एक वैज्ञानिक ने कहा कि मंगलयान को केवल यान नहीं, बल्कि महायान कहना उचित होगा जो छह महीने की अपनी मिशन अवधि पूरी करने के 34 महीने बाद भी काम कर रहा है.

छह महीने के मिशन पर भेजा गया था मंगलयान छह महीने के मिशन पर भेजा गया था मंगलयान
अभि‍षेक आनंद
  • नई दिल्ली,
  • 30 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 12:02 PM IST

अंतरिक्ष के इतिहास में भारत का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिख देने वाला मंगलयान लाल ग्रह का अध्ययन करने के लिए छह महीने के मिशन पर भेजा गया था, लेकिन यह 34 महीने बाद भी काम कर रहा है और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो के वैज्ञानिकों को लगातार मंगल ग्रह की तस्वीरें तथा डेटा भेज रहा है. वैज्ञानिक इस महायान के हुनर से गदगद हैं.

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इसरो के एक वैज्ञानिक ने कहा कि मंगलयान को केवल यान नहीं, बल्कि महायान कहना उचित होगा जो छह महीने की अपनी मिशन अवधि पूरी करने के 34 महीने बाद भी काम कर रहा है. रोजाना मंगल ग्रह के विभिन्न पहलुओं से संबंधित तस्वीरें और डेटा भी भेज रहा है. उन्होंने मंगलयान को भारत के अंतरिक्ष इतिहास का सबसे बड़ा मिशन करार देते हुए कहा कि इस मार्श ऑर्बिटर मिशन का प्रदर्शन अंतरिक्ष विज्ञानियों को प्रसन्न कर देने वाला है.

पांच नवंबर 2013 को मंगल यात्रा पर भेजे गए इस यान ने 24 सितंबर 2014 को मंगल की कक्षा में पहुंचकर इतिहास रच दिया था और इसके साथ ही भारत अपने पहले प्रयास में ही मंगल पर पहुंच जाने वाला दुनिया का पहला देश बन गया था. मंगल पर पहुंचने वाले अमेरिका और पूर्व सोवियत संघ जैसे देशों को कई प्रयासों में सफलता मिली थी.

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इसरो के अधिकारी ने बताया कि मंगलयान को छह महीने के मिशन पर भेजा गया था जो इसने 24 मार्च 2015 को पूरा कर लिया, लेकिन यह आज 34 महीने बाद भी मंगल के अध्ययन में भारतीय अंतरिक्ष विज्ञानियों को लगातार डेटा उपलब्ध करा रहा है. महज 450 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुआ यान 24 सितंबर 2014 से लाल ग्रह का लगातार चक्कर लगा रहा है. इस दौरान इसने मंगल की सतह, वहां की घाटियों, पर्वतों, बादलों और वहां उठने वाले धूल भरे तूफानों की शानदार तस्वीरें तथा डेटा मुहैया कराया है. मंगलयान लगभग तीन दिन में मंगल की कक्षा का एक चक्कर पूरा करता है.

 

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