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अहिल्याबाई होलकर ट्रस्ट की संपत्तियों पर सरकार का नियंत्रण, बेचने वालों को मिलेगी सजा

मध्य प्रदेश सरकार ने पुलिस और राजस्व अधिकारियों के एक विशेष दस्ते को नियुक्त किया है जो देवी अहिल्याबाई चैरिटेबल ट्रस्ट से संबंधित संपत्तियों की अवैध बिक्री की जांच करेगा. बता दें कि जबलपुर उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति नियुक्त की, जिसके बाद राज्य सरकार की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा अब इसकी जांच की जाएगी.

खासगी देवी अहिल्याबाई होलकर खासगी देवी अहिल्याबाई होलकर
aajtak.in
  • इंदौर,
  • 09 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 12:41 PM IST
  • अहिल्याबाई होलकर की संपत्तियों को सरकार ने नियंत्रण में लिया
  • अवैध तरीके से बेचने वालों का पता लगाने के लिए जांच टीम गठित

जबलपुर हाई कोर्ट के आदेश पर मध्य प्रदेश सरकार ने महारानी देवी अहिल्याबाई होलकर की 102 संपत्तियों को नियंत्रण में ले लिया है और इसे अवैध तरीके से बेचे जाने की जांच के लिए विशेष दस्ते का गठन कर दिया है. 

मध्य प्रदेश सरकार ने पुलिस और राजस्व अधिकारियों के एक विशेष दस्ते को नियुक्त किया है जो देवी अहिल्याबाई चैरिटेबल ट्रस्ट से संबंधित संपत्तियों की अवैध बिक्री की जांच करेगा. बता दें कि जबलपुर उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति नियुक्त की, जिसके बाद राज्य सरकार की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा अब इसकी जांच की जाएगी.

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खासगी देवी अहिल्या बाई होल्कर ट्रस्ट का गठन 1962 में होलकर राज परिवार द्वारा किया गया था. इस ट्रस्ट की देश भर के शहरों में कई सौ करोड़ रुपए मूल्य की 260 संपत्तियां हैं. इनमें से कई संपत्तियां हरिद्वार, ऋषिकेश, उज्जैन, रामेश्वरम और नासिक में हैं. 

राज्य सरकार के अनुसार संपत्तियों को ट्रस्टों द्वारा औने-पौने कीमतों पर बेचकर ट्रस्ट डीड में हेरफेर किया गया था, यह मामला पहली बार इंदौर के पूर्व सांसद सुमित्रा महाजन द्वारा प्रकाश में लाया गया था जिन्होंने 2012 में मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा था.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने इस मामले को लेकर कहा, ''मामला पहली बार 2012 में प्रकाश में आया, हम अदालत गए और अब उच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुनाया है. अवैध रूप से बेची गई संपत्तियों को अब वापस ले लिया जाएगा.''

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राज्य सरकार को ट्रस्ट की पारदर्शिता बनाए रखने और संपत्तियों को बेचने की साजिश रचने वालों की जिम्मेदारी तय करने के लिए हाई कोर्ट ने कई निर्देश दिए हैं. राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए आरोप लगाया है कि संपत्तियों को पिछली बीजेपी सरकार के कार्यकाल के दौरान बेचा गया था.

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