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भारत में यहां जो भी आता है, मार देते हैं! जानें वहां गए शख्स ने मरने से पहले क्या देखा?

दुनिया में एक ऐसी भी जगह है, जहां कोई नहीं जाता. क्योंकि वहां जाने का मतलब है, अपनी जान गंवाना. ये एक द्वीप है, जो भारत के पास बंगाल की खाड़ी में स्थित है. एक शख्स वहां पहुंचा तो जरूर लेकिन लौटकर नहीं आया. अपनी डायरी में उसने जो इस द्वीप पर जाने के बाद जो खुलासा किया, वो चौंकाने वाला है.

सेंटिनली जनजाति का एक व्यक्ति भारतीय तटरक्षक हेलीकॉप्टर पर अपना धनुष और बाण ताने (AFP) सेंटिनली जनजाति का एक व्यक्ति भारतीय तटरक्षक हेलीकॉप्टर पर अपना धनुष और बाण ताने (AFP)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 06 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 12:18 PM IST

अमेरिका के एक शख्स ने दुनिया के सबसे खतरनाक द्वीप नॉर्थ सेंटिनल आईलैंड पर जाने का निर्णय लिया और उसे भी अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. उसकी डायरी से खुलासा हुआ कि  वहां पहुंचने के बाद उसने जो देखा, वो बेहद चौंकाने वाला था. जानते हैं आखिर उसे वहां ऐसा क्या दिखा?  

एक अमेरिकी मिशनरी, जॉन एलन चाउ ने 'दुनिया के सबसे खतरनाक द्वीप' की यात्रा करने का साहसिक निर्णय लिया, जो आधुनिक समाज से पूरी तरह अलग-थलग है. लेकिन इस यात्रा के दौरान उनकी जान चली गई, क्योंकि वह वहां के आदिवासियों के हमले का शिकार हो गए.

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'नॉर्थ सेंटिनल आइलैंड' दुनिया की सबसे खतरनाक जगह 
भारत के अंडमान द्वीपसमूह में स्थित नॉर्थ सेंटिनल द्वीप करीब 23 वर्ग मील क्षेत्र में फैला है और यहां एक प्राचीन जनजाति रहती है, जिसे 'सेंटिनलीज' कहा जाता है. यह जनजाति 60,000 साल से अधिक समय से पूरी तरह अलग-थलग रह रही है और आधुनिक सभ्यता से पूरी तरह अनजान है. बाहरी लोगों से संपर्क के हर प्रयास को इस जनजाति ने हिंसक प्रतिक्रिया से रोका है.

यहां बाहरी लोगों के प्रवेश पर सख्त प्रतिबंध है, ताकि कोई बीमारी जनजाति में न फैल सके. हालांकि, इस सबके बावजूद जॉन एलन चाउ ने इस द्वीप पर ईसाई धर्म का प्रचार करने का जोखिम उठाया.

क्या था जॉन का अंतिम संदेश
जॉन ने अपनी यात्रा से पहले अपने परिवार और दोस्तों को लिखा कि अगर मेरी मौत हो जाए, तो इस जनजाति या भगवान से नाराज मत होना. वह इस द्वीप पर शांति और प्रेम का संदेश लेकर गए थे. जॉन अपने साथ वहां के लोगों के लिए उपहार के तौर पर मछलियां लेकर गए, लेकिन उनकी यह कोशिश दुखद अंत में बदल गई.

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तीन बार सेंटिनलीज से की संपर्क करने की कोशिश 
अपने डायरी में जॉन ने लिखा है कि   जब मैं द्वीप के किनारे पर पहुंचा तो जोर से चिल्लाया -मेरा नाम जॉन है, मैं और यीशु आपसे प्यार करते हैं.जब मैंने उन्हें अपने धनुष में तीर बांधते देखा तो मैं थोड़ा घबरा गया. मैंने मछली उठाई और उनकी ओर फेंकी. फिर वे मेरी ओर आने लगे. ये देख मैं नाव पर वापस आने के लिए ऐसे दौड़ा जैसे मैंने अपने जीवन में कभी ऐसा नहीं किया. मैं अपनी नाव की ओर पागलों की तरह भागा.

इसके बावजूद जॉन ने हार नहीं मानी एक बार फिर द्वीपवासियों से संपर्क करने की कोशिश की. दूसरी बार भी सेंटनलीज से संपर्क का प्रयास असफल रहा. जब जॉन तीसरी बार उनलोगों से बातचीत का प्रयास कर रहे थे, तो आदिवासियों ने उन्हें तीर मारकर जान ले ली. 

तीसरे प्रयास में मारा गया अमेरिकी
पहले प्रयास के दो दिन बाद जॉन को मार दिया गया. जिस मछुआरे ने उसे द्वीप तक पहुंचने में मदद की थी, उसने घटना का विवरण दिया और यहां तक कहा कि उसने कथित तौर पर सेंटिनली को जॉन के शव को समुद्र तट पर घसीटते हुए और उसे दफनाने की कोशिश करते हुए देखा.

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कभी नहीं मिला जॉन का शव
भारत के अधिकारियों के प्रयास के बावजूद जॉन का शव कभी बरामद नहीं हुआ. बाद में, जॉन की मौत के सिलसिले में सात लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिसमें उसे पार करने में मदद करने वाला मछुआरा भी शामिल था.

सिर्फ एक फोटो और डायरी बरामद हुई
जॉन की केवल डायरी और एक फोटो उनकी यादों के रूप में बच गई. घटना से कुछ हफ्ते पहले, जॉन ने इंस्टाग्राम पर अपनी यात्रा की तस्वीरें साझा की थीं. उनकी अंतिम तस्वीर एक मछुआरे के साथ नाव पर ली गई सेल्फी थी, जिसे उन्होंने कैप्शन दिया था -कायाकिंग इन द ट्रॉपिक्स इन दिस एंडलेस समर.

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