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मिल गया 'खजाने' का नक्शा! 4000 साल पुराने मैप का रहस्य सुलझाने में जुटे वैज्ञानिक

फ्रांस में वैज्ञानिकों ने 4000 साल पुराने एक प्राचीन पत्थर पर बने नक्शे के रहस्य को काफी हद तक सुलझा लेने का दावा किया है. उनका मानना है कि ये मैप उन्हें छुपे हुए मोन्युमेंट या खजाने की ओर ले जा सकता है.

फोटो- twitter@Paracelsus1092 फोटो- twitter@Paracelsus1092
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 1:55 PM IST

आर्कियोलॉजिस्ट और वैज्ञानिकों ने 4000 साल पुराने एक प्राचीन पत्थर पर बने नक्शे के रहस्य को काफी हद तक सुलझाने का दावा किया है.ब्रांज एज ये का नक्शा, पहली नज़र में, रहस्यमय चिह्नों से उकेरा गया चट्टान का एक टुकड़ा मात्र है. लेकिन यह सेंट-बेलेक स्लैब आर्कियोलॉजिस्ट को उत्तर-पश्चिमी फ्रांस में खोए हुए मोन्युमेंट्स और खजाने तक ले जा सकता है, फ्रांसीसी समाचार एजेंसी एजेंस फ्रांस-प्रेस ने जानकारी दी है.

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हो सकता है किसी खजाने का नक्शा

इधर, @Paracelsus1092 नाम के ट्विटर पेज पर इससे जुड़ी तस्वीरें जारी की गई हैं और कहा गया है कि ये किसी गड़े खजाने का नक्शा भी हो सकता है. प्रोजेक्ट पर काम करने वाले सीएनआरएस अनुसंधान संस्थान के क्लेमेंट निकोलस ने न्यूजवीक को बताया, "यह पत्थर का नक्शा अहम है क्योंकि हम इसके कार्टोग्राफिक कंटेंट को प्रदर्शित करने में पहली बार सक्षम हुए हैं. 

इसमें ओडेट घाटी-और आगे की नदियों, विशेष रूप से औलने नदी के घुमावदार भागों के सटीक 3डी चित्रण की तुलना नेटवर्क विश्लेषण के माध्यम से आधुनिक समय के मैप से की गई है." आमतौर पर, आर्कियोलॉजिस्ट खोज करने के लिए रडार उपकरण और हवाई फोटोग्राफी जैसी तकनीक का उपयोग करते हैं. यह एनशिएंट मैप पर भी उतना ही प्रभावी साबित हो सकता है. 

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यूरोप का सबसे पुराना मैप

सेंट-बेलेक स्लैब को 2021 में यूरोप का सबसे पुराना मैप घोषित किया गया था, और तब से, आर्कियोलॉजिस्ट इसके चिह्नों को समझने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि वह किसी खोज तक पहुंच सकें. एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार, इसे पहली बार 1900 में खोजा गया था, लेकिन इसे खोजने वाले इतिहासकार ने इसके महत्व को नहीं समझा.

कितना बड़ा है नक्शे में बना एरिया?

फिर 2014 में, वेस्टर्न ब्रिटनी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर यवन पैलर और निकोलस ने इस कलाकृति को फिर से खोजा और इसे एक संग्रहालय में रखा गया. यहां पैलर ने इसके चिह्नों पर करीब से नज़र डालना शुरू किया. पैलर ने एएफपी को बताया, "वहां कुछ छोटे चिन्ह थे जो तुरंत समझ में आ गए. शोधकर्ताओं ने अब तक पता लगाया है कि नक्शे में बनी जगह लगभग 18 मील गुणा 13 मील के क्षेत्र में फैली है.

आधुनिक मैप से 80 प्रतिशत मेल 
 
आर्कियोलॉजिस्ट का मानना ​​है कि नक्शे में शामिल क्षेत्र कभी प्राचीन साम्राज्य रहा होगा. इसे अधिक एक्सप्लोर करने से पहले पूरे क्षेत्र का सर्वे और क्रॉस-रेफ़रेंस करना होगा. ये एक ऐसा काम है जिसे पूरा होने में लगभग 15 साल लगेंगे. इन क्षेत्रों में फ्रांस के ब्रिटनी क्षेत्र में राउडौलेक के पहाड़ शामिल हैं. शोधकर्ताओं ने चट्टान पर उभार और रेखाओं के रूप में स्लैब पर अंकित नदियों को भी डिकोड किया है. जब उन्होंने नक्शे की तुलना आधुनिक मैप से की, तो पाया कि यह 80 प्रतिशत मेल खाता था.

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ली जाएगी सैटेलाइट इमेजरी और  LiDAR सर्वे की मदद

निकोलस ने कहा, "फिलहाल, हमने केवल नैचुरल लैंडस्केप (नदियां, पहाड़) के नक्शे  को ही समझा है. इन सिंबल्स (अंडाकार, वृत्त, वर्ग, कपमार्क) के मुख्य हिस्सों को डिकोड करने की जरूरत है. अब विचार यह है कि चित्रित स्थलों को खोजने के लिए सेंट-बेलेक मानचित्र का उपयोग किया जाए. हम सभी उपलब्ध हवाई और सैटेलाइट इमेजरी के साथ-साथ आगामी LiDAR सर्वे का उपयोग करेंगे.  हम साइट पहचान को बढ़ाने के लिए टारगेटेड एरिया पर हाई- रिज़ॉल्यूशन डेटासेट प्राप्त करने के लिए हाइपर- और मल्टी-स्पेक्ट्रल इमेजरी के एयरबोन एक्विजीशन की उम्मीद करते हैं. 

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