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ब्रह्मांड में दिखा 'चीखता पिशाच', NASA ने जारी की हैरान करने वाली तस्वीर

नासा की ओर से जारी ब्रह्मांड की तस्वीर में जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) से दिखा ये नजारा कुछ ऐसा है जैसे यूनिवर्स में  डीप-स्पेस ब्लॉब मॉन्स्टर यानी कोई डरावना पिशाच हो. यह तस्वीर जितनी खूबसूरत है उतनी ही डरावनी भी.

(फोटो: J. McKinney/M. Franco/C. Casey/University of Texas at Austin) (फोटो: J. McKinney/M. Franco/C. Casey/University of Texas at Austin)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 1:03 PM IST

कहते हैं कि यूनिवर्स यानी ब्रह्मांड एक ऐसी जगह है जो रहस्यों से भरी हुई है. इसके बारे में बहुत कुछ जानने का बावजूद बहुत कुछ ऐसा है जिससे वैज्ञानिक अभी भी अंजान हैं. यूनिवर्स में कभी प्रकृति के खूबसूरती देखने को मिलती है तो कभी उसका विकराल रूप. हाल में एरोनॉटिकल्स और स्पेस रिसर्च एजेंसी नासा ने इसी यूनिवर्स की जो तस्वीर जारी की वह जितनी खूबसूरत है उतनी ही डरावनी भी.

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'दो बड़ी आंखें और खुले मुंह वाला पिशाच'

दरअसल, जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) से दिखा ये नजारा कुछ ऐसा है जैसे यूनिवर्स में  डीप-स्पेस ब्लॉब मॉन्स्टर यानी कोई डरावना पिशाच हो. टेलिस्कोप से प्राप्त तस्वीर में एक विशाल धूल भरी आकाशगंगा दिख रही है जो हर साल सैकड़ों सितारों को जन्म देती है. लेकिन ये कुछ ऐसी शेप में है कि डरावनी लग रही है. ये ऐसी है जैसे इसके दो बड़ी आंखें और खुले मुंह वाला कोई चेहरा हो. 

कब अस्तित्व में आई ये गैलेक्सी?

इस तस्वीर ने ऑस्टिन में टेक्सास विश्वविद्यालय (यूटी) के खगोलविदों का ध्यान खींच तो उन्होंने दूरबीन के डेटा को एनालाइज किया. विश्लेषण के बाद उन्होंने ये समझा कि आकाशगंगा AzTECC71 बिग बैंग के लगभग 900 मिलियन साल बाद अस्तित्व में आई थी. ध्यान से देखने पर ये गैलेक्सी नहीं बल्कि भूत सी दिखाई पड़ती है, जैसे वह चीख रहा है.  

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'ये गैलेक्सी एक 'वास्तविक राक्षस' है क्योंकि...'
 
इस खोज से प्रारंभिक ब्रह्मांड के बारे में वैज्ञानिकों की समझ में बदलाव आ सकता है. क्योंकि पहले, उन्होंने सोचा था कि विशाल स्टार नर्सरी दुर्लभ हैं, लेकिन इस गैलेक्सी ने संकेत दिया है कि ये वास्तव में तीन से 10 गुना अधिक दूर तक फैली हो सकती हैं. ऑस्टिन में टेक्सास विश्वविद्यालय के पोस्टडॉक्टरल रिसर्चर जेड मैककिनी ने कहा कि ये गैलेक्सी एक 'वास्तविक राक्षस' कहा जा सकता है, क्योंकि 'छोटी बूंद' की तरह दिखने के बावजूद यह सालाना सैकड़ों नए तारे बनाने के लिए जिम्मेदार है. उन्होंने कहा, और ये दिलचस्प है कि हमारे नए टेलिस्कोप से सबसे संवेदनशील इमेजिंग में इतनी बारीक चीजें भी दिखाई देती हैं. यह हमें बता रहा है कि आकाशगंगाओं की एक पूरी आबादी है जो अभी भी हमारी नजरों से दूर है.

(फोटो: J. McKinney/M. Franco/C. Casey/University of Texas at Austin)

सबसे पहले ज़मीन से खोजी गई थी ये आकाशगंगा

बताते चलें कि मैककिनी और उनका दल दस लाख आकाशगंगाओं की पहचान करने के टारगेट के साथ, द कॉसमॉस-वेब पहल के लिए ब्रह्मांड का चार्ट बनाने के लिए नासा की जानकारी का उपयोग कर रहे हैं. AzTECC71 की इस चमकती गैलेक्सी  को सबसे पहले ज़मीन पर दूरबीनों द्वारा खोजा गया था, लेकिन हबल स्पेस टेलीस्कोप द्वारा खींची गई छवियों में कुछ भी न के बराबर दिख रहा था. और अब JSWT ने इंफ्रारेड प्रॉपर्टीज को पकड़ने की अपनी क्षमता के कारण धूल भरी आकाशगंगा की तस्वीर ली है. मैककिनी ने कहा कि अब तक वे प्रारंभिक ब्रह्मांड में केवल हबल के माध्यम से गैलेक्सीज को देख पाए थे.  

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ऐसी और आकाशगंगाओं को खोजने का काम जारी

AzTECC71 का पता पहली बार हवाई में जेम्स क्लर्क मैक्सवेल टेलीस्कोप द्वारा लगाया गया था जब इसे वेवलैंथ में कैपचर किया गया था. COSMOS-वेब टीम ने चिली में ALMA टेलीस्कोप का उपयोग करके एक अन्य समूह द्वारा एकत्र किए गए डेटा में इसको देखा था, जिसमें इसे हायर स्पेटियल रिज़ॉल्यूशन है और इनफ्रारेड में देख सकता था. वे इस मेथड का उपयोग करके इसकी लोकेशन को स्पॉट करने में सक्षम थे. जब उन्होंने इनफ्रारेड में 4.44 माइक्रोन की वेवलैंथ पर JWST डेटा की जांच की, तो वैज्ञानिकों ने सटीक स्थान पर इस आकाशगंगा की खोज की. अब, टीम JWST से ऐसी धुंधली आकाशगंगाओं को खोजने के लिए काम कर रही है.

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