
भूत, आत्माएं और अनजाने साये की बात की जाए तो इसे आमतौर पर अंधविश्वास के दायरे में ही देखा जाता है. यह सवाल सदियों से लोगों के मन में बना हुआ है कि क्या वास्तव में भूतों का अस्तित्व है. हालांकि, ऐसी बातें अक्सर कल्पना मात्र मानी जाती हैं. लेकिन अगर कोई यह कहे कि एक देश की संसद बाकायदा ऐसा टूर आयोजित करती है, जो भूतों से जुड़ी कहानियों पर आधारित है और जिसे 'भूतिया टूर' कहा जाता है, तो आप क्या कहेंगे? हम बात कर रहे हैं न्यूजीलैंड की संसद की, जहां कुछ ऐसा ही होता है.
इन दिनों न्यूजीलैंड की संसद अपनी डरावनी कहानियों के लिए चर्चा में है. हर हफ्ते वेलिंगटन में स्थित संसद भवन में 'भूतिया टूर' आयोजित किए जाते हैं, जहां गाइड विक्टोरियन युग की वेशभूषा में, चेहरे पर नकली खून लगाए मेहमानों को संसद से जुड़ी भूत की कहानियां सुनाते हैं. हर कहानी के पीछे कुछ ना कुछ वजह होती है.
क्या है न्यूजीलैंड की संसद की 'डरावनी' कहानी
न्यूजीलैंड की संसद में एक लाइब्रेरी है. जिसके बारे में एक कहानी है. इस लाइब्रेरी में दो बार आग लगी, बाढ़ आई और जंगली बिल्लियों ने हमला कर दिया. धीरे-धीरे ये अफवाह गढ़ दी गई यहां किसी बुरे साये की वजह से ऐसा होता है. सुरक्षाकर्मी और सफाई कर्मचारी यहां रात में जाने से कतराते हैं.
एक कहानी सांसद विलियम लार्नक की है. 1898 में, आर्थिक तंगी और पारिवारिक परेशानियों से जूझते हुए, उन्होंने संसद के एक कमरे में रिवॉल्वर से खुद को गोली मार ली थी. कई लोगों का दावा है कि उनकी आत्मा आज भी संसद में भटकती है.
बाद में, उनकी कब्र से उनकी खोपड़ी चोरी कर ली गई थी, और 1972 में इसे एक कॉलेज छात्र के कमरे में पाया गया, जिससे यह रहस्य और भी गहरा हो गया. संसद के कर्मचारी बताते हैं कि कभी-कभी दरवाजे अपने आप बंद हो जाते हैं, मानो कोई अदृश्य शक्ति वहां मौजूद हो.
संसद के पहले लाइब्रेरियन ईवेन मैककॉल की कहानी भी काफी मशहूर है. कहा जाता है कि अत्यधिक काम के दबाव के कारण उनकी मौत हो गई थी.
किताबों से निकले हैं हाथ!
कुछ लोगों का मानना है कि उनकी आत्मा आज भी संसद की लाइब्रेरी में भटकती है. रात में काम करने वाले कर्मचारी और सुरक्षाकर्मी दावा करते हैं कि कभी-कभी लाइब्रेरी में अनजानी सरसराहट सुनाई देती है, किताबें खुद-ब-खुद गिर जाती हैं, और अचानक ठंडी हवा का झोंका महसूस होता है.
कर्मचारियों के बीच ऐसी कहानियां मशहूर हैं कि किताबों के ढेर से हाथ निकलते हैं, शीशे में एक भूतिया महिला दिखती है, और बंद दरवाजे अपने आप खुल जाते हैं.
न्यूजीलैंड की संसद की गोथिक शैली की लाइब्रेरी की इमारत, जो 1899 में थॉमस टर्नबुल द्वारा डिजाइन की गई थी, अपने आप में एक रहस्यमयी माहौल बनाती है. यहां दो आग, एक बाढ़, और कई अजीब घटनाओं का इतिहास भी इसे और रहस्यमयी बनाता है.