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देश के इस गांव में नोटबंदी के बाद भी बैंक से लेकर ATM तक में कोई लाइन नहीं

सरकार के नोटबंदी के फैसले के बाद जहां देश के सभी बैंको और एटीएम के सामने लोगों की लंबी लाइन लगी हुई है, वहीं गुजरात के एक गांव में लोग बैंक या एटीएम से पैसे ही नहीं निकाल रहे.

गुजरात के इस गांव में एटीएम के सामने कोई भीड़ नहीं है गुजरात के इस गांव में एटीएम के सामने कोई भीड़ नहीं है
गोपी घांघर
  • गुजरात,
  • 18 नवंबर 2016,
  • अपडेटेड 11:26 PM IST

सरकार के नोटबंदी के फैसले के बाद पूरा देश बैंकों के बाहर लाइन में खड़ा है. लेकिन वहीं आणंद के धर्मज में बैंकों का नजारा कुछ अलग ही है. यहां ना तो नोट बदलने के लिए कोई लाइन है और ना ही कोई एटीएम से पैसे निकाल रहा है.

गांव की आबादी 11000 हजार है और गांव में 13 बैंक हैं. दरअसल इस गांव के ज्यादातर लोग एनआरआई हैं. करीब 31 हजार लोग विदेश में रह रहे हैं. हर साल 1500 से 2000 लोग गांव में आते हैं. इसलिए लोग न तो बैंक से लोन लेते हैं और न ही बैंको में भीड़ नजर आती है.

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इस गांव का अब तक का इतिहास रहा है कि बैंक में पैसे जमा करने वालों की संख्या ज्यादा है और निकालने वालों की कम. यहां लेन-देन का ज्यादातर काम डेबिट और क्रेडिट कार्ड से होता है.

गांव के लोग सरकार के नोटबंदी के फैसले को लोग सही ठहरा रहे हैं. लोगों का कहना है कि उनके गांव की तरह दूसरे गांव और शहरों को भी प्लास्टिक करेंसी का उपयोग करना चाहिए. इस गांव में लोन लेने वालों से अधिक डिपॉजिट करने वाले हैं.

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- गांव में नेशलाइज ,प्राइवेट और को-आपरेटिव समेत कुल 13 बैंक हैं.
- सबसे पहले यहां 1959 में 'देना बैंक' की शाखा खुली थी.
- इसके बाद 1969 में सहकारी बैंक शुरू की गई. इसके बाद 'बैंक ऑफ इंडिया' और 'बैंक ऑफ बड़ौदा' की शाखाएं खुली.
- 1885 से यहां के लोगों ने विदेशों में बसना शुरू किया.
- यहां से अधिकांश लोग अफ्रीका में जाकर बसे हैं.
- 1968 में अफ्रीका की हालत खराब होने पर लोगों ने इंग्लैंड में बसना शुरू कर दिया.

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