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Operation Midnight Climax: जब CIA ने 'वेश्यालय' को बनाया हथियार, कोल्ड वॉर के दौरान चली सबसे बड़ी चाल!

ये एक गैरकानूनी तरीके से चलाया गया ऑपरेशन था, जिसके तहत लोगों के दिमाग को कंट्रोल किया जाता था. इसमें शामिल वेश्याओं को पैसे और दूसरे लाभ मिलते थे.

शीत युद्ध के वक्त चलाया गया था ऑपरेशन (प्रतीकात्मक तस्वीर- Pixabay) शीत युद्ध के वक्त चलाया गया था ऑपरेशन (प्रतीकात्मक तस्वीर- Pixabay)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 20 जून 2023,
  • अपडेटेड 11:31 AM IST

दुनिया के तमाम देशों की खुफिया एजेंसियों ने अपने अपने मकसद को पूरा करने के लिए तमाम तरह के ऑपरेशन चलाए हैं. ऐसा ही एक ऑपरेशन था, मिडनाइट क्लाइमेक्स. इसमें एक खुफिया एजेंसी ने वेश्यालय चलाया और अपने ही लोगों पर खतरनाक प्रयोग किए. जब शीत युद्ध अपने चरम पर था. तब दुनिया की दो बड़ी महाशक्तियां अमेरिका और सोवियत संघ एक दूसरे को हराने के लिए खौफनाक तरीके अपना रही थीं. इन्होंने हथियारों के बजाए दिमाग से लड़ने का रास्ता भी चुना. इसके तहत सैनिकों के दिमाग को कंट्रोल किया जाना था. 

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सोवियस संघ अमेरिकी सैन्य कैदियों के दिमाग को कंट्रोल कर उनसे सबकुछ उगलवा लेता था. इस तरह की रिपोर्ट्स से अमेरिका की चिंता बढ़ रही थी. इससे निपटने के लिए सीआईए ने एक गैरकानूनी एक्सपेरिमेंट शुरू किया. इसका मकसद उस 'ट्रुथ ड्रग' की जानकारी जुटाना था, जिसका इस्तेमाल ब्रेनवाशिंग और मनोवैज्ञानिक यातना के जरिए पूछताछ और जबरन कुछ स्वीकार करवाने के लिए हो सकता था. ऑपरेशन मिडनाइड क्लाइमेक्स की शुरुआत साल 1954 में सैन फ्रांसिस्को के भीड़ भरे इलाके में एलएसडी (Lysergic acid diethylamide) नाम के ड्रग्स से भरे वेश्यालय में हुई थी.   

दिमाग से लड़ा जाने वाला युद्ध

इसका मतलब ये था कि क्या ड्रग्स के जरिए मदहोश किए जाने के तरीके को सोवियत के खिलाफ हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है. ये नए तरह का 'मस्तिष्क युद्ध' था. इसके तहत ऑपेरशन से अंजान अमेरिकी पुरुषों को वेश्याएं शारीरिक संबंध बनाने का झांसा देकर एक बिल्डिंग में लेकर आती थीं. जहां बिना बताए इन पुरुषों को ड्रग्स दिए जाते.

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पुरुषों को झांसा देकर लाती थीं वेश्याएं (प्रतीकात्मक तस्वीर- Pixabay)

वहां लगे शीशे के दूसरी तरफ बैठे सीआईए के एजेंट ड्रग्स के असर को देखा करते थे. इस बिल्डिंग को बाद में चार मंजिला घर में बदल दिया गया. यहां छह बेडरूम और सात बाथरूम थे. इसे अक्टूबर 2015 में 10 मिलियन डॉलर में बेचा गया था.

ऑपरेशन के तहत शुरू किए गए वेश्यालय को फेडरल एजेंट्स ने 1963 तक यानी पूरे 8 साल तक चलाया. इस काम को जॉर्ज हंटर व्हाइट ने संभाला था. वो फेडरल ब्यूरो ऑफ नार्कोटिक्स में एजेंट और ऑफिस ऑफ स्ट्रैटेजिक सर्विसेज में सीआईए सलाहकार थे.

अभी एजेंसी एक ऐसे ड्रग्स को ढूंढ निकालना चाहती थी, जिससे दुश्मन देश के कैदी सैनिकों से रहस्य उगलवाए जा सकें. इस दौरान उनका ध्यान एलएसडी ड्रग पर गया, जिसे स्विस केमिस्ट डॉक्टर एल्बर्ट हॉफमैन ने ऑपरेशन की शुरुआत से करीब एक दशक पहले 1943 में बनाया था.

सीआईए डायरेक्टर ने दी थी मंजूरी
 
सीआईए के तत्कालीन डायरेक्टर एलन डलेस ने 13 अप्रैल, 1953 को 'बायोलॉजिकल और केमिकल मटीरियल के सीक्रेट इस्तेमाल' के लिए एक कार्यक्रम को मंजूरी दी थी. इसे MKULTRA नाम दिया गया और ये 300,000 डॉलर के शुरुआती बजट के साथ शुरू हुआ. इसमें तरह तरह के ड्रग्स को इस्तेमाल करना शामिल था. ये इस्तेमाल कैदियों, ड्रग्स एडिक्ट, मानसिक तौर पर बीमार और लाइलाज बीमारी से पीड़ित लोगों पर होता था. 

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जून 1953 में एलएसडी को इस्तेमाल करने पर सहमति बनी. इसमें 40,290 डॉलर का छोटा सा बजट रखा गया. वेश्याओं को 100 डॉलर दिए जाते. उस वक्त वेश्यावृत्ति कानूनन अपराध थी, इसलिए वेश्याओं को जेल से राहत का लाभ भी मिलता. ये स्थानीय पुरुषों से बार में मिलतीं और उन्हें खाना, ड्रिंक या सिगरेट के जरिए वेश्यालय लाकर ड्रग्स दे देतीं. शारीरिक संबंध के जरिए पुरुषों से सब कैसे उगलवाना है, ये भी सीआईए देख रहा था.

दिमाग को कंट्रोल किया जाता था (प्रतीकात्मक तस्वीर- Pixabay) 

ऑपरेशन से जुड़ी है एक मौत

इस ऑपरेशन से एक मौत जुड़ी है. सीआईए और सेना की बायोलॉजिकल वारफेयर लैब के लिए काम करने वाले वैज्ञानिक फ्रैंक ओल्सन को लेकर कहा जाता है कि उनकी ड्रिंक में सीआईए में काम करने वाले केमिस्ट डॉक्टर सिडनी गॉटलीब ने ड्रग्स मिला दिया था. इससे उनकी मानसिक सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ा. उन्होंने 1953 में न्यूयॉर्क सिटी की बिल्डिंग की 10वीं फ्लोर से कूदकर जान दे दी. कुछ लोगों ने इसे हत्या भी बताया. 

बाद में उनके परिवार ने सरकार के खिलाफ मुकदमा दायर किया और उन्हें 750,000  डॉलर का मुआवजा मिला. साथ ही तत्कालीन राष्ट्रपति गेराल्ड फोर्ड और तत्कालीन सीआईए निदेशक विलियम कोल्बी ने निजी तौर पर माफी भी मांगी. 

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पूरा नहीं हो सका मकसद

एजेंसी ने 1973 में ऑपरेशन मिडनाइट क्लाइमेक्स और MKULTRA से जुड़ी अधिकतर फाइल्स को नष्ट कर दिया था. इसलिए ये साफ नहीं है कि इस गैरकानूनी एक्सपेरिमेंट ने कितने लोगों के दिमाग और जिंदगियों को नुकसान पहुंचाया है. केमिस्ट डॉक्टर सिडनी गॉटलीब ने अपने एजेंट्स से कहा कि इस मामले में कोई डिटेल न लिखें.

ऑपरेशन अपने उद्देश्य में सफल नहीं हुआ. ये लोग अपने देश यानी अमेरिका के दुश्मनों के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए जिस 'ट्रुथ ड्रग' का पता लगाना चाहते थे, उसकी खोज के करीब भी नहीं आ सके. साल 1977 में कांग्रेस की एक रिपोर्ट में कार्यक्रम को अपमानजनक, अनैतिक और अवैध बताया गया था.

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