
ये लोग डोमा जनजाति से हैं, जिन्हें 'Ostrich People' भी कहा जाता है. इसके पीछे का कारण है इनके पैर. जो दिखने में ऑस्ट्रिच यानी शुतुरमुर्ग पक्षी के जैसे हैं. जिम्बाब्वे के कान्येम्बा क्षेत्र की इस जनजाति के लोग अपनी दुर्लभ आनुवंशिक स्थिति को लेकर प्रसिद्ध हैं. इस जनजाति के कई सदस्य एक्ट्रोडैक्टली से पीड़ित हैं. इस आनुवंशिक म्यूटेशन को लॉबस्टर क्लॉ सिंड्रोम भी कहा जाता है.
डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, इसमें जन्म के वक्त पैर की एक या उससे अधिक उंगलियां गायब होती हैं. ऐसा माना जाता है कि डोमा जनजाति में पैदा होने वाला हर चार में से एक बच्चा इस स्थिति से पीड़ित होता है. अधिकतर लोगों के पैर के बीच की तीन उंगलियां गायब रहती हैं और इसके बजाय केवल दो ही उंगलियां होती हैं. ये अंदर की ओर मुड़ी हुई रहती हैं. इन लोगों को अपने ग्रुप के बाहर शादी करने की मनाही है, ताकि ये बीमारी अन्य जनजाति के लोगों में न फैले.
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दूसरे ग्रुप में शादी पर बैन
जनजाति के बाहर शादी करने पर रोक लगाने वाले कानूनों के बावजूद, ये स्थिति कालाहारी रेगिस्तान के तलौंडा या तलौते कलंगा सहित अन्य जनजातियों में भी मौजूद है. ऐसा माना जाता है कि ये लोग डोमा जनजाति के साथ ही वंश साझा करते हैं. रिपोट्स के अनुसार, ये समुदाय अपनी स्थिति को विकलांगता नहीं मानता. वो भी तब जब कई लोगों को चलने में कठिनाई होती है और उनके लिए दौड़ना भी बेहद मुश्किल है. ये लोग जूते भी नहीं पहन पाते हैं.
इसे खूबी मानते हैं ये लोग?
इन सबके बजाय ये इसे अपनी खूबी के तौर पर देखते हैं. साथ ही अपनी इस स्थिति का जश्न मनाते हैं. इनका मानना है कि अपनी इसी खूबी की वजह से ये पेड़ पर तेजी से चढ़ पाते हैं. इस जनजाति के लोग अपना पालन पोषण करने के लिए पेड़ के फल तोड़ते हैं, शिकार करना पसंद करते हैं, मछली पकड़ते हैं और शहद एकत्रित करते हैं.