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डॉक्टरों ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस यानी AI की मदद से हुई इस सर्जरी को आधुनिक मेडिकल की दुनिया का मिरेकल बताया है. अमेरिका के न्यूयॉर्क के रहने वाले एक शख्स को डाइविंग करते वक्त लकवा मार गया था. मशीन लर्निंग आधारित सर्जरी के बाद उसके शरीर में मोशन और फीलिंग्स वापस आ गई हैं. इसके लिए माइक्रोइलेक्ट्रोड इंप्लांट की मदद से इस शख्स के ब्रेन से कंप्यूटर को कनेक्ट किया गया था.
मैनहैसेट के फीनस्टीन इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल रिसर्च के विशेषज्ञों का दावा है कि अंधापन, बहरापन, दौरे पड़ना, सेरेब्रल पाल्सी और पार्किंसंस जैसी बीमारियों के इलाज के लिए AI-इन्फ्यूज्ड सर्जरी का सहारा लेने के लिए 45 साल के कीथ थॉमस का मामला मददगार साबित होगा.
थॉमस के साथ क्या हुआ था?
फीनस्टीन इंस्टीट्यूट ऑफ बायोइलेक्ट्रॉनिक मेडिसिन के प्रोफेसर चाड बाउटन ने न्यूयॉर्क पोस्ट को बताया, 'ये पहली बार है कि एक लकवाग्रस्त शख्स अपने मस्तिष्क, शरीर और रीढ़ की हड्डी को एक साथ इलेक्ट्रॉनिकली जोड़कर मूवमेंट और सेंसेशन प्राप्त कर रहा है. हम दुनिया भर में लोगों की मदद करना जारी रखेंगे. शायद और बड़े मामलों में भी.'
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दरअसल साल 2020 में थॉमस पूरी तरह ठीक थे. वो एक सफल वेल्थ मैनेजर थे. दो दशक से मैनहट्टन में रह रहे थे. अपने दोस्त के स्विमिंग पूल में डाइविंग करते वक्त उनके साथ हादसा हो गया. गर्दन की हड्डी टूट गई. रीढ़ की हड्डी के कुछ हिस्सों को नुकसान पहुंचा. पानी के अंदर ही उनकी आंखों के आगे अंधेरा छा गया. जब आंखें खुलीं, तो पता चला कि वो अपने शरीर को कंट्रोल नहीं कर सकते. कहा गया कि गर्दन के नीचे का हिस्सा कभी हिल नहीं सकता. लेकिन थॉमस मे हिम्मत नहीं हारी.
सर्जरी के लिए कैसे मिले पैसे?
उन्होंने गो फंड मी पर डोनेशन पेज बनाया. यहां से 360,000 डॉलर जुटाए. लोगों को उनकी कहानी ने झकझोर दिया था. कई लोगों ने अकेले ही 10 हजार डॉलर तक डोनेशन में दिए. उनकी बहन का कहना है कि वह हर किसी के साथ इतनी अच्छी तरह व्यवहार करते हैं कि लोग उन्हें अपना अच्छा दोस्त समझने लगते हैं. वो लोगों को काफी स्पेशल फील कराते हैं.
ये इस तरह की पहली सर्जरी थी, जिससे वो ठीक हुए हैं. इंस्टीट्यूट की लैबोरेट्री ऑफ ह्यूमन ब्रेन मैपिंग के निदेशक डॉ. अशेष मेहता ने बताया कि थॉमस के जिंदगी और उसमें शामिल लोगों के प्रति प्रेम से ही वो वास्तव में इस तरह की पहली सर्जरी के लिए एक सही उम्मीदवार बने. उन्हें पता है कि उनके पास ताकत है. इन्हीं सब चीजों की जरूरत 15 घंटे तक चली सर्जरी में थी. वो ऑपरेशन के दौरान जगे हुए थे और डॉक्टरों से बात कर रहे थे.
लकवाग्रस्त जिंदगी जी रहा शख्स अब एक बार फिर अपने कंधों और हाथों में संवेदना महसूस कर सकता है. वो ये नोवेल सिस्टम की वजह से कर पा रहा है, जो उसके विचारों को उसकी मांसपेशियों और रीढ़ की हड्डी तक भेजे गए इलेक्ट्रोनिक सिग्नल्स में बदलने के लिए ब्रेन इंप्लांट्स और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल करता है. ये सिग्नल उसकी चोट की जगह को बायपास करते हैं और उसकी गर्दन और बांह पर पैच से कनेक्ट होते हैं, ये उसके मस्तिष्क से संचार को बहाल करते हैं और स्थायी तौर पर मूवमेंट और फीलिंग्स को शुरू करते हैं.