
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद कई लोग देश छोड़कर भागने लगे. लेकिन दो साल का मासूम हंजाला अफगानिस्तान में ही फंसा है. दरअसल, जिस समय लोग देश छोड़कर भाग रहे थे, उस दौरान हंजाला अपने माता-पिता से बिछड़ गया. तभी से उसके माता-पिता ने उसे अपने पास लाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है. माता-पिता अमेरिका की बाइडन सरकार से भी बेटे को वापस लाने के लिए मदद मांग रहे हैं. लेकिन अभी भी हंजाला उनसे मीलों दूर है.
16 अगस्त 2021 की सुबह, नूरुलहक हादी और उनका परिवार काबुल के हवाई अड्डे की ओर जा रहे थे, ताकि वे भी किसी सुरक्षित जगह पहुंच सकें. लेकिन अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के दौरान हुई भगदड़ में नूरुलहक हादी का परिवार फंस गया. नूरुलहक की पत्नी नसीमा और उनका एक साल का बेटा तो किसी तरह गेट में पहुंच गए. लेकिन इसके बाद गेट बंद कर दिए गए.
NBC न्यूज के मुताबिक, नूरुलहक अपने बेटे हंजाला के साथ गेट के अंदर घुसने की कोशिश कर रहा था. लेकिन उन्हें एंट्री नहीं मिली. नूरुलहक ने बताया कि उस दौरान तालिबान के लड़ाके लोगों को मारने के लिए आ रहे थे. उन्हें अपने बेटे को बचाने के लिए अपने भाई से मदद मांगी. उन्होंने भाई से हंजाला को पानी पिलाने के लिए कहा. और कहा कि जब तक उन्हें एयरपोर्ट पर एंट्री नहीं मिल जाती तब तक उसे अपने पास ही रखे.
उन्होंने कहा कि फिर किसी तरह वो तो एयरपोर्ट के अंदर हवाई जहाज तक आ गए. लेकिन उनका भाई हंजाला को एयरपोर्ट के अंदर नहीं ला पाया. उन्होंने एयरपोर्ट अथॉरिटीज से भी मदद मांगी लेकिन उन्होंने ये कहते हुए मना कर दिया कि अब कुछ नहीं हो सकता. इसके बाद उनका हवाई जहाज उन्हें लेकर रवाना हो गया.
इस बात को चार महीने हो चुके हैं. नूरुलहक और उनका परिवार अमेरिका के फिलाडेल्फिया में हैं. लेकिन हंजाला अभी भी अफगानिस्तान में फंसा हुआ है. तभी से वो अपने बेटे को पाने के लिए कोशिश कर रहे हैं. फिलाडेल्फिया से काबूल की दूरी 10,953 किलोमीटर है.
नूरुलहक ने बताया कि पहले उन्हें कहा गया था कि हंजाला को उनके पास सौंप दिया जाएगा. लेकिन अब नई बाधा बीच में आ रही है. दरअसल, अफगान शरणार्थियों के लिए अमेरिका जाने वाली सभी उड़ानों की देखरेख करने वाले कतर ने अब नए नियम बना दिए हैं. इसके मुताबिक हर अफगानी के पास पासपोर्ट होना चाहिए.
उन्होंने बताया कि अगस्त में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद से अफगानियों के लिए पासपोर्ट हासिल करना बेहद मुश्किल और खतरनाक हो गया है. अमेरिकी सेना या अन्य पश्चिमी समर्थित संगठनों के साथ काम करने वाले अफगानों को हिरासत में लिया जाता है और उनके साथ मारपीट भी की जाती है. इस दौरान लोगों के लिए जान का खतरा भी बना रहता है.
वहीं, शरणार्थी अधिवक्ताओं ने बताया कि काबुल में पासपोर्ट कार्यालय कई हफ्तों के लिए बंद कर दिया गया था. लेकिन पिछले सप्ताह फिर से खोल दिया गया है. अफगान राष्ट्रीय पुलिस के साथ काम करने के कारण हादी के पास यू.एस. का विशेष अप्रवासी वीजा है. इस वजह से उनके परिवार को भी वीजा मिला हुआ है. विदेश विभाग के अधिकारियों ने उन्हें बताया कि अगर वह और उनका परिवार कतर तक जाएं तो उन्हें उनका बेटा मिल सकता है.
इसके बाद, उसने पत्र लिखकर अपने भाई को कतर की उड़ान में हंजाला को भेजने के लिए कहा. उसने अमेरिकी सरकार से भी इस मामले में मदद मांगी. लेकिन पासपोर्ट के नए नियमों के कारण हंजाला अपने माता-पिता से नहीं मिल पा रहा है. नूरुलहक ने बताया कि वो उनसे वीडियो कॉल पर बात करता है और खूब रोता है. उन्होंने कहा, ''वो हमसे मिलने के लिए बोलता रहता है. उसकी बातें सुनकर रोना आ जाता है. हम उस दिन को कोसते हैं जिस दिन हमारा बेटा हमसे बिछड़ा.''