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'हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम...', संसद में शेर-ओ-शायरी, जानिए किस नेता ने क्या कहा?

भारतीय संसद में लंबे वक्त से कविता और शेर-ओ-शायरी के जरिए नेता अपनी बात रखते दिखाई देते हैं. कोई कटाक्ष करता है, तो कोई उसका जवाब देता है.

सदन में शेर-ओ-शायरी का दौर! सदन में शेर-ओ-शायरी का दौर!
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 11 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 12:07 PM IST

भारतीय संसद में हमेशा से ही नेताओं को शायरी में सवाल-जवाब करते देखा गया है. बहुत बार तो शायरी का इस्तेमाल एक दूसरे पर तंज कसने के लिए भी होता है. इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ. राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार को सत्ता पक्ष पर हमला बोलते हुए कहा, 'मकतल (कत्लगाह) में आते हैं वे लोग खंजर बदल-बदल के... या रब मैं लाऊं कहां से सर बदल बदल के.' उन्होंने इस शेर को पढ़ते हुए केंद्र सरकार को निशाने पर लिया. 

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वहीं उनके इसी शेर का जवाब सत्ता पक्ष ने भी शायराना अंदाज में दिया. भाजपा सांसद सीमा द्विवेदी ने जवाब में अकबर इलाहाबादी का शेर पढ़ा. उन्होंने कहा, 'हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम, वो कत्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होती.'

सत्ता पक्ष-विपक्ष में शायरी से टकराव

ये सिलसिला आगे भी ऐसे ही जारी रहा. इसके बाद कई और सांसदों ने शेर-ओ-शायरी के जरिए आरोप लगाए, साथ ही उसके जवाब भी दिए. आपको बता दें, इस वक्त संसद का मानसून सत्र चल रहा है. मणिपुर और अविश्वास प्रस्ताव समेत तमाम मामलों को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच टकराव देखने को मिल रहा है. इसी टकराव के बीच कुछ हल्के फुल्के पल भी देखने को मिल रहे हैं.

सांसदों ने शेर-ओ-शायरी के जरिए अपनी बातें रखीं और गिले शिकवे जाहिर किए. इसी दिन यानी गुरुवार को सदन की कार्यवाही को हंगामे के कारण स्थगित कर दिया गया था. जब दोबारा कार्यवाही शुरू हुई तो नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे बोलने के लिए खड़े हुए. उन्होंने शिकायत करते हुए कहा कि उनके बोलने के समय सत्ता पक्ष के सांसद शोर मचाते हैं. इसके बाद उन्होंने तंज कसने के लिए एक शेर सुनाया.

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बीजेपी भी शेर-ओ-शायरी में पीछे नहीं

बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने विपक्ष के लिए शेर पढ़ा, 'सच जरा सा घटे या बढ़े तो सच सच न रहे, मगर झूठ की तो कोई इंतिहा नहीं, लाख चेहरे बदल कर आ जाते हैं ये, मगर आईना कमबख्त, झूठ बोलता नहीं.' इस शायरी को ठीक करते हुए सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा, 'चाहे सोने में जड़ दो, चाहे चांदी में जड़ दो, आईना कभी झूठ बोलता नहीं.'

इसके बाद भी ये सिलसिला ऐसे ही चलता रहा. कांग्रेस के सांसद शक्ति सिंह गोहिल ने कहा, 'नशा पिला के गिराना तो सब को आता है, मजा तो तब है कि गिरतों को थाम ले साकी. काश, मेरे मुल्क में ऐसी फिजा चले, कि मंदिर जले तो रंज मुसलमान को हो और मस्जिद की आबरू पामाल न हो, उसकी चिंता मंदिर के निगेहबां करें.'

इसके बाद विपक्ष पर हमला करते हुए केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने गालिब का शेर सुनाया. उन्होंने कहा, 'उम्रभर इस भूल में जीते रहे गालिब, धूल चेहरे पर थी और हम आईना पोंछते रहे.' इसके जवाब में खड़गे ने कहा कि हम बीज हैं, पीएम मोदी कितना भी हमें मिट्टी में दबाने की कोशिश करें, हम बार बार उगते रहेंगे. उनके ऐसा कहने के बाद सुंधाशु त्रिवेदी ने भी कविता कही और कटाक्ष किया. उन्होंने कहा, 'मैं उगता हूं, मैं बढ़ता हूं, मैं नभ की चोटी चढ़ता हूं. कुचला जाऊं यदि धूलि सा, आंधी सा पुन: उमड़ता हूं.'

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