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8 हजार रुपये में ऑनलाइन बिक रहा ये 'पालतू पत्थर', जानें क्या है इसकी पूरी कहानी

आजकल ऑनलाइन एक पत्थर बिक रहा है, जिसे 'पेट रॉक' कहा जाता है. ये चिकने पत्थर काफी महंगे बिकते हैं. लोग इसे पालतू पशुओं के विकल्प के तौर पर खरीदते हैं और घरों में सजाते हैं. ये इन दिनों ट्रेंड में हैं, चलिए जानते हैं क्या है इसकी कहानी?

क्या है ये पेट रॉक क्या है ये पेट रॉक
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 05 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 8:35 AM IST

'पेट रॉक'या 'पालतू पत्थर' इन दिनों ऑनलाइन 8 से 10 हजार रुपये तक बिक रहा है. इसे पालतू डॉगी या बिल्ली का विकल्प माना जाता है. यह एक तरह का सजावटी खिलौना भर है, लेकिन इसके नाम के पीछे एक दिलचस्प कहानी छुपी है. इसकी शुरुआत आज नहीं करीब 50 साल पहले मजाक से हुई थी. 

गैरी डाहल नाम के एक शख्स ने जब अपने दोस्तों को उनके पालतू जानवरों के बारे में शिकायत करते हुए सुना, तब उनके मन में पेट रॉक का विचार आया. उन्होंने मजाक-मजाक में कहा कि तुमलोगों को ऐसे पालतू जानवर रखने चाहिए जो पत्थर की तरह हो और सिर्फ सजावटी हो, तो क्यों न लोग पेट की जगह पेट रॉक को घरों में रखें. क्योंकि इन्हें, नहाने, खिलाने और घुमाने की कोई जरूरत नहीं होगी. 

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क्यों लोगों ने पालतू जानवर की जगह खरीदते हैं पत्थर 
कोई गड़बड़ नहीं, कोई एलर्जी नहीं, देखभाल में कोई परेशानी नहीं, ये है आपका पालतू पत्थर यानी पेट रॉक. इसे घर लाइये और उम्र भर ये आपका साथ देगा. कुछ ऐसा कहते हुए ही 1970 के दशक में गैरी डहाल ने पेट रॉक बेचने की शुरुआत की.  पेट रॉक एक पॉप संस्कृति सनक थी, जिसकी वजह से इसके निर्माता ने बहुत पैसा कमाया - और बाद के दशकों में भी लोगों का ध्यान आकर्षित करता रहा. 

क्या है पेट रॉक
पेट रॉक दरअसल एक चिकना पत्थर होता है. जब ये पहली बार मार्केट में आया तो इसे कार्डबोर्ड बॉक्स के अंदर पुआल के बिस्तर पर ऐसे रखा गया था, जैसे ये सचमुच का कोई पेट हो. साथ ही स्वाभाविक रूप से सांस लेने के लिए हवा के छेद भी बनाए गए थे. इसमें निष्क्रिय चट्टानों के चित्र थे.

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इसकी पैकेजिंग में था एक मजाकिया दिशा निर्देश
इसकी पैकेजिंग करते वक्त इसमें देखभाल और प्रशिक्षण के लिए एक मजाकिया निर्देश पुस्तिका भी दी गई थी. आपका पालतू रॉक आने वाले कई सालों तक आपका समर्पित दोस्त और साथी रहेगा. यह मरेगा नहीं, बीमार नहीं होगा  नहीं होगा. वे आदर्श पालतू जानवर होंगे. चट्टानों का जीवनकाल काफी लंबा होता है, इसलिए आप दोनों को कभी अलग नहीं होना पड़ेगा - कम से कम आपके पालतू रॉक के कारण तो नहीं. ये सब डाहल की निर्देश पुस्तिका में लिखा था. ये सबकुछ काफी मजेदार था.

पत्थरों की जाती थी वंशावली
इसके साथ ही वंशावली पर भी प्रकाश डाला गया. इससे मालिक को भरोसा हो गया कि चट्टानों के बारे में कुछ भी सामान्य नहीं है. ये पालतू चट्टानें प्रसिद्ध चट्टानों की एक लंबी पंक्ति से आई हैं. ये पिरामिड और महान दीवारों में पाए जाने वाले चट्टानों के प्रकार है. 

ऐसे पुनर्जीवित हुआ ब्रांड
दिसंबर 1975 के क्रिसमस सीजन के दौरान पेट रॉक बिक्री में काफी वृद्धि हुई. इसके बाद इसकी लोकप्रियता खत्म हो गई. लेकिन इतने ही दिनों में डहाल ने करोड़ों रुपये पेट रॉक बेचकर कमा लिए. 2022 में खिलौना कंपनी सुपर इंपल्स ने पेट रॉक के अधिकार खरीदे. इससे ब्रांड फिर से पुनर्जीवित हुआ. 2020 के दशक में, दक्षिण कोरिया में ध्यान लगाने या कुंठाओं को बाहर निकालने के लिए पेट रॉक की लोकप्रियता बढ़ी.

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