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बुरी तरह हिलने लगा आसमान में उड़ रहा विमान, लैंडिंग के बाद यात्रियों का हुआ ये हाल

फ्लाइट इक्वाडोर में गुआयाकिल से फ्लोरिडा में फोर्ट लॉडरडेल जा रही जेट ब्लू की एक फ्लाइट में बीते सोमवार को जो हुआ वह उसमें बैठे यात्री कभी नहीं भूल सकेंगे. दरअसल, ये विमान बीच हवा में जोरों से हिलने लगा जिसके चलते कई यात्री घायल हो गए.

सांकेतिक तस्वीर (फोटो- Pexels) सांकेतिक तस्वीर (फोटो- Pexels)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 27 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 9:07 AM IST

कई बार फ्लाइट के भीतर यात्रियों को जोरदार झटके महसूस होते हैं. इस दौरान लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं और वे सोचने लगते हैं कि कहीं ये प्लेन क्रैश न हो जाए. हालांकि मामूली जर्क से किसी को चोट नहीं पहुंचती है.अक्सर मौसम में जरा सी गड़बड़ी या अन्य तकनीकी कारणों से ऐसा होता है लेकिन हद से ज्यादा टर्बुलेंस भी खतरनाक हो सकता है.

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हाल में जेट ब्लू के एक विमान में यात्रियों ने इसी तरह के झटके महसूस किए. ये फ्लाइट इक्वाडोर में गुआयाकिल से फ्लोरिडा में फोर्ट लॉडरडेल जा रही थी जब अचानक फ्लोरिडा के नजदीक पहुंचते हुए विमान जोरों से हिलने लगा. जेट ब्लू की जानकारी के अनुसार स्थिति इतनी बुरी हुई की विमान के भीतर कुछ लोग घायल तक हो गए और विमान लैंड करने पर 7 यात्रियों और एक क्रू को अस्पताल ले जाना पड़ा.

राष्ट्रीय परिवहन सुरक्षा बोर्ड ने घटना की जांच शुरू कर दी है. ऐसे टर्बुलेंस के चलते गंभीर चोटें कम ही लगती हैं. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2022 में अमेरिका में उड़ानों के दौरान ऐसे झटकों से कुल चार यात्री और 13 चालक दल गंभीर रूप से घायल हो गए.

पिछले महीने, मिलान से अटलांटा की डेल्टा उड़ान में भी तेज टर्बुलेंस महसूस किया गया था. उड़ान के फुटेज में ऑक्सीजन मास्क दिखाई दे रहे थे जो ऊपरी डिब्बों से बाहर गिरे हुए थे और एक यात्री चोटों के कारण अपने सिर पर आइस पैक रखे हुए था.

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क्या होता है एयर टर्बुलेंस? 

विमानन के क्षेत्र में, टर्बुलेंस शब्द काफी इस्तेमाल होता है. यह ऐसी घटना है जिससे हर पायलट बचना चाहता है. हर यात्री के लिए ये बेहद खराब अनुभव होता है. टर्बुलेंस असल में एयर फ्लो में दबाव और रफ्तार में आया अचानक परिवर्तन होता है, जिससे विमान को धक्का लगता है. विमान चलते-चलते ऊपर-नीचे हिलने लगता है, जिसे Aircraft Shaking कहते हैं. टर्बुलेंस की वजह से मामूली झटकों से लेकर तेज और लंबे झटके महसूस किए जा सकते हैं. जिसके नतीजे बेहद भयावह भी हो सकते हैं. हवा की स्थिरता के आधार पर टर्बुलेंस को हल्के, मध्यम, गंभीर या एक्सट्रीम टर्बुलेंस में बांटा जाता है.

मध्यम टर्बुलेंस के दौरान, विमान पर नियंत्रण बनाए रखा जाता है. यात्रियों को सीट बेल्ट के खिलाफ तनाव महसूस होता है, जबकि गंभीर टर्बुलेंस से विमान की एयर स्पीड में बदलाव होता है. साथ ही, उसके एल्टिट्यूड और एटिट्यूड में भी तेजी से बदलाव आ सकता है. एक्सट्रीम टर्बुलेंस की स्थिति में विमान खतरनाक तरह से उछल सकता है, जिसे नियंत्रित करना और हवा में स्थिर रखना असंभव होता है.

 

 

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