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सिर्फ 3 किमी दूर हैं ये 2 शहर, लेकिन घड़ी में बदल जाते हैं 23 घंटे

3 किलोमीटर दूर बसे एक अमेरिकी और रूसी शहर के बीच 23 घंटे का टाइम डिफरेंस है. इन दोनों शहरों को एक नदी अलग करती है. खास बात यह भी है कि यह नदी सर्दियों के समय बर्फ से जम जाती है. तब नदी को पार कर दोनों शहरों में आना जाना आसान हो जाता है.

अमेरिकी आइलैंड लिटिल डायोमेड पर सिर्फ 77 लोग ही रहते हैं (Credit- GettyImages) अमेरिकी आइलैंड लिटिल डायोमेड पर सिर्फ 77 लोग ही रहते हैं (Credit- GettyImages)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 04 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 11:40 AM IST

दो देशों के बॉर्डर पर बसे शहरों के बारे में कई अनोखी बातें सामने आई हैं. अमेरिकी शहर लिटिल डायोमेड से रूसी आइलैंड बिग डायोमेड करीब 3 किलोमीटर दूर है. लेकिन दोनों शहरों के बीच 23 घंटे का टाइम डिफरेंस है. लिटिल डायोमेड का साइज तो महज 8 स्क्वायर किलोमीटर है और वहां सिर्फ 77 लोग ही रहते हैं. एक नदी दोनों शहरों को एक-दूसरे से अलग करती है.

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सर्दियों के मौसम में नदी जम जाती है तो उस पर चलकर दोनों देश के लोग एक-दूसरे से मिलने के लिए आने-जाने लगते थे. दोनों शहर के लोग एक-दूसरे के यहां शादी भी कर लेते थे. दोनों शहरों की परंपराएं भी लगभग एक जैसी ही रही हैं.

लेकिन कोल्ड वार ने दोनों शहरों के बीच के रिश्ते को हमेशा-हमेशा के लिए बदल दिया. वहीं, रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से भी अमेरिका और रूस के बीच तनाव बढ़ गया है. हालांकि, अमेरिकी शहर लिटिल डायोमेड के रहनेवाले एडवर्ड सूलूक का कहना है कि ऐसा नहीं है कि यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद हालात बहुत ज्यादा बदल गए हैं.

Insider से बातचीत में एडवर्ड ने कहा- हमलोग तब तक सुरक्षित हैं जब तक हम रात को चैन की नींद ले रहे हैं. हमलोग अपनी आंखें और कान खुले रखते हैं. हमलोग देश के पिछले दरवाजे जैसे हैं या ज्यादा सटीक तो ये होगा कि हम अगले दरवाजे की तरह हैं.

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इस इलाके में इनुपियाट कम्युनिटी के लोग करीब 3 हजार सालों से रह रहे हैं. यहां उनलोगों को करीब 145 किलोमीटर प्रति घंटे चलने वाली हवाओं का सामना करना पड़ता है. गर्मियों में भी यहां उच्चतम तापमान करीब 10 डिग्री तक की ही जाती है. सर्दियों में तापमान -14 डिग्री तक पहुंच जाती है. दिसंबर और जून के बीच को ये इलाका पूरी तरह से बर्फ से ढका रहता है.

सर्दियों के मौसम में तो यहां के लोगों को रात भर जाग कर अपने लोगों की रखवाली करती पड़ती है. ताकि उन पर पोलर बियर हमला ना कर दे. इस शहर में सिर्फ 30 इमारते हैं, इनमें एक स्कूल, एक लाइब्रेरी शामिल हैं. इनमें से ज्यादातर कंस्ट्रक्शन 1970 और 80 के दशक के बीच हुई है.

इस पथरीली जगह पर ना तो कब्रिस्तान, ना ही सड़कें बन सकती हैं. और ना ही यहां और ज्यादा बिल्डिंग्स बनाने की जगह है. सड़कें ना होने की वजह से यहां लोगों को पैदल ही एक जगह से दूसरे जगह जाना पड़ता है. इस आइलैंड पर ना तो बैंक, ना रेस्टोरेंट और ना ही होटल हैं. मुख्य दुकानों पर भी सीमित खाने के सामान, कपड़े और फ्यूल होते हैं.

इस शहर में सामान की डिलीवरी के लिए हफ्ते में एक बार एक हेलीकॉप्टर आता है. ज्यादातर सामान तो साल में बस एक बार आने वाले एक बड़े नाव के जरिए पहुंचता है. उसे ही स्टोर कर के रखा जाता है. नेशनल ज्योग्राफी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस शहर के लोगों को तमाम चीजें बहुत महंगी मिलती है. यहां तक कि डिटर्जेंट की बोतल करीब 4 हजार रुपए में मिलती है.

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