
पाकिस्तानी सीमा हैदर (Seema Haider) और उसके प्रेमी सचिन मीणा (Sachin Meena) की लव स्टोरी इन दिनों हर किसी की जुबान पर है. लेकिन इस लव स्टोरी को जासूसी के एंगल से भी जोड़कर देखा जा रहा है. यानि माना जा रहा है कि सीमा कोई पाकिस्तानी एजेंट है जो की जासूसी के लिए भारत आई है. हालांकि, इस बात की अभी पुष्टि नहीं हो पाई है. फिर भी इस मामले में अभी जांच जारी है. अब वो जासूस है या नहीं ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा. लेकिन आज हम आपको ऐसे जासूस की कहानी बता रहे हैं जिसने अपनी ही एजेंसी को 20 सालों तक धोखा दिया.
दूतावास के नीचे बनाई सुरंग
ये किस्सा कोल्ड वार के समय का है जब अमेरिकी एजेंसी एफबीआई ने सोवियत संघ को अपने यहां दूतावास बनाने की इजाजत दी और साथ ही इस दूतावास के नीचे खोद दी पूरे सुरंग. करोड़ों डॉलर के खर्च और 10 सालों की मेहनत से बनी इस सुरंग से हाथ कुछ भी नहीं लगा. एजेंसी ने ये सुरंग इसलिए तैयार की थी ताकि सोवियत संघ के अधिकारियों की खुफिया बातें सुन सके. लेकिन कुल मिलाकर एजेंसी के हाथ लगा ठेंगा.
सुरंग की बात लीक हुई कैसे?
दरअसल, यहां गुप्त तरीके से अधिकारियों की बात तो सुनी जा रही थी लेकिन एक भी बात मानो काम की नहीं थी. अब एफबीआई को संदेह हुआ कि कोई तो है जिसने सुरंग की बात सोवियत संघ की खुफिया एजेंसी KGB को लीक की है. लेकिन वो एजेंट है कौन? इस बात का पता लगाने में एजेंसी को 10 साल लग गए और पोल खुली तो सिर्फ दो शब्दों से. ये शब्द थे बैंगनी पेशाब.
अचानक गायब हो गए FBI के लिए काम करने वाले 3 KGB एजेंट
खैर कहानी पर आते हैं. साल था 1987 और FBI के न्यू यॉर्क वाले ऑफिस में पोस्टेड रॉबर्ट हैंसन (Robert Philip Hanssen) को उनके बॉस का कॉल आया. उन्होंने बताया कि FBI के लिए काम करने वाले KGB के तीन एजेंट गायब हैं और माना जा रहा है कि मॉस्को में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है. तीनों एजेंट FBI के लिए काफी अहम थे. ऐसे में अचानक उनका पकड़ा जाना चिंता का कारण था. FBI परेशान थी कि KGB को जानकारी दे कौन रहा है. अब ये ढूंढ निकालने की जिम्मेदारी रॉबर्ट हैंसन को उनके बॉस ने दे दी.
गद्दार बताकर CIA का एजेंट अल्ड्रिक एम्स को पकड़ा
अब हैंसन की 5 साल की खोज के बाद जो पकड़ा गया वह- था CIA का एजेंट अल्ड्रिक एम्स. आरोप लगा कि एम्स ने CIA और FBI के लिए काम कर रहे सोवियत एजेंट्स की जानकारी KGB तक पहुंचाई थी. ऐसे में उसे और उसकी पत्नी को आजीवन कारावास की सजा सुना दी गई और मामला बंद हो गया. हैंसन का काम खत्म हुआ और उन्हें दूसरे विभाग में लगा दिया गया.
अब भी कैसे लीक हो रही थी खुफिया जानकारी?
लेकिन एजेंसी को अभी यह भी पता लगाना था कि 1978 से 10 सालों में बनी सुरंग की बात सोवियत संघ को किसने लीक की है. इसके अलावा एक और परेशानी थी कि एफबीआई को एक सरकारी अधिकारी फेलिक्स ब्लॉक पर केजीबी के लिए जासूसी करने का शक था. इस मामले पर एफबीआई कुछ कर पाती इससे पहले ही KGB को सब पता लग गया और उसने ब्लॉक से सारे कॉन्टेक्ट तोड़ दिए. इससे पता लगा कि कोई तो तीसरा है जो KGB को सब कुछ लीक कर रहे है और ये अल्ड्रिक एम्स तो नहीं हो सकता क्योंकि वह दोनों ही मामलों के समय रोम में पोस्टेड था. लेकिन सारी जानकारी अब भी लीक हो रही थी.
आखिर ये मुखबिर था कौन?
अब आया साल 1994, तो FBI और CIA ने जांच के लिए ज्वाइंट टीम बनाई और सुरंग से लेकर फेलिक्स ब्लॉक तक के मामले से जुड़े हर एजेंट की लिस्ट तैयार की. ऑपरेशन को नाम दिया गया 'ग्रे सूट'. इस बार भी सालों तक कुछ हाथ नहीं लगा क्योंकि सारी जांच सीआईए एजेंट को लेकर की जा रही थी और किसी ने नहीं सोचा कि कोई एफबीआई का एजेंट भी इसमें शामिल हो सकता है. 1998 में टीम ने एक क्रिमिनल प्रोफाइल तैयार की और इस प्रोफाइल से वो ब्रायन केली नाम के एक सरकारी कर्मचारी तक पहुंचे. उसे गिरफ्तार किया गया लेकिन वह बेगुनाह था. उसे KGB ने जासूसी का ऑफर दिया था लेकिन उसने साफ मना कर दिया था और एफबीआई को इसकी जानकारी भी दे दी थी. टीम के सदस्य समझ चुके थे कि केली का इसमें कोई हाथ नहीं है बल्कि ये काम किसी और का ही है.
अब कुछ नहीं मिला तो CIA ने किसी तरह KGB के एक एजेंट को 56 करोड़ देकर एक फाइल हासिल की. इसमें सीक्रेट एजेंट का जिक्र था लेकिन इसके कोड ने 'B' दिया गया था. फाइल में ऑडियो टेप भी था जिसमें केजीबी के साथ बी की बातचीत रिकॉर्ड थी. ज्वाइंट टीम के ही एक मेंबर माइकल वेगस्पैक को B की आवाज सुनी हुई सी लगी, लेकिन उन्हें याद नहीं आया कि ये आवाज किसकी है. फिर उन्होंने इस फाइल पर गौर किया. यहां दो शब्द लिखे थे- 'पर्पल पिसिंग' यानी 'बैंगनी पेशाब'. ये देखते ही वेगस्पैक को याद आया कि कोई तो है जो इस शब्द को बार- बार दोहराता है.
'यानी हैंसन खुद ही खुद को ढूंढ रहा था'
वेगस्पैक को याद आया कि ये तो उनका ही साथी रॉबर्ट हैंसन था. वही रॉबर्ट हैंसन जिसे 1987 में KGB एजेंट को ढूढ़ने की जिम्मेदारी उसके बॉस ने दी थी और 5 सालों में केस सॉल्व कर अल्ड्रिक एम्स को गिरफ्तार कराया था. यानी हैंसन खुद ही खुद को ढूंढ रहा था.
'हैंसन को रंगे हाथ पकड़ना था'
अब साफ हो गया था कि दो दशकों तक हैंसन ने अमेरिकी खुफिया जानकारी KGB तक पहुंचाई थी. ऐसे KGB एजेंट जो, CIA के लिए काम कर रहे थे, उनके नाम उसने ही KGB को दिए थी और साथ ही सोवियत संघ के सर्विलांस से जुड़े एक प्रोग्राम की फाइल्स भी KGB को उसने ही दे दी थी. लेकिन अब उसे रंगे हाथों पकड़ना था.
पकड़ा गया तो बोला- 'तुम्हें इतनी देर कैसे लग गई'
तो साल 2000 में उसका प्रमोशन किया गया और एक असिस्टेंट दिया गया. असिस्टेंट एरिक ओ नील का असली काम हैंसन पर नजर रखना था. दिन आया 18 फरवरी 2001 हैंसन अपने घर से कार में निकला और कुछ मील सुनसान जगह पर उसने एक पार्किंग साइन के ऊपर सफेद टेप का टुकड़ा चिपका दिया. ये दरअसल केजीबी के लिए एक सिग्नल था. एक दिन वह फिर आया . इस बार उसके हाथ में एक पैकेट था. इस पैकेट को उसने लकड़ी के एक पुल के नीचे बांध दिया. जैसे ही उसने पैकेज ड्राप किया, उसे गिरफ्तार कर लिया गया. गिरफ्तारी के वक्त उसने अधिकारियों से मुस्कुराकर पूछा,- तुम्हें इतनी देर कैसे लग गई.
तेज अक्ल और हाजिर जवाबी ने दो बार बचाया
हैंसन ने पैसों के लालच में इतना कुछ कर लिया और वह शातिर इस कदर था कि दशकों तक नहीं पकड़ा गया. बल्कि दो बार तो ऐसे मौके भी आए जब वह पकड़ा जाता लेकिन तेज अक्ल और हाजिर जवाबी ने उसे बचा लिया. एक बार जब उसका कंप्युटर चेक किया गया तो उसमें पासवर्ड क्रैक करने वाला सॉफ्टवेयर मिला लेकिन उसने बताया कि वो प्रिंटर जोड़ने के लिए पासवर्ड क्रैक करना चाहता था और अधिकारियों ने उसका ये झूठ मान भी लिया. दूसरी बार उसके साले ने ही उसके बिस्तर के नीचे नोटों की गड्डी और पोलैंड (1991 तक सोवियत संघ के भीतर था) में शिफ्ट होने की उसकी बातों पर संदेह जताकर उसकी शिकायत एफबीआई से की लेकिन वह इस बार भी चाल चलकर बच निकला था.
इतिहास का सबसे बड़ा जासूसी स्कैंडल
साल 2002 में हैंसन का 20 सालों का धोखा पकड़ा जाना अमेरिकी इतिहास का सबसे बड़ा जासूसी स्कैंडल था. पहले तो उसे मौत की सजा सुनाई गई लेकिन बाद में सोवियत जासूसी प्रोग्राम की जानकारी साझा करने के एवज में उसकी सजा आजीवन कारावास में बदल दी गई.