
आज यानी 8 अप्रैल को पड़ने वाले सूर्य ग्रहण को लेकर दुनिया भर के लोग काफी उत्साहित हैं. उत्तरी अमेरिका के कुछ हिस्सों में पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखाई देगा. इस दौरान 4 मिनट 9 सेकंड तक पूरी तरह अंधेरा रहेगा. सूर्य ग्रहण कनाडा, उत्तरी अमेरिका से लेकर मैक्सिको तक दिखाई देगा. ये वक्त पहले के सूर्य ग्रहणों की तुलना में बेहद लंबा है. इसी वजह से इस दौरान वैज्ञानिक कई तरह के प्रयोग करने वाले हैं. ऐसा ही एक प्रयोग चिड़ियाघर पर पैनी नजर रखकर भी किया जाएगा. इससे वैज्ञानिक एक बड़ा रहस्य पता करने की कोशिश करेंगे.
रहस्य ये कि दिन में अचानक अंधेरा छाने पर यानी सूर्य ग्रहण के दौरान अलग-अलग जानवर कैसा बर्ताव करते हैं. वो रोशनी और तापमान में बदलाव होने पर क्या सोएंगे, चिंता करेंगे या फिर अपने साथी के साथ संबंध बनाएंगे. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, सोने के लिए गाएं अपने खलिहान में आराम कर सकती हैं. फ्लैमिंगो डर के कारण एक साथ एकत्रित हो सकते हैं. विशाल और धीमी गति वाला गैलापागोस कछुआ सहवास कर सकता है. इंडियानापोलिस चिड़ियाघर के मुख्य कार्यकारी और अध्यक्ष रॉबर्ट शुमेकर ने कहा, 'हर कोई देखना चाहता है कि वो (जानवर) कैसी प्रतिक्रिया देंगे.' चिड़ियाघर में शोधकर्ता, पशुपालक, स्वयंसेवक और आम लोग जानवरों पर नजर बनाए रखेंगे.
पशु व्यवहार विशेषज्ञ डॉ. शूमेकर ने कहा कि 'बेशक, अधिकांश जानवरों को पता चलेगा कि कुछ असामान्य घटित हो रहा है.' वहीं ओहायो स्टेट कॉलेज ऑफ वेटरनरी मेडिसिन के पशुचिकित्सक डॉ. एम. लीन लिली ने कहा, 'ऐसा संभव है कि अधिकांश जानवर अंधेरे से भ्रमित हो जाएं और उन्हें लगने लगे कि रात हो गई है. इसके साथ ही इंसान इस दौरान आसमान की तरफ देखेंगे, उत्साह के साथ समूह में एकत्रित होंगे, ये चीज भी कुत्ते या बिल्लियों जैसे पालतू जानवरों को प्रभावित कर सकती है. वो अजीब व्यवहार कर सकते हैं, क्योंकि उन्हें इंसान अलग व्यवहार करते नजर आएंगे. इससे पालतू जानवरों को ऐसा महसूस हो सकता है कि चीजें उतनी सुरक्षित नहीं हैं, जितनी उन्हें माना जाता है.'
जानवर सूर्य ग्रहण के प्रति कैसी प्रतिक्रिया देंगे, ये जानकारी केवल जानवरों के व्यवहार को लेकर संकेत देगी. 1560 के एक अध्ययन में पता चला था कि 'पक्षी जमीन पर गिर गए थे.' अन्य अध्ययनों में कहा गया है कि पक्षी अपने घोंसलों में चले गए, या चुप हो गए या उन्होंने चहचहाना जारी रखा. कुत्ते या तो भौंकते थे या मिमियाते थे, या नहीं भी भौंकते और मिमियाते. 1932 के एक ग्रहण पर किए अध्ययन में कहा गया कि लोगों ने जानवरों के व्यवहार को करीब से देखा था. तब गिलहरियां जंगल की ओर भाग गईं और मवेशी, भेड़ें अपने खलिहानों की ओर चली गई थीं. वहीं इस बार देखना ये होगा कि इतने लंबे वक्त तक अंधेरा रहने के दौरान जानवर किस तरह व्यवहार करते हैं.