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महिला के पेट में 35 साल से पल रहा था भ्रूण! 4.5 पाउंड का 'स्टोन बेबी' देख डॉक्टर्स हैरान

73 साल की एक महिला के गर्भ में 'स्टोन बेबी' (Stone Baby) मिला. जांच के बाद पता चला कि ये स्टोन सात महीने का एक भ्रूण है, जो करीब 35 साल से महिला के गर्भ (Womb) में था.

सांकेतिक फोटो (Getty) सांकेतिक फोटो (Getty)
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 27 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 2:12 PM IST
  • पेट दर्द का इलाज कराने पहुंची थी बुजुर्ग महिला
  • एक्स-रे देखकर डॉक्टर्स रह गए हैरान
  • महिला के पेट में 3 दशक से था भ्रूण

अल्जीरिया की 73 साल की एक महिला के गर्भ में 'स्टोन बेबी' (Stone Baby) मिला. डॉक्टरों को एक्स-रे करने के बाद इसके बारे में पता चला. यह स्टोन 35 साल से महिला के गर्भ (Womb) में था. जांच के बाद पता चला कि ये स्टोन सात महीने का एक भ्रूण है. 

'द सन' में छपी खबर के मुताबिक, इससे पहले भी महिला का इलाज हो जुका है, लेकिन डॉक्टरों को कभी इसके बारे में पता नहीं चला. लेकिन इस बार जब महिला पेट दर्द की शिकायत लेकर डॉक्टरों के पास गई तो जांच के बाद पाया कि उसके गर्भ में एक भ्रूण है. 

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भ्रूण 35 साल तक महिला के पेट में रहा 

4.5 पाउंड वजन का ये सात महीने का भ्रूण 35 साल तक महिला के पेट में था. लेकिन इस भ्रूण से उसे कोई नुकसान नहीं हुआ. हां, कभी-कभी मामूली दर्द होता था. 

डॉक्टरों ने क्या कहा? 

डॉक्टरों ने इसे एक लिथोपेडियन (Lithopedion) बताया और कहा कि ये तब बनता है जब प्रेग्नेंसी (Pregnancy) गर्भाश्य के बदले पेट में बनती है. आमतौर पर जब प्रेग्नेंसी में खून की आपूर्ति नहीं होती है तो भ्रूण विकसित नहीं हो पाता, जिसके कारण शरीर के पास भ्रूण को बाहर निकालने का कोई तरीका नहीं होता है. जिसके बाद शरीर उसी प्रतिरक्षा प्रक्रिया (Immune process) का उपयोग करके भ्रूण को धीरे-धीरे पत्थर यानी स्टोन में बदल देता है. इसीलिए महिला के पेट में मिले भ्रूण को 'स्टोन बेबी' कहा गया. 

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क्लीवलैंड के यूनिवर्सिटी हॉस्पिटर केस मेडिकल सेंटर (University Hospital Case Medical Center) के डॉक्टर किम गार्सी (Dr. Kim Garcsi) का कहना है कि ऊत्तक (Tissue) कैल्सीफिकेशन (Calcification) मां को अन्य संक्रमण से बचाता है और वह पत्थर दशकों तक पेट में रह सकता है. उन्होंने कहा कि ज्यादातर समय लोग इन्हें ढूंढ़ते हैं और मिलने के बाद कुछ लोग इसे हटाते नहीं हैं. जर्नल ऑफ द रॉयल सोसाइटी ऑफ मेडिसिन (Journal of the Royal Society of medicine) में 1996 के एक लेटर के अनुसार लिथोपेडियन के अभी तक केवल 290 मामलों का पता चला है.

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