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कैंसर के खात्मे के लिए बनी दवा, 9 साल की बच्ची की वजह से हुआ संभव, आखिर कैसे?

इस बच्ची की मौत तभी हो गई थी, जब ये 9 साल की थी. मगर अब उसी की वजह से एक दवा बनी है, जो कैंसर से जूझ रहे बाकी बच्चों के लिए मददगार साबित हो सकती है.

एक छोटी बच्ची की वजह से बन सकी है कैंसर की दवा (तस्वीर- A.N.N.A. Fund) एक छोटी बच्ची की वजह से बन सकी है कैंसर की दवा (तस्वीर- A.N.N.A. Fund)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 03 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 3:35 PM IST

कैंसर को अब उसका सबसे बड़ा दुश्मन मिल गया है और ये सब एक 9 साल की बच्ची वजह से संभव हो सका है. जिसकी मुस्कुराहट अगर कोई एक बार देख ले, तो उसे कभी न भूले. रिसर्चर्स ने AOH1996 नाम के मॉलीक्यूल युक्त एक दवा विकसित की है, जो प्रीक्लिनिकल रिसर्च में 'सभी तरह के ठोस ट्यूमर को नष्ट कर सकती है.' साथ ही स्वस्थ कोशिकाओं को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचाती. 

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दवा AOH1996 का नाम अमेरिका के इंडियाना की एक कैंसर रोगी अन्ना ओलिविया हीली के नाम पर रखा गया है, जिसका जन्म 1996 में हुआ था. कैलिफोर्निया के डुआर्टे में स्थित कैंसर रिसर्च सेंटर सिटी ऑफ होप की 68 साल की लिंडा मलकास ने न्यूयॉर्क पोस्ट से बात करते हुए कहा, 'मुझे पता था कि मैं उस छोटी लड़की के लिए कुछ विशेष करना चाहती थी. जब वो केवल 9 साल की थी, तभी उसकी न्यूरोब्लास्टोमा से मौत हो गई थी, ये बच्चों का कैंसर है, जो हर साल अमेरिका में 600 बच्चों को प्रभावित करता है.'

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अन्ना की साल 2005 में कैंसर से मौत हो गई थी. उसके इस घातक बीमारी से जंग हारने से पहले उसके परिवार से लिंडा ने मुलाकात की थी. अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुसार, न्यूरोब्लास्टोमा नर्व सेल्स के बहुत प्रारंभिक रूप में शुरू होता है, जो अक्सर भ्रूण या गर्भ में मौजूद बच्चे में पाया जाता है. लिंडा ने कहा, 'मैं अन्ना के पिता से तब मिली जब वो अपनी लास्ट स्टेज में थी. उन्होंने पूछा कि क्या मैं न्यूरोब्लास्टोमा के मसले में कुछ कर सकती हूं और उन्होंने मेरी लैब के लिए 25,000 डॉलर का चेक दिया.' 

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दो दशक तक की गई रिसर्च

AOH1996 लिंडा मलकास और सिटी ऑफ होप के लिए दो दशकों की रिसर्स का परिणाम है. नई दवा पीसीएनए नामक प्रोटीन को टार्गेट करती है. अपने म्यूटेटिड फॉर्म में पीसीएनए कैंसर के ट्यूमर को पनपने और बढ़ने में मदद करता है. दवा उसी को टार्गेट करती है. 

उन्होंने कहा, 'हमारी कैंसर नाशक दवा एक बर्फीले तूफान की तरह है, जो एक प्रमुख एयरलाइन केंद्र को बंद कर देती है, जिससे वो सभी उड़ानें बंद हो जाती हैं, जिनमें कैंसर कोशिकाएं होती हैं.' AOH1996 दवा अभी सिटी ऑफ होप में फेज 1 क्लिनिकल ट्रायल में है. पिछले टेस्ट में AOH1996 ने सेल रिप्रोडक्टिव साइकिल को सफलतापूर्वक बाधित करके कैंसर सेल्स को चुनिंदा रूप से खत्म किया था.

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