
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें रात के अंधेरे में एक शख्स फोन पर कुछ करता है. बस, ऐप में कुछ बटन दबते ही आसमान में एक चमक दिखती है और अंधेरा छूमंतर! जादू की तरह ही ये कंपनी धूप की होम डिलिवरी करने का दावा कर रही है.
कौन है ये कंपनी?
वीडियो में दिखता है नाम – रिफ्लेक्ट ऑर्बिटल. कैलिफोर्निया की ये कंपनी सूरज की रोशनी बेचने का दावा करती है. कंपनी के बेन नोवैक के मुताबिक, वो अपने साथी के साथ मिलकर मिरर और सैटेलाइट की मदद से ऐसा सिस्टम बना रहे हैं, जिससे रात में भी सूरज की रोशनी बेची जा सके.
देखें वायरल वीडियो...
क्या है ये धूप बेचने का बिजनेस मॉडल?
नोवैक का कहना है कि ये रोशनी ठीक उसी तरह काम करेगी जैसे तेल, जिसे दुनिया भर में इस्तेमाल किया जाता है. सोलर सेल्स सबसे सस्ती और बेहतर ऊर्जा स्रोत बनने की ओर बढ़ रहे हैं, जो कभी खत्म नहीं होंगे.
सोलर मॉड्यूल की कीमत भी 1976 से अब तक करीब 99 प्रतिशत कम हो चुकी है. तो अब वक्त दूर नहीं जब जादू की तरह हमें भी आधी रात को धूप की डिलिवरी मिल सकेगी!
बेन नोवैक के मुताबिक, इस तकनीक से स्पेस में तैरते मिरर सूरज की रोशनी को धरती के उन हिस्सों में रिफ्लेक्ट करेंगे, जहां अंधेरा छाया होता है. जैसे बचपन में हम दर्पण से धूप को रिफ्लेक्ट करके अंधेरे कमरे में रोशनी पहुंचाते थे, वैसे ही ये मिरर धरती के अंधेरे हिस्सों में सूरज की रोशनी पहुंचाएंगे.
पहला टेस्ट सफल
31 अगस्त, 2023 को ‘रिफ्लेक्ट ऑर्बिटल’ ने हॉट एयर बलून की मदद से इस सिस्टम का पहला टेस्ट सफलतापूर्वक पूरा किया. फिलहाल, कंपनी अपना पहला सैटेलाइट डिजाइन कर रही है, जो धरती पर सूरज की रोशनी को स्पेस से रिफ्लेक्ट करेगा.
धरती पर हर वक्त ऊर्जा का नया सोर्स
अगर ये सिस्टम सफल हो गया, तो दुनिया को हमेशा के लिए एक नया ऊर्जा स्रोत मिल जाएगा. रात के अंधेरे में भी सूरज की रोशनी और सोलर पावर का उपयोग संभव हो सकेगा. इससे न सिर्फ बिजली के खर्चे में कमी आएगी, बल्कि अंधेरे क्षेत्रों में भी उजाला किया जा सकेगा.
सोशल मीडिया पर कुछ मजेदार मीम्स और जोक्स भी चल रहे हैं. जैसे कि-क्या अगली बार हमें सूरज की रोशनी के लिए सब्सक्रिप्शन लेना पड़ेगा? या -क्या स्पेस में तैरते मिरर की डिलिवरी चार्ज अलग से लगेगा?.क्या कहते हैं, आपको भी चाहिए धूप की होम डिलिवरी?
क्या ये मुमकिन है?
अंतरिक्ष से सूरज की रोशनी को रिफ्लेक्ट करने की सोच भले ही विज्ञान कथा जैसा लगे, लेकिन इसके इम्पलेमेंट में अभी भी लोगों को डाउट है. और कई सवालों के घेरे में है. जैसे कंपनी ने अभी तक इसके लिए कोई उपग्रह नहीं भेजा है.तकनीकी व्यवहार्यता अभी भी सवालों के घेरे में है, क्योंकि पिछले कोशिशों की सफलता सीमित रही है.