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'जल्दी करो, काट दो सिर...', यूक्रेनी सैनिक के वीडियो पर रूस की क्यों हो रही ISIS से तुलना

Beheading Viral Video: सोशल मीडिया पर एक ऐसा वीडियो वायरल हो रहा है, जिसे लोग भयंकर बता रहे हैं. इसमें एक देश के सैनिक ने क्रूरता की सारी हदें पार करते हुए दूसरे देश के सैनिक का गला काट दिया.

सैनिक का गला काटे जाने का वीडियो वायरल (तस्वीर- टेलीग्राम) सैनिक का गला काटे जाने का वीडियो वायरल (तस्वीर- टेलीग्राम)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 13 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 12:21 PM IST

सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. जिसमें क्रूरता की सारी हदें पार होती नजर आ रही हैं. इसमें एक सैनिक दूसरे देश के सैनिक का चाकू से सिर काटता हुआ दिखाई दिया. ऐसा दावा है कि जिस सैनिक को मारा गया है, वह यूक्रेन के लिए जंग लड़ रहा था. उसे मारने वाला सैनिक रूसी है. वीडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं की जा सकती. जान गंवाने वाले सैनिक ने हाथ में पीले रंग का बैंड पहना हुआ था, जिसे यूक्रेन के सैनिक पहनते हैं. इसी से उसकी पहचान हो सकी.

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वायरल वीडियो को ब्लर किया गया है और शुरुआत में एक आवाज सुनाई देती है. इससे मालूम होता है कि पीड़ित सैनिक हमला होने के बाद भी जीवित था. युद्ध में इतनी बर्बरता की किसी को उम्मीद नहीं थी. मामले में यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की ने एक वीडियो शेयर कर बयान जारी किया. उन्होंने कहा, 'ये कुछ ऐसा है, जिसे दुनिया में कोई भी नजरअंदाज नहीं कर सकता. ये जानवर किसी को कितनी आसानी से मार डालते हैं.' 

कहां शेयर किया गया वीडियो?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रूस के समर्थन वाले टेलीग्राम चैनलों ने इस हफ्ते दो वीडियो शेयर किए थे. इनमें से एक वीडियो में रूसी सैनिक यूक्रेनी युद्ध बंदी का सिर धड़ से अलग करते दिख रहे हैं और इसके बाद वो खुशी भी मनाते हैं. हमला होने के बाद भी पीड़ित जीवित था, तब भी ये लोग हंस रहे थे.

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हमेशा के लिए खामोश होने से पहले सैनिक कहता है, 'ये दुख रहा है, रुक जाओ.' वीडियो में जिन लोगों के जश्न मनाने की आवाज सुनाई देती है, उन्हें रूस के सैनिक माना जा रहा है. ये लोग बोलते हैं, 'हम काम कर रहे हैं, भाई, हम अपना काम कर रहे हैं. काट रहे हैं. रीढ़ की हड्डी तोड़ रहे हैं. क्या, तुमने पहले कभी सिर धड़ से अलग नहीं किए?'

रूस के राष्ट्रपति के कार्यालय क्रेमलिन ने वीडियो को 'भयानक' करार दिया है. उसने आलोचनाओं के बीच कहा कि इसकी प्रमाणिकता का पता लगाना जरूरी है.

जेलेंस्की ने आगे कहा, 'हम कुछ नहीं भूलने वाले. न ही हम हत्याओं को भूलेंगे. हर चीज की एक कानूनी स्वीकार्यता होनी चाहिए. आतंक का खात्मा जरूरी है.'

ISIS से हो रही तुलना

यूक्रेन के विदेश मंत्री दमित्रो कुलेबा ने वीडियो को 'डरावना' बताया. उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, 'यह बेतुका है, कि जो रूस ISIS से भी बदतर है, वो UNSC की अध्यक्षता कर रहा है.' दरअसल रूस को इस महीने रोटेशन के आधार पर UNSC का अध्यक्ष बनाया गया है. 

कुलेबा ने कहा, 'रूसी आतंकियों को यूक्रेन और UN से बाहर निकाल देना चाहिए. और उसके गुनाहों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.' साल 2014-2017 के बीच इराक और सीरिया के कब्जे वाले इलाकों में ISIS भी बंदियों का इसी तरह सिर कलम करता था और उसका वीडियो जारी कर दुनिया में अपना खौफ बनाए रखने की कोशिश करता था.

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यूक्रेन की सुरक्षा एजेंसी ने मामले में जांच शुरू कर दी है. उसने कहा, 'कल इंटरनेट पर एक वीडियो आया, जिसमें रूसी आक्रमणकारी अपना क्रूरता से भरा व्यवहार दिखा रहे हैं. वह क्रूरता से यूक्रेनी युद्ध बंदी को यातना दे रहे हैं और उसका सिर धड़ से अलग कर रहे हैं.' 

कब से हो रही है जंग?

बता दें, रूस और यूक्रेन के बीच बीते साल 24 फरवरी को जंग शुरू हुई थी. रूस ने विशेष सैन्य अभियान के नाम पर यूक्रेन के अलगाववादी इलाकों पर हमला कर दिया था. उसने इन्हें सबसे पहले आजाद देश घोषित किया और बाद में इन्हें रूस का हिस्सा बता दिया. लड़ाई की शुरुआत दोनेत्सक और लुहांस्क से हुई थी.

धीरे-धीरे ये दूसरे इलाकों तक पहुंच गई. हमला सबसे पहले उन क्षेत्रों में किया गया, जहां रूस समर्थित अलगाववादी रहते हैं. इनसे यूक्रेन की सेना बीते कई साल से लड़ रही है. अब यूक्रेन का कहना है कि वह अपने कब्जे वाले हिस्सों को वापस लेकर रहेगा. 

दूसरी तरफ रूस ने इसे युद्ध न बताकर विशेष सैन्य अभियान कहा. उसका कहना है कि यूक्रेन इन इलाकों में रहने वाले लोगों पर अत्याचार कर रहा था, वह केवल इनकी रक्षा कर रहा है. उसने ये भी कहा कि यूक्रेन बार-बार NATO (अमेरिका के नेतृत्व वाला सैन्य गठबंधन, जिसमें 31 देश शामिल हैं) में शामिल होने की मांग करता है,

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इससे नाटो का विस्तार पूर्व की तरफ हो रहा है और रूस के लिए खतरा बढ़ रहा है. इसके साथ ही रूस ने अमेरिका और उसके नाटो सहयोगियों पर इस जंग को बढ़ाने का आरोप लगाया है. यूक्रेन को अमेरिका और यूरोपीय देशों की तरफ से हथियार मुहैया कराए जा रहे हैं. 

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