Advertisement

वाराणसी: विरोध के बाद भी बेटी-बहू ने मां की अर्थी को दिया कंधा

ननद के फैसले का समर्थन करते हुए बहुओं ने भी अपनी सास की अर्थी को कंधा दिया, जिसके बाद सरायमोहाना घाट पर महिला का अंतिम संस्कार किया गया.

प्रतीकात्मक फोटो. प्रतीकात्मक फोटो.
अभि‍षेक आनंद
  • नई दिल्ली,
  • 24 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 8:40 AM IST

समाज की बनाई पुरातन रीति और मिथक को तोड़ते हुए अपनी मां की आखिरी ख्वाहिश को पूरा करने के लिए वाराणसी की एक बेटी और बहुओं ने मां की अर्थी को कंधा दिया है. यही नहीं मां की दूसरी इच्छा को पूरा करते हुए मृतका की आंखें भी दान कर दी.

IANS के मुताबक वाराणसी के बरियासनपुर गांव निवासी संतोरा देवी (95) के पति का निधन 20 वर्ष पहले हो चुका था. पति की मौत के वक्त संतोरा ने नेत्रदान करने का संकल्प लेते हुए कहा था कि उनकी अर्थी को कंधा मेरी इकलौती बेटी ही देगी.

Advertisement

आलीशान जिंदगी त्यागकर हीरा कारोबारी की बेटी बनी 'संन्यासी'

रविवार को संतोरा देवी का निधन हो गया. दो बेटों के होते हुए बेटी पुष्पावती पटेल जब कंधा देने आई तो रिश्तेदारों व मोहल्ले वालों ने सामाजिक मर्यादाओं की दुहाई देकर ऐसा करने से रोकना चाहा. लेकिन भाई-भाभियों के समर्थन और मां की अंतिम इच्छा को ध्यान में रखते हुए पुष्पा पीछे नहीं हटी.

ननद के फैसले का समर्थन करते हुए बहुओं ने भी अपनी सास की अर्थी को कंधा दिया, जिसके बाद सरायमोहाना घाट पर महिला का अंतिम संस्कार किया गया.

मां को कंधा देने वाली पुष्पावती का कहना है कि मैंने सिर्फ अपनी मां की अंतिम इच्छा का सम्मान किया है. वहीं दोनों बेटे बाबूलाल व त्रिभुवन नारायण पटेल का कहना है कि हमें अपनी बहन पर नाज है. उसने मां की अंतिम इच्छा पूरी की.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement