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राजस्थान: एंबुलेंस नहीं आई, मरीज को चारपाई पर उठाकर 4 KM ले गए ग्रामीण

राजस्थान के धौलपुर में एक गांव ऐसा भी है जहां अगर कोई बीमार हो जाए तो उसे कंधों पर या चारपाई पर गांव से करीब 4 किलोमीटर दूर रोड तक ले जाना होता है. क्योंक‍ि ज‍िले का बॉर्डर होने की वजह से इस सड़क पर कोई ध्यान नहीं देता जिसके कारण सड़क ऊबड़-खाबड़ पड़ी हुई है.

मरीज को अस्पताल पहुंचाने के ल‍िए खाट का इस्तेमाल. मरीज को अस्पताल पहुंचाने के ल‍िए खाट का इस्तेमाल.
उमेश मिश्रा
  • धौलपुर ,
  • 09 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 2:28 PM IST
  • करीब चार किलोमीटर सड़क के लिए 60 किलोमीटर चलने को मजबूर ग्रामीण
  • गांव में एंबुलेंस नहीं आने से मरीज को चारपाई पर उठाकर ले जाते हैं ग्रामीण

राजस्थान में धौलपुर और करौली जिले के बीच में एक गांव में  बार्डर क्षेत्र से लगती सड़क को न ही करौली जिले के अधिकारी ध्यान दे रहे हैं और ना ही धौलपुर जिले के अधिकारी बनवाने में रुचि ले रहे हैं जिसके कारण सड़क ऊबड़-खाबड़ पड़ी हुई है. इस वजह से एंबुलेंस नहीं पहुंचती तो खाट पर ल‍िटाकर मरीज को अस्पताल ले जाना होता है. 

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सड़क की हालत ऐसी है कि बाइक चलाना भी मुश्किल है. सरकारों के द्वारा नई नई योजनाओ के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क बिछाई जा रही हैं और सरकार का मानना है कि हर गांव-गांव और ढाणी ढाणी तक सड़क पहुंचाना है लेकिन धौलपुर करौली के बीच बसे गांव भूरेकपुरा में जहां आज भी लोग पगडंडियों से होकर निकलते हैं जबकि धौलपुर जिले की करीब चार किलोमीटर की यह सड़क नेशनल हाईवे 11 बी से सीधे जुड़ती है. 

गांव भूरेकपुरा से करौली जिले की दूरी करीब 40 किमी है जबकि जिले के सरमथुरा उप खंड से करीब चार किलोमीटर पड़ता है और ग्रामीण किसी भी काम के लिए सरमथुरा ही आते हैं.   

खाट पर मरीज को ले जाता होता है अस्पताल  

बारिश के समय तो निकलना भी मुश्किल हो जाता है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब पैदल भी नहीं निकल सकते तो चार पहिया, दुपहिया वाहन से कैसे निकला जा सकता है. गांव में अगर कोई बीमार हो जाए तो उसे कंधों पर या चारपाई पर गांव से करीब 4 किलोमीटर दूर रोड तक ले जाना होता है.

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ग्रामीणों ने बताया कि गत दिवस एक बालिका पानी में डूब गई जो कि इसी कच्ची सड़क की वजह से समय पर इलाज नहीं मिलने से बच नहीं सकी. अगर सड़क बनी होती तो वाहन से सरमथुरा अस्पताल तक जल्द ही पहुंच जाते और उसे उपचार भी समय पर मिल जाता. 

आजादी के समय से पहले बसे हुए गांव की तरफ किसी भी नेता ने ध्यान नहीं दिया. साथ ही करौली-धौलपुर संसदीय क्षेत्र से दो बार सांसद बने डॉ. मनोज राजोरिया का भी ध्यान नहीं हैं.

अध्यापक शिवराज ने बताया कि गांव के लोगो को आने-जाने में काफी परेशानी होती हैं. बारिश के दिनों में 4 किलोमीटर की दूरी को 60 किलोमीटर में तय कर घर पहुंचते हैं. बीमारों को समय पर इलाज के लिए नहीं ले जा पाते. 

तहसीलदार राजकुमार शर्मा ने बताया कि भूरे का पुरा गांव करौली जिले में आता हैं लेकिन धौलपुर की सीमा से लगता हुआ गांव हैं. इसमें चार किलोमीटर का जो एरिया आता है, उसका प्रस्ताव हम जिला कलेक्टर को भेजेंगे और पूरी कोशिश करेंगे कि सड़क बनवाई जाए. 

 

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