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सफेद कोट, गले में स्टेथोस्कोप... महिला को थी डॉक्टर बनने की 'सनक', बिना डिग्री करती रही इलाज

19 साल की लड़की क्रेउएना ज्द्राफकोवा, जिनके पास कोई मेडिकल की डिग्री नहीं है, ना ही उन्होंने कभी एमबीबीएस की पढ़ाई भी की हो, लेकिन ये गले में स्टेथोस्कोप टांगे और सफेद कोट पहनकर किसी भी अस्पताल में पहुंच जाती हैं. यहां खुद को ऐसे दिखाती हैं जैसे वो एक डॉक्टर हों.

बिना डिग्री हॉस्पिटल में मरीजों का इलाज करती रही महिला- (सांकेतिक तस्वीर-AI) बिना डिग्री हॉस्पिटल में मरीजों का इलाज करती रही महिला- (सांकेतिक तस्वीर-AI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 10:02 AM IST

मुन्ना भाई एमबीबीएस की कहानी याद है, जब मुन्ना भाई बिना एमबीबीएस की डिग्री के डॉक्टर बनकर दिखाते हैं. फिल्म में दिखाया गया है कि उनके मां-बाप का सपना था कि वे अपने बेटे को डॉक्टर बनते देखें. बस फिर क्या, सफेद कोट पहनकर और गले में स्टेथोस्कोप टांगकर मुन्ना भाई एमबीबीएस हो जाते हैं और लोगों को इलाज से ठीक करने का दावा भी करते हैं. ऐसा ही एक मामला लंदन में देखने को मिला है. इस बार मुन्ना भाई की जगह कोई बहन हैं.

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19 साल की लड़की क्रेउएना ज्द्राफकोवा, जिनके पास कोई मेडिकल की डिग्री नहीं है, ना ही उन्होंने कभी एमबीबीएस की पढ़ाई भी की हो, लेकिन ये गले में स्टेथोस्कोप टांगे और सफेद कोट पहनकर किसी भी अस्पताल में पहुंच जाती हैं. यहां खुद को ऐसे दिखाती हैं जैसे वो एक डॉक्टर हों.

डॉक्टर जैसा कॉन्फिडेंस

ऑडी सेंट्रेल न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, वो इतने आत्मविश्वास से खुद को डॉक्टर बताती थीं कि किसी को भी शक नहीं होता. वो लंदन के ही इलिंग हॉस्पिटल में जातीं. मरीजों की भीड़-भाड़ में लोगों को निर्देश देने लगतीं. मरीजों के परिवार वाले उन्हें असली डॉक्टर ही समझते और कई बार वो मरीज के परिवार वालों को सांत्वना देतीं, और कई बार मरीज को एक-दो दवाएं भी लिख देती थीं.इलिंग हॉस्पिटल में ये सिलसिला कई महीनों तक चला, लेकिन हैरानी की बात है कि किसी ने नोटिस भी नहीं किया कि वो एक फर्जी डॉक्टर हैं. 

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ऐसे पकड़ी गईं फर्जी डॉक्टर

लड़की को रोज-रोज हॉस्पिटल आने पर स्टॉफ उन्हें नोटिस करने लगा. धीरे-धीरे शक बढ़ा. बाद में पूछताछ पर पता चला इतने दिनों से हॉस्पिटल आने वाली महिला आजतक किसी मेडिकल कॉलेज में गई ही नहीं.  


ऐसा करने के पीछे सुनाई 'सैड स्टोरी'

इस पूरे मामले में क्रेउएना के वकील बताते हैं कि वो शरणार्थी हैं. अभाव की वजह से वो कभी मेडिकल कॉलेज नहीं जा पाईं, ना ही कभी ऐसे कॉलेज में एडमिशन के लिए तैयारी कर पाईं. लेकिन उनके जीवन का एक सपना था कि वो डॉक्टर बनें. अपने सपने को जीने के लिए ही वो ऐसा कर रही थीं. इन दलीलों के बाद लड़की को 12 महीने का प्रोबेशन और 15 दिनों के रिहैब की सजा दी गई है. इतना ही नहीं, उसे हेल्थ इमरजेंसी के मामलों को छोड़कर किसी भी हालत में सरकारी अस्पताल में आने पर पाबंदी लगा दी गई है.

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