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नशा करना था... मकड़ी को पीसकर जहर निकाला, इंजेक्शन में भरकर लगा लिया... हुई मौत!

एक महिला ने नशे के लिए ब्लैक विडो नाम की जहरीली मकड़ी का जहर अपनी बॉडी में इंजेक्ट कर लिया. इसके बाद अस्पताल में उसकी तड़प-तड़प कर मौत हो गई.

महिला ने मकड़ी का जहर बॉडी में किया इंजेक्ट (फोटो - Meta AI) महिला ने मकड़ी का जहर बॉडी में किया इंजेक्ट (फोटो - Meta AI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 01 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 5:04 PM IST

कैलिफोर्निया में एक 37 वर्षीय महिला ने यह देखने के लिए कि क्या वह इससे नशा कर सकती है, एक ब्लैक विडो मकड़ी का जहर इंजेक्शन में लेकर अपनी बॉडी में इंजेक्ट कर लिया. इसके बाद उसकी हालत खराब होने लगी. कुछ घंटों बाद उसे आपातकालीन कक्ष में भर्ती कराया गया. वहां उसकी मौत हो गई. 

ब्लैक विडो स्पाइडर का जहर इंजेक्ट करने वाली महिला को जब अस्पताल लाया गया तो वह लगभग मर गई थी. कैलिफोर्निया की 37 वर्षीय महिला को गंभीर ऐंठन और मांसपेशियों में दर्द का अनुभव होने लगा. मुख्य रूप से उसकी पीठ, पेट और जांघों काफी ऐंठन और दर्द हो रहा था. 

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सांस लेने में होने लगी तकलीफ
उसने सिरदर्द और बेचैनी की भी शिकायत की, जबकि उसकी नाड़ी, श्वसन दर और रक्तचाप बढ़ा हुआ था. साथ ही उसे बुखार भी था. उसने डॉक्टरों के सामने स्वीकार किया कि उसने ब्लैक विडो मकड़ी को पीसकर नशा करने की कोशिश की थी.

हेरोइन का सेवन करती थी महिला
डेली स्टार की रिपोर्ट में महिला की पहचान नहीं बताई गई.कथित तौर पर उसका हेरोइन के सेवन का इतिहास रहा है. उसने पिसी हुई जहरीली मकड़ी को डिस्टिल्ड वाटर में मिलाया और फिर उसे नसों में इंजेक्ट कर दिया.

एक घंटे बाद उसे के अंदर कई तरह की प्रतिक्रियाएं होने लगीं और अस्पताल पहुंचने के कई घंटे बाद उसे सांस लेने में कठिनाई होने लगी. उसे सांस लेने में इतनी तकलीफ होने लगी कि (ICU) में भर्ती कराना पड़ गया.

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कम नहीं हुई मांसपेशियों की ऐंठन
महिला के लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए डॉक्टरों को दो दिनों तक संघर्ष करना पड़ा. शुरुआत में, उन्होंने उसकी मांसपेशियों में ऐंठन को कम करने की कोशिश की. इससे उसकी हालत में कोई खास सुधार नहीं हुआ. फिर उसे दर्द से राहत के लिए मॉर्फिन दिया गया.

दर्द और सांस लेने में परेशानी की वजह से हो गई मौत
मेडिकल टीम ने श्वसन नली की मांसपेशियों को आराम देने वाली दवा की तीन खुराक देकर उसकी घरघराहट को कम करने की कोशिश की, जो आमतौर पर अस्थमा के लिए इस्तेमाल की जाती है. हालांकि, ये उपचार भी अप्रभावी रहा. 

इन प्रयासों के बावजूद, उसे सांस लेने में दिक्कत होती रही और अगले दिन उसे नेबुलाइजर की जरूरत पड़ी. डॉक्टरों ने फिर उसे मॉर्फिन और लोराज़ेपाम (एक प्रकार का अवसादक) दिया, ताकि उसकी मांसपेशियों में ऐंठन से राहत मिल सके. हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के विशेषज्ञों के अनुसार, कुछ मामलों में, यह सूजन पैदा कर सकता है, जिससे सांस लेने में बाधा उत्पन्न होती है.

डॉक्टरों को संदेह है कि अस्थमा से पीड़ित मरीज को जहर में पाए जाने वाले प्रोटीन से एलर्जी की वजह से सांस लेने में दिक्कत हो सकती है. उल्लेखनीय है कि जब ब्लैक विडो काटता है, तो यह बहुत कम मात्रा में जहर इंजेक्ट करता है. ऐसे में उसका पूरा जहर शरीर में इंजेक्ट कर लेने की वजह से बॉडी पर प्रतिकूल असर पड़ा और महिला की मौत हो गई.

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