
दिव्यांग लोगों के जीवन में तमाम तरह की चुनौतियां आती हैं. कुछ लोग जन्म से ही दिव्यांग होते हैं, तो कुछ किसी हादसे के कारण. लेकिन कोई नहीं चाहेगा कि वो दिव्यांग के रूप में अपना जीवन बिताए. इससे वो सामान्य लोगों की तरह कई मौके हासिल करने से चूक जाते हैं. मगर एक महिला ऐसी भी है, जिसका सपना ही दिव्यांग बनना था. और उसने अपने ही हाथों से खुद को दिव्यांग भी बनाया. वो बचपन से एक सपना देखती थी. सपने में वो खुद को एक ब्लाइंड लड़की के तौर पर देखती. इसी की वजह से महिला ने अपनी आंखों में ड्रेन क्लीनर डाल लिया. जिससे उसकी आंखों की रोशनी चली गई.
मिरर यूके की रिपोर्ट के अनुसार, ये महिला अमेरिका के उत्तरी कैलिफोर्निया की रहने वाली जेवेल शुपिंग हैं. वो जब पैदा हुईं, तब एक हेल्दी बच्ची थीं. मगर 21 साल की हुईं तो ब्लाइंड बनना चाहती थीं. एक इंटरव्यू में उन्होंने दावा किया कि वो एक मनोचिकित्सक के पास भी गईं. जहां उन्होंने पूछा कि अपने सपने को पूरा करने के लिए क्या आंखों में ड्रेन क्लीनर डाल सकती हूं. बाद में जेवेल ने ऐसा कर भी लिया. डॉक्टरों ने उनकी आंखों की रोशनी जाने से बचाने की काफी कोशिश की. लेकिन वो इसे खो चुकी थीं. अब वो बिल्कुल भी देख नहीं सकतीं.
किस बीमारी के कारण किया ऐसा?
जेवेल की उम्र 38 साल है. वो बीआईआईडी (बॉडी इंटीग्रिटी आइडेंटिटी डिसऑर्डर) से ग्रसित हैं. ये एक ऐसी बीमारी है, जिससे पीड़ित लोग पैदा तो बिल्कुल सामान्य होते हैं लेकिन वो मानने लगते हैं कि उन्हें दिव्यांग होना चाहिए था. एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि वो बचपन से ही अंधा होना चाहती थीं. जब वो 3 से 4 साल की थीं, तब उनकी मां रात के अंधेरे में उन्हें हॉल में चलते हुए देखतीं. उनका कहना है, 'जब मैं छह साल की थी, मुझे याद है कि ब्लाइंड होने के बारे में सोचकर ही मैं सहज महसूस करने लगती.' टीनेजर होने पर उन्होंने ब्रेल सीखना शुरू कर दिया और 20 साल की उम्र तक इसे अच्छे से सीख गईं.
कैसे खत्म की आंखों की रोशनी?
जेवेल ने उस पल के बारे में भी बताया जब वो अपने ही हाथों से अपनी आंखों की रोशनी को खत्म कर रही थीं. वो कहती हैं, 'इससे दर्द हुआ, मैं आपको बता देती हूं. मेरी आंखें मानो चीख रही थीं और कुछ ड्रेन क्लीनर मेरे गालों तक पहुंच गया, जिससे त्वचा जलने लगी. मैं तब केवल इतना सोच रही थी कि मैं ब्लाइंड होने वाली हूं. लेकिन सब सही होगा.' उन्होंने अस्पताल जाने से पहले 30 मिनट तक इंतजार किया. डॉक्टरों ने उनकी इच्छा के खिलाफ जाकर आंखों की रोशनी बचाने की कोशिश की लेकिन तब तक नुकसान हो चुका था और अगले छह महीने तक आंखों की रोशनी धीरे धीरे जाती रही.
खुद को बहुत खुश बताया
वो कहती हैं, 'मैं बहुत खुश थी. ऐसा महसूस हुआ कि यही होना चाहिए था. मैं एक उद्देश्य के साथ ब्लाइंड हुई हूं. लेकिन मैंने ये कभी महसूस नहीं किया कि ये मेरी चॉइस है.' हालांकि इसके कारण उनके अपने परिवार के साथ रिश्ते खत्म हो गए. पहले तो उन्होंने परिवार को बताया कि ऐसा एक हादसे के कारण हुआ है. लेकिन जब मां और बहन को सच्चाई का पता चला तो उन्होंने रिश्ता ही खत्म कर दिया. उनका कहना है कि उन्हें अपने इस फैसले पर तनिक भी पछतावा नहीं है. उन्होंने लोगों को सलाह दी है कि जैसा मैंने किया, वैसा न करें. साथ ही उम्मीद जताई कि जिस बीमारी से वो ग्रसित हैं, उसका कोई इलाज मुहैया होना चाहिए.